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Suvarna Prashan Sanskar : स्वर्णप्राशन संस्कार विधा बढ़ा सकती है बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता
Suvarna Prashan Sanskar : स्वर्णप्राशन संस्कार विधा बढ़ा सकती है बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, April 9, 2025
Updated On: Wednesday, April 9, 2025
Suvarna Prashan Sanskar: आयुर्वेद विशेषज्ञ बताते हैं कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें स्वस्थ खानपान के अलावा, प्रतिदिन स्वर्णप्राशन संस्कार देना चाहिए. 16 संस्कारों में से एक स्वर्णप्राशन में सोने की राख के अलावा कई महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां होती हैं.
Authored By: स्मिता
Updated On: Wednesday, April 9, 2025
Suvarna Prashan Sanskar : स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ खानपान जरूरी है. इसके अलावा, जड़ी-बूटी भी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं. इनके कारण बच्चों का स्वास्थ्य बढ़िया रहता है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है. कानपुर की वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ. वंदना पाठक ने पिछले दिनों बच्चों के स्वास्थ्य पर अभिभावकों के साथ एक बैठक और बातचीत का आयोजन किया था. उन्होंने बताया, ‘लोगों को ऋतु के अनुसार आहार-विहार और रोगों से बचाव के लिए विशेष तैयारी करनी चाहिए. इन दिनों वातावरण में अचानक तेज गर्मी होने लगी है, जिससे सावधान रहने की जरूरत है. डॉ. वंदना पाठक बताती हैं कि स्वर्णप्राशन संस्कार विधा से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. विस्तार से जानते हैं कि किस तरह बच्चों के लिए प्रभावी है स्वर्णप्राशन संस्कार (Suvarna Prashan Sanskar) विधा.
16 संस्कारों में से एक संस्कार है स्वर्णप्राशन (Suvarna Prashan)
डॉ. वंदना पाठक ने बताया, ‘इस समय मौसम के अनुसार क्षेत्रीय फल और सब्जियों का प्रमुख रूप से सेवन करना चाहिए. आयुर्वेद की एक ख़ास विधा है स्वर्णप्राशन संस्कार. यह विधा बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी कारगर है. यह भारतीय संस्कृति में प्रचलित 16 संस्कारों में से एक संस्कार है. यह बच्चों के शारीरिक, मानसिक विकास में विशेष योगदान करता है. जिन बच्चों में यह संस्कार नियमित रूप से दिया जाता है, उनमें मौसम और वातावरणीय प्रभाव के कारण होने वाली समस्याएं अन्य बच्चों की अपेक्षा कम देखी गयी हैं.’
कैसे तैयार होती है स्वर्णप्राशन औषधि (Ayurvedic Suvarna Prashan)
डॉ. वंदना पाठक के अनुसार, स्वर्णप्राशन के लिए तैयार की जाने वाली औषधि में स्वर्ण भस्म, वच, गिलोय, ब्राह्मी, गौघृत, मधु आदि द्रव्य का प्रयोग किया जाता है. इसमें शुद्ध सोने की राख के अलावा, फोर्टिफाइड घी, शहद, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, अश्वगंधा के अर्क भी होते हैं.
इसे कैसे दिया जाता है (Suvarna Prashan Doses)
मिश्रण तरल, सेमी सॉलिड या पेस्ट के रूप में दिया जाता है. यह आमतौर पर जन्म से लेकर 16 साल की उम्र के बच्चों को दिया जाता है. यह अक्सर पुष्य नक्षत्र पर दिया जाता है, जिसे हिंदू कैलेंडर में एक शुभ दिन माना जाता है. मिश्रण को सुबह खाली पेट देने की सलाह दी जाती है. यदि मिश्रण को हर दिन देना मुश्किल है, तो इसे कम से कम दो महीने तक सुबह एक बार दे सकते हैं. इसे कमरे के तापमान पर रखा जाना चाहिए. इसे सीधे सूर्य की रोशनी से बचाया जाना चाहिए. छाया में रखने पर इसे पांच साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है.
स्वर्णप्राशन के लाभ (Suvarna Prashan Benefits)
माना जाता है कि यह मस्तिष्क की शक्ति, पाचन, शारीरिक शक्ति और प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता है. यह एक बच्चे के शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक विकास के लिए फायदेमंद माना जाता है.
रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करने वाले तत्व (Immunity Booster Suvarna Prashan)
डॉ. वंदना के अनुसार, बच्चों को नियंत्रित करने के लिए डांटना, पीटना आदि भी उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है. अतः बच्चों को प्यार से समझाना चाहिए. उन्होंने बच्चों को मौसम के अनुसार फल और सब्जियों के सेवन के साथ-साथ स्वच्छता और स्नेहपूर्ण लालन-पालन करना चाहिए.
(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)
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