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Everest से Cho Oyu तक: भरथ तम्मिनेनी ने रचा इतिहास, दुनिया की 9 सबसे ऊंची चोटियों पर लहराया तिरंगा, बने पहले भारतीय रिकॉर्ड होल्डर
Authored By: Nishant Singh
Published On: Thursday, October 16, 2025
Last Updated On: Thursday, October 16, 2025
एवरेस्ट से लेकर चो ओयू तक... भारत के भरथ तम्मिनेनी ने वो कर दिखाया जो अब तक कोई भारतीय नहीं कर सका. आंध्र प्रदेश के इस जांबाज पर्वतारोही ने दुनिया की 9 सबसे ऊंची चोटियों पर तिरंगा फहराकर इतिहास रच दिया. हर बर्फीली चोटी पर उनकी हिम्मत, जुनून और भारत की शान लहराती दिखी, एक ऐसी उपलब्धि, जिसने पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया.
Authored By: Nishant Singh
Last Updated On: Thursday, October 16, 2025
Everest: आंध्र प्रदेश के कर्नूल जिले के रहने वाले भरथ तम्मिनेनी ने इतिहास रचते हुए दुनिया की 9 सबसे ऊंची चोटियों पर भारत का तिरंगा लहराया. एवरेस्ट से लेकर चो ओयू तक का उनका यह सफर सिर्फ पर्वतारोहण का नहीं, बल्कि साहस, मेहनत और दृढ़ता की एक मिसाल है. 36 वर्षीय भरथ ने 8,000 मीटर से ऊंचे पर्वतों पर फतह हासिल करके ऐसे रिकॉर्ड बनाए हैं, जो पहले किसी भारतीय के लिए संभव नहीं थे. उनकी यह उपलब्धि भारतीय पर्वतारोहण के लिए गर्व का पल है.
भरथ तम्मिनेनी: भारतीय पर्वतारोहण का नया सितारा
भरथ तम्मिनेनी ने न केवल अपनी व्यक्तिगत मेहनत और साहस से दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों को फतह किया, बल्कि उन्होंने युवा पर्वतारोहियों को भी प्रेरित किया. भरथ “Boots and Crampons” नामक प्रतिष्ठित माउंटेनियरिंग कंपनी के संस्थापक हैं. वे देश के सबसे सफल हाई-एल्टीट्यूड पर्वतारोहियों में गिने जाते हैं. उनकी कड़ी मेहनत और निरंतरता ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया.
दुनिया के कई शिखरों पर लहराता तिरंगा
- भरथ तम्मिनेनी ने अब तक कुल 9 उच्चतम चोटियों पर भारत का झंडा फहराया है. ये चोटियां हैं:एवरेस्ट (Everest) – दुनिया की सबसे ऊंची चोटी
- ल्होत्से (Lhotse) – एवरेस्ट के पास तीसरी सबसे ऊंची चोटी
- कंचनजंघा (Kanchenjunga) – तीसरी सबसे ऊंची चोटी
- मकालू (Makalu) – पांचवीं सबसे ऊंची चोटी
- मानस्लु (Manaslu) – आठवीं सबसे ऊंची चोटी
- अन्नपूर्णा-1 (Annapurna I) – दसवीं सबसे ऊंची चोटी
- धौलागिरी (Dhaulagiri) – सातवीं सबसे ऊंची चोटी
- शिशापांगमा (Shishapangma) – चौदहवीं सबसे ऊंची चोटी
- चो ओयू (Cho Oyu) – छठी सबसे ऊंची चोटी
भरथ की यह यात्रा न केवल शारीरिक चुनौती थी, बल्कि मानसिक और भावनात्मक दृढ़ता का भी परीक्षण थी.
नेतृत्व और प्रेरणा
भरथ तम्मिनेनी ने अपनी यात्राओं के दौरान कई नए रिकॉर्ड बनाए. Everest 2025 Expedition के दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक उपलब्धियों को जन्म दिया:
एंगमो, दुनिया की पहली नेत्रहीन महिला, जिन्होंने माउंट एवरेस्ट फतह किया.
