Lifestyle News
Chaitra Navratri 2025: जानें 5 या 6 अप्रैल को है नवरात्र कन्या पूजन
Authored By: स्मिता
Published On: Tuesday, April 1, 2025
Last Updated On: Tuesday, April 1, 2025
Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है. नौ दिनों में अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व है. देवी दुर्गा स्वरुप कन्या पूजन नवरात्र का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. जानते हैं कि क्यों 6 अप्रैल को मनाया जा रहा है कन्या पूजन.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Tuesday, April 1, 2025
Chaitra Navratri 2025: दुर्गा अष्टमी महाष्टमी (Maha Ashtami) के नाम से भी जाना जाता है. यह नवरात्र के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है. इस दिन भक्त नौ पवित्र कलश स्थापित करके देवी दुर्गा के नौ रूपों का आह्वान करते हैं. इस दिन देवी के सभी नौ रूपों की पूजा करना अत्यधिक शुभ माना जाता है. ज्योतिषाचार्य पंडित अनिल शास्त्री बताते हैं कि चैत्र नवरात्र 2025 की अष्टमी और नवमी तिथियां कब हैं. नवरात्र कन्या पूजन मुहूर्त (Chaitra Navratri 2025) कब है.
नवरात्र पूजन में संधि काल (Navratri Pujan Sandhi Kaal)
पंडित अनिल शास्त्री के अनुसार, महाष्टमी पर किए जाने वाले सबसे पूजनीय अनुष्ठानों में से एक संधि पूजा है. यह अनुष्ठान अष्टमी और नवमी तिथि के बीच संक्रमण काल के दौरान मनाया जाता है. इसे संधि काल के रूप में जाना जाता है. अष्टमी के अंतिम 24 मिनट और नवमी के पहले 24 मिनट को ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सबसे शक्तिशाली क्षण माना जाता है. मान्यता है कि देवी दुर्गा ने इसी समय चंड और मुंड का संहार करने के लिए उग्र रूप चामुंडा (Chamunda Devi) को प्रकट किया था.
महाष्टमी और महानवमी की तिथि और समय (Maha Ashtami and Maha Navmi 2025)
- चैत्र दुर्गाष्टमी 2025 शनिवार, 5 अप्रैल, 2025
- अष्टमी तिथि 04 अप्रैल, 2025 को शाम 08:12 बजे शुरू होगी
- अष्टमी तिथि 05 अप्रैल, 2025 को शाम 07:26 बजे समाप्त होगी
- राम नवमी 2025 रविवार, 6 अप्रैल
राम नवमी पर उपवास (Ram Navmi 2025)
राम नवमी भगवान राम के जन्म का प्रतीक है. यह चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पड़ती है. भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या सहित यह भारत भर में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. भक्तगण राम नवमी पर उपवास रखते हैं. अयोध्या में राम मंदिर में रामजी का दर्शन करने से पहले भक्तगण सरयू नदी में पवित्र डुबकी लगाते हैं. इसके बाद श्रीराम के नाम का जाप और भक्ति गायन करते हैं
कन्या पूजन का महत्व (Kanya Pujan Significance)
कन्या पूजन नवरात्र की एक विशिष्ट पूजा है. यह पर अष्टमी या नवमी को भी किया जाता है. इस अनुष्ठान में दिव्य स्त्री ऊर्जा शक्ति की प्रतीक नौ कन्याओं को देवी दुर्गा के रूप में पूजा जाता है. भक्तगण उनके पैर धोते हैं. उन्हें भोजन कराते हैं. समृद्धि और खुशी के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं. चैत्र नवरात्र में दुर्गा अष्टमी, संधि पूजा और राम नवमी उत्सव के अपने-अपने महत्व हैं. महाअष्टमी पर देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करना हो या नवमी पर भगवान राम के जन्म का उत्सव मनाना हो, ये सभी त्योहार आध्यात्मिक महत्व रखते हैं.
कन्या पूजन मुहूर्त (Kanya Pujan Muhurat 2025)
पंडित अनिल शास्त्री के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 5 अप्रैल को रात 07.26 मिनट पर शुरू हो जाएगी. इसका समापन 6 अप्रैल को रात 07.22 मिनट पर हो जाएगा. इसलिए 6 अप्रैल को कन्या पूजन अभिजित मुहूर्त में 11:58 से लेकर12:49 तक सकते हैं. यदि भक्तगण अष्टमी और नवमी तिथि दोनों मिश्रित तिथि को करना चाहते हैं, तो वे 5 अप्रैल को कन्या पूजन कर सकते हैं. कन्या पूजन में एक बटुक भैरव (लड़का) को भी स्थान दिया जाता है.
यह भी पढ़ें :- Chaiti Chhath 2025 : परिवार के सुख-शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए पूजा