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सकारात्मक तरीके से क्रोध का मैनेजमेंट कैसे करें
सकारात्मक तरीके से क्रोध का मैनेजमेंट कैसे करें
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, June 27, 2025
Last Updated On: Friday, June 27, 2025
आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर क्रोध को एक प्राकृतिक भावना मानते हैं. क्रोध एक शक्तिशाली शक्ति बन सकती है, लेकिन इसे ठीक से नियंत्रित न किया जाए, तो यह विनाशकारी भी हो सकती है. इसके लिए अंदर के दबे क्रोध को सकारात्मक उपाय बाहर निकालना चाहिए.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Friday, June 27, 2025
आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर (Sri Sri Ravishankar) के अनुसार क्रोध एक प्राकृतिक भावना है. क्रोध का बाहर निकलना स्वाभाविक क्रिया है. इसे ठीक से नियंत्रित करना जरूरी है. इसे यदि ठीक से नियंत्रित नहीं किया जाता है, तो यह विनाशकारी हो सकता है. श्री श्री इस बात पर ज़ोर देते हैं कि क्रोध अक्सर अतीत की स्थितियों या भविष्य के डर की प्रतिक्रिया होती है. यह व्यक्ति के वास्तविक स्वभाव को विकृत कर देती है. इसके कारण वह आंतरिक शांति का अनुभव नहीं कर पाता है. वे सुझाव देते हैं कि क्रोध के मूल कारणों को समझना जरूरी है. इसे दबाने की बजाय सकारात्मक तरीके से बाहर निकालना जरूरी है. ध्यान तथा श्वास अभ्यास जैसी तकनीक की मदद से व्यक्ति अपने क्रोध को नियंत्रित करना सीख सकता है. वह उसे सकारात्मक कार्य (Anger Management) में भी बदल सकता है.
सबस पहले समझें अपने क्रोध को
क्रोध अक्सर अतीत की स्थितियों या भविष्य के डर की प्रतिक्रियास्वरुप होता है. क्रोध में व्यक्ति का कोई न कोई भय छिपा होता है. क्रोध व्यक्ति के वास्तविक स्वभाव का विरूपण माना जा सकता है. यह व्यक्ति के निर्णय को प्रभावित कर सकता है. इसके कारण व्यक्ति अशांत अनुभव करता है. उसका क्रोध उसे आंतरिक शांति का अनुभव करने से रोक सकता है. इसलिए समझें कि आप किस वजह से बार-बार क्रोध करते हैं.
अतीत और भविष्य के प्रति प्रतिक्रिया
क्रोध अक्सर तब उत्पन्न होता है जब मन अतीत में उलझा रहता है या भविष्य के बारे में चिंतित रहता है. इसके कारण वर्तमान क्षण की प्रतिक्रिया निरर्थक लगने लगती है. सबसे पहले यह जान लें कि भविष्य में जीना व्यर्थ है. आप तभी खुश रह सकते हैं जब आप वर्तमान में जीना शुरू कर दें. अपने समझ की कमी को दूर करें. क्रोध का मूल कारण अक्सर खुद को और मौजूदा स्थिति को समझने की कमी होती है.
क्रोध बुरा नहीं भी हो सकता है
श्री श्री रविशंकर मानते हैं कि क्रोध एक उपयोगी भावना हो सकती है. खासकर जब यह किसी के नियंत्रण में हो. क्रोध का इस्तेमाल अन्याय को संबोधित करने या खुद को बचाने के लिए किया जा सकता है. अगर हम अन्याय सहने की बजाय क्रोध करते हैं और अन्याय का विरोध करते हैं, तो क्रोध कभी बुरा नहीं हो सकता है.
सकारात्मक रूप से क्रोध को कैसे मैनेज करें (Anger Management)
- आध्यात्मिक अभ्यास (Spiritual Practices): हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि क्रोध को आध्यात्मिक अभ्यास से ही मैनेज किया जा सकता है. ध्यान, श्वास तकनीक और योग जैसे अभ्यास मन को शांत करने, जागरूकता में सुधार करने और क्रोध को भड़काने वाली स्थितियों के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं.
- क्रोध के प्रति जागरूकता (Anger Awareness): किस कारण से क्रोध हो रहा है, के साथ-साथ हम कब क्रोधित होने वाले हैं, इसके संकेतों को पहचानने की कोशिश करनी चाहिए. इसके मूल कारणों को समझना इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए जरूरी है.
- स्वयं को दोष नहीं देना: क्रोध आने पर स्वयं को दोष देने से बचना जरूरी है. इसकी बजाय स्थिति को समझने और प्रतिक्रिया करने के स्वस्थ तरीके खोजने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
- मित्रों और परिवार से मदद: व्यक्ति, परिवार, समाज से संवाद स्थापित करने पर क्रोध कम किया जा सकता है. अकसर संवादहीनता के कारण क्रोध आता है. मित्रों और परिवार से सहायता मांगना चुनौतीपूर्ण भावनात्मक स्थिति से निपटने में मददगार हो सकता है.
- श्वास क्रिया (Breathing Technique): श्री श्री रविशंकर के अनुसार, सुदर्शन क्रिया जैसी तकनीकें तंत्रिका तंत्र को रेगुलेट करने, मन को शांत करने और क्रोध की तीव्रता को कम करने में मदद कर सकती हैं.