कॉलेजों में भी अब होंगे पेरेंट्स-टीचर मीटिंग, छात्रों को डिप्रेशन से बचाने के लिए माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी भी होंगे शामिल

कॉलेजों में भी अब होंगे पेरेंट्स-टीचर मीटिंग, छात्रों को डिप्रेशन से बचाने के लिए माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी भी होंगे शामिल

Authored By: स्मिता

Published On: Wednesday, July 16, 2025

Last Updated On: Wednesday, July 16, 2025

College Parent Teacher Meeting: जहाँ छात्र मानसिक तनाव से बच सकें, इसके लिए माता-पिता, दादा-दादी और नाना-नानी की भी होगी भागीदारी.
College Parent Teacher Meeting: जहाँ छात्र मानसिक तनाव से बच सकें, इसके लिए माता-पिता, दादा-दादी और नाना-नानी की भी होगी भागीदारी.

पेरेंट्स, बच्चों और शिक्षकों के बीच कम्युनिकेशन स्थापित करने और बच्चों की समस्याओं का समाधान करने के लिए स्कूलों में पेरेंट्स-टीचर मीटिंग यानी पीटीएम का आयोजन वर्षों से होता आया है. अब ये पीटीएम कॉलेजों में भी होंगे. इसमें माता-पिता के साथ-साथ दादा-दादी, नाना-नानी भी शामिल होंगे. इसका उद्देश्य छात्रों को डिप्रेशन से बचाना है.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Wednesday, July 16, 2025

College Parent Teacher Meeting: छात्रों, शिक्षकों और माता-पिता की तीन पीढ़ियों के बीच संवाद का सेतु बनाने के लिए अब कॉलेजों में भी पैरेंट्स-टीचर्स मीटिंग का आयोजन होगा. इसमें माता-पिता के साथ दादा-दादी, नाना-नानी भी आएंगे. इसकी पहल देश में सबसे पहले गुजरात में की जा रही है. अब गुजरात के कॉलेजों में स्कूलों की तरह पैरेंट्स टीचर्स मीटिंग (पीटीएम) होगी. इसका उद्देश्य छात्रों को अवसाद, मानसिक दबाव और आत्महत्या से बचाना है. यही नहीं इससे तीन पीढ़ियों के बीच की दूरी भी खत्म होगी. आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में जब बच्चों का अपने बुजुर्गों से संवाद लगभग खत्म हो गया है, तब ये बैठक ऐसा माध्यम बन सकती हैं, जिससे बुजुर्गों का अनुभव और भावनात्मक सहारा बच्चों को संबल दे सकती है.

हर तीन महीने में पैरेंट्स-टीचर्स मीटिंग

कॉलेजों को हर तीन महीने पर पैरेंट्स-टीचर्स मीटिंग आयोजित करनी होगी. मीटिंग रिजल्ट तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि छात्र की मानसिक स्थिति, व्यवहार में आए बदलाव और सामाजिक व्यवहार को समझने का जरिया बनेगी. इसमें सिर्फ माता-पिता ही नहीं, बल्कि दादा-दादी जैसे बुजुर्गों को शामिल करना जरूरी बताया गया है, ताकि तीन पीढ़ियों के बीच संवाद कायम हो. मीटिंग में एक ओर शिक्षक बच्चों के माता-पिता से वन-टू-वन बात करेंगे. इस दौरान दादा-दादी या नाना-नानी भी मौजूद रहेंगे. इससे बच्चों को समझने का मौका मिलेगा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा दिए गए संदेश को आधार बनाकर सरकार इसे पूरे राज्य में लागू कर रही है.

कॉलेज छात्र अपनी समस्याएं साझा कर सकें खुलकर सरकार ने कहा है कि शिक्षण संस्थान इस पहल को गंभीरता से लागू करें, ताकि समय रहते छात्रों के व्यवहार और मानसिक स्थिति को समझा जा सके. इस पूरी कवायद का मकसद है कि कॉलेज छात्र अपनी समस्याएं खुलकर साझा कर सकें और घर-परिवार के सदस्यों के साथ उनका भावनात्मक जुड़ाव मजबूत हो.

बच्चों के मानसिक संतुलन के लिए उपयोगी बुजुर्गों की सीख

राज्य सरकार ने सर्कुलर में कहा है कि हर तीन महीने में होने वाली पीटीएम में बुजुर्ग अभिभावकों को आमंत्रित किया जाए. इसका उद्देश्य यह है कि बुजुगों का अनुभव और भावनात्मक सहयोग बच्चों को शक्ति दे सके. उनके अनुभव, जीवन की सीख बच्चों के मानसिक संतुलन के लिए बेहद उपयोगी हो सकती है.

बच्चों के रिजल्ट और वैल्यूज पर होगा असर सूरत में पिछले 3 साल में 1866 आत्महत्या के मामले सामने आए हैं. 480 से ज्यादा ऐसे मामले हैं, जिनमें आत्महत्या करने वाले 25 वर्ष से भी कम उम्र के थे. इनमें से 52 मामले छात्रों की आत्महत्या से संबंधित हैं.पीटीएम से छात्रों के व्यवहार की वजह पता चलेगी। इससे उनका फाइनेंशियल बैकग्राउंड भी पता चलेगा. बच्चों की मानसिक समस्या का भी पता चलेगा. उसके बाद उसका समाधान निकाला जाएगा. बच्चों के रिजल्ट और वैल्यूज पर असर दिखेगा.

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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