Hariyali Teej 2025: जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्व

Hariyali Teej 2025: जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्व

Authored By: स्मिता

Published On: Wednesday, June 25, 2025

Last Updated On: Wednesday, June 25, 2025

Hariyali Teej 2025 के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और धार्मिक महत्व की पूरी जानकारी जानें.
Hariyali Teej 2025 के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और धार्मिक महत्व की पूरी जानकारी जानें.

Hariyali Teej 2025: हरियाली तीज या श्रावणी तीज श्रावण (सावन) के महीने में अमावस्या के तीसरे दिन मनाया जाता है. 2025 में यह 27 जुलाई, रविवार को मनाई जाएगी. यह त्योहार मानसून के मौसम और भगवान शिव और देवी पार्वती के पुनर्मिलन का उत्सव मनाने के लिए किया जाता है.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Wednesday, June 25, 2025

Hariyali Teej 2025: हरियाली तीज को श्रावणी तीज या छोटी तीज के नाम से भी जाना जाता है. यह श्रावण (सावन) के महीने में अमावस्या के तीसरे दिन मनाया जाता है. यह त्योहार मानसून के मौसम और भगवान शिव और देवी पार्वती के पुनर्मिलन का उत्सव मनाता है. यह मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है. खासकर राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह धूमधाम से मनाया जाता है.

पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करने के लिए व्रत (Hariyali Teej Vrat)

हरियाली तीज को कजरी तीज और हरतालिका तीज के साथ मनाया जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. हरियाली तीज के दौरान विवाहित महिलाएं अपने पति की सलामती और लंबी उम्र की प्रार्थना करने के लिए व्रत रखती हैं.

हरियाली तीज की तिथि (Hariyali Teej Date)

  • हरियाली तीज 27 अगस्त, 2025 को मनाई जाएगी. यह दिन रविवार है. हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है, जिसे सिंघारा तीज भी कहा जाता है.
  • हरियाली तीज, जिसे सावन तीज, छोटी तीज और मधुश्रवा तीज के नाम से भी जाना जाता है. यह मानसून के मौसम में मनाई जाती है, जिसका प्रतीक हरियाली है. यह त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए करवा चौथ के समान महत्व रखता है.

पार्वती हैं ‘तीज माता’

यह उस दिन की याद दिलाता है जब शिव ने पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया थ. इसलिए पार्वती को ‘तीज माता’ के रूप में जाना जाता है. हरियाली तीज उत्तर भारतीय राज्यों में बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है. इसे पंजाब में तीयां और राजस्थान में शिंगारा तीज के नाम से जाना जाता है. कुछ राज्यों में हरियाली तीज के दिन आधिकारिक या प्रतिबंधित अवकाश घोषित किया गया है.

क्या हैं हरियाली तीज के अनुष्ठान (Hariyali Teej Rituals)

हरियाली तीज में विवाहित महिलाओं को उनके ससुराल वालों से पारंपरिक कपड़े, चूड़ियां, मेहंदी, सिंदूर और मिठाई जैसे उपहार मिलते हैं. स्त्रियां आमतौर पर हरे रंग का लहंगा या साड़ी पहनती हैं, क्योंकि शृंगार की वस्तुओं को विवाह का प्रतीक माना जाता है. इन्हें शुभ माना जाता है. हिंदू परंपरा के अनुसार, सभी 16 श्रृंगार पहनने से स्त्री के पति की हर बुराई से रक्षा हो सकती है. नवविवाहितों को ‘सिंधरा’ या उपहार देने की परंपरा है.

हरियाली तीज की परंपरा (Hariyali Teej Rituals)

महिलाएं हरियाली तीज मनाने के लिए अपने मायके जाती हैं. उत्सव के दौरान स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं और सभी लोग उनका आनंद लेते हैं. राजस्थान में देवी पार्वती या तीज माता की यात्रा सड़कों पर निकाली जाती है. पंजाब में महिलाएं गिद्दा करती हैं, जबकि चंडीगढ़ में सांस्कृतिक कार्यक्रम और नाटक प्रस्तुत किए जाते हैं. हरियाली तीज में हाथों और पैरों में मेहंदी लगाई जाती है.

झूले झूलने की परंपरा

श्रावणी तीज में वट वृक्ष से झूले लटकाए जाते हैं. स्त्रियां पूरे दिन झूला झूलती हैं, नाचती हैं और दूसरों के साथ गाती हैं, मौज-मस्ती के लिए पूरी आज़ादी का आनंद लेती हैं. हिंदू पौराणिक कथाओं में बरगद का पेड़ पवित्र है. यह ज्ञान का प्रतीक है और हरियाली तीज पर इसकी पूजा करना शुभ माना जाता है. हरियाली तीज के दौरान महिलाएं पूरे दिन भोजन और पानी से परहेज करते हुए कठोर ‘निर्जला व्रत’ रखती हैं. यह व्रत विवाहित और अविवाहित दोनों महिलाएं रखती हैं, जो चंद्रमा की पूजा और व्रत तोड़ने के साथ समाप्त होता है. महिलाएं अपने पति की समृद्धि और कल्याण के लिए तीज माता से प्रार्थना करती हैं.

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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