Kartik Poornima 2024 : कार्तिक पूर्णिमा का है आध्यात्मिक महत्व, मनेगी देव दीपावली
Authored By: स्मिता
Published On: Thursday, November 14, 2024
Updated On: Thursday, November 14, 2024
कार्तिक पूर्णिमा को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। इसकी महत्व कई धार्मिक ग्रंथों में बताई गई है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपने मत्स्य अवतार में प्रकट हुए थे, जो सृष्टि और संरक्षण के ब्रह्मांडीय चक्र से जुड़ा है।
कार्तिक पूर्णिमा