- कार्तिकेय, सबसे युवा भारतीय, जिन्होंने “सेवन समिट्स” की चुनौती पूरी की.
- भरथ का नेतृत्व न केवल सफल चढ़ाई के लिए प्रेरित करता है, बल्कि युवा पर्वतारोहियों के लिए एक मिसाल भी कायम करता है.
भरथ ने क्या कहा?
सफल चढ़ाई के बाद भरथ तम्मिनेनी ने कहा,
“यह उपलब्धि सिर्फ मेरी नहीं है, बल्कि हर भारतीय पर्वतारोही के सपनों की जीत है. मैं इसे अपने परिवार, दोस्तों, टीम और भारत की उस अटूट भावना को समर्पित करता हूं, जो हर चोटी पर मुझे प्रेरित करती है.”
उनकी यह बात दर्शाती है कि पर्वतारोहण केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि टीम व देश के सम्मान की भी कहानी है.
9 पर्वत यात्राओं की टाइमलाइन
भरथ तम्मिनेनी की यात्रा वर्षों की मेहनत और समर्पण का परिणाम है. उनकी प्रमुख चढ़ाइयों की टाइमलाइन इस प्रकार है:
- एवरेस्ट (Everest) – मई 2017
- मानस्लु (Manaslu) – सितंबर 2018
- ल्होत्से (Lhotse) – मई 2019
- अन्नपूर्णा (Annapurna I) – मार्च 2022
- कंचनजंघा (Kanchenjunga) – अप्रैल 2022
- मकालू (Makalu) – मई 2023
- शिशापांगमा (Shishapangma) – अक्टूबर 2024
- धौलागिरी (Dhaulagiri) – अप्रैल 2025
- चो ओयू (Cho Oyu) – अक्टूबर 2025
इस क्रमबद्ध और निरंतर प्रयास ने उन्हें दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों पर फतह दिलाई.
चुनौती और कठिनाई
इन उच्च चोटियों को फतह करना आसान नहीं है. अत्यधिक ठंड, कम ऑक्सीजन और खतरनाक मौसम जैसी चुनौतियों के बावजूद भरथ ने हर बार अपनी दृढ़ता और साहस से जीत हासिल की. पर्वतारोहण केवल शारीरिक क्षमता नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता का भी परीक्षा है. भरथ ने इस चुनौती को सफलता में बदला और भारतीय पर्वतारोहण की नई पहचान बनाई.
युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा
भरथ की उपलब्धि सिर्फ व्यक्तिगत नहीं है. उन्होंने कई युवा पर्वतारोहियों को प्रशिक्षित किया और उन्हें ऊंचाइयों को छूने के लिए प्रेरित किया. उनका यह संदेश है कि अगर जज्बा और मेहनत हो, तो कोई भी ऊंचाई असंभव नहीं. उन्होंने दिखाया कि भारत के पर्वतारोहियों का जज्बा दुनिया में किसी से कम नहीं.
नतीजा: भारतीय पर्वतारोहण की नई पहचान
भरथ तम्मिनेनी की यह यात्रा केवल पर्वतारोहण का कारनामा नहीं है, बल्कि भारत के साहस और जज्बे की मिसाल भी है. एवरेस्ट से लेकर चो ओयू तक हर शिखर पर उनका तिरंगा लहराना भारत के लिए गर्व की बात है. उनकी यह उपलब्धि आने वाले वर्षों में भारतीय पर्वतारोहियों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत बनेगी.
भरथ तम्मिनेनी ने साबित किया है कि अगर हिम्मत और जुनून साथ हो, तो दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों को भी कोई छू सकता है. उनकी यह उपलब्धि भारतीय पर्वतारोहण की नई ऊंचाई है, और आने वाली पीढ़ियों को सपनों की ऊंचाई तक पहुंचने के लिए प्रेरित करेगी
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