Shravan Putrada Ekadashi 2025: क्या है श्रावण पुत्रदा एकादशी, जानिए कथा, पूजा विधि और महत्व

Shravan Putrada Ekadashi 2025: क्या है श्रावण पुत्रदा एकादशी, जानिए कथा, पूजा विधि और महत्व

Authored By: स्मिता

Published On: Wednesday, June 25, 2025

Last Updated On: Wednesday, June 25, 2025

Shravan Putrada Ekadashi 2025: जानें व्रत की कथा, पूजा विधि और इस दिन के धार्मिक महत्व के बारे में संपूर्ण जानकारी.
Shravan Putrada Ekadashi 2025: जानें व्रत की कथा, पूजा विधि और इस दिन के धार्मिक महत्व के बारे में संपूर्ण जानकारी.

Shravan Putrada Ekadashi 2025 : श्रावण पुत्रदा एकादशी 2025 मंगलवार, 5 अगस्त को मनाई जा रही है. पुत्रदा शब्द का अर्थ है- “पुत्रों अर्थात स्वस्थ संतान का दाता”. श्रीविष्णु के भक्त मानते हैं कि इस एकादशी व्रत का ईमानदारी से पालन करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और परिवार को खुशी, विकास और सद्भाव का आशीर्वाद देते हैं.

Authored By: स्मिता

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Shravan Putrada Ekadashi 2025: हिंदू कैलेंडर में चंद्रमा के बढ़ते और घटते चरणों का ग्यारहवां दिन यानी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित पूजा-उपवास और आध्यात्मिक अभ्यास के लिए महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. मान्यता है कि यह शरीर और मन को शुद्ध करता है. भक्ति की भावना को बढ़ाता है और पापों से मुक्ति दिला सकता है. ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करने और आत्म-अनुशासन बढ़ाने के लिए श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत-उपवास (Shravan Putrada Ekadashi 2025) किया जाता है.

श्रावण पुत्रदा एकादशी 2025: तिथि और समय (Shravan Putrada Ekadashi Date & Time)

  • तिथि: मंगलवार, 5 अगस्त 2025
  • एकादशी तिथि प्रारंभ: सोमवार, 4 अगस्त शाम 7:21 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: मंगलवार, 5 अगस्त शाम 5:45 बजे
  • पारण (व्रत तोड़ना): बुधवार, 6 अगस्त 2025 – सूर्योदय के बाद और द्वादशी समाप्त होने से पहले पारण किया जाता है.

पुत्रदा एकादशी का आध्यात्मिक महत्व (Shravan Putrada Ekadashi Spiritual Significance)

इस दिन संतान प्राप्ति और स्वस्थ संतान के लिए ईश्वर से आशीर्वाद मांगा जाता है. माता-पिता बनने में देरी होने पर भी पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है. भक्ति और अनुशासित उपवास के माध्यम से आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त की जाती है. भक्त भगवान नारायण का ध्यान करते हैं और विष्णु नाम का जाप करते हैं. दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आध्यात्मिक अभ्यास किया जाता है.

आध्यात्मिक विकास और मन की शुद्धि (Spiritual Development)

माना जाता है कि श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत का पालन करने से आत्मा और मन शुद्ध होते हैं. पिछले पापों का नाश होता है और व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति होती है. व्रत को तपस्या और आत्म-अनुशासन का एक रूप माना जाता है, जो भगवान विष्णु के प्रति भक्ति और गहरे संबंध को बढ़ावा देता है.
मान्यता है कि इस दिन पूजा-अर्चना करने से पूर्वजों की आत्मा को मुक्ति मिलती है और उन्हें शांति मिलती है.

श्रावण पुत्रदा एकादशी की कथा (Putrada Ekadashi Katha)

कथा है कि भद्रावती राज्य पर शासन करने वाले महीजित नामक राजा के पास पुत्र के अलावा सब कुछ था. इससे वे बहुत परेशान रहते थे. उन्होंने कई अनुष्ठान और यज्ञ किए, लेकिन संतानहीन रहे. एक दिन उन्हें अपना जीवन समाप्त करने का विचार आया. एक दिन जंगल में भटकते समय उन्हें एक झील के किनारे विश्वदेव ऋषियों का एक समूह मिला. वे मार्गदर्शन मांगने और पुत्र की इच्छा व्यक्त करने के लिए उनके पास गए. ऋषियों ने उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत सख्ती और भक्ति के साथ करने की सलाह दी. उनके निर्देशों का पालन करते हुए राजा महीजित और उनकी रानी ने पूरी ईमानदारी से एकादशी का व्रत रखा. बाद में रानी ने गर्भधारण किया और नौ महीने बाद उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई, जो तेजस्वी और गुणी था. यह पुत्र बाद में एक बुद्धिमान और न्यायप्रिय शासक बना, जिसने अपने बच्चों की तरह अपनी प्रजा की देखभाल की. विश्वदेवों ने राजा को समझाया कि पुत्रदा एकादशी का व्रत विश्वास और भक्ति के साथ करने से न केवल इस जीवन में पुत्र की प्राप्ति होती है, बल्कि परलोक में भी मुक्ति मिलती है. इसलिए पुत्रदा एकादशी की कथा भगवान विष्णु की भक्ति, उपवास की शक्ति और आध्यात्मिक अभ्यास के माध्यम से इच्छाओं की पूर्ति के महत्व पर जोर देती है.

कैसे करें पुत्रदा एकादशी व्रत (How to do Putrada Ekadashi)

  • सूर्यास्त से पहले केवल सात्विक भोजन करें
  • अनाज, प्याज, लहसुन और मांसाहारी भोजन से बचें
  • एकादशी व्रत को ईमानदारी से करने का संकल्प लें
  • एकादशी (5 अगस्त) को ब्रह्म मुहूर्त में उठें, स्नान करें और पारंपरिक पोशाक पहनें
  • इन सामग्रियों से भगवान विष्णु की पूजा करें ( Bhagwan Vishnu Puja)
  • तुलसी के पत्ते
  • चंदन का लेप
  • फूल, फल, धूप और दीप

जाप करें (Putrada Ekadashi Jaap)

  • विष्णु सहस्रनाम
  • ओम नमो नारायणाय
  • पुत्रदा एकादशी व्रत कथा पढ़ें या सुनें
  • रात्रि जागरण
  • रात में जागते रहें और भजन गाएं, ध्यान लगाना और आध्यात्मिक ग्रंथों का पाठ करना
  • अंतिम प्रहर (सुबह) के दौरान की गई विशेष प्रार्थना शुभ मानी जाती है
  • द्वादशी (6 अगस्त) को
  • ब्राह्मणों, गायों या ज़रूरतमंदों को दान-धर्म करें
  • पूजा पूरी करने के बाद सात्विक भोजन से व्रत खोलें
  • उत्तर भारत (उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान) में भक्त विष्णु मंदिरों में जाते हैं या घर पर सत्यनारायण पूजा करते हैं.
About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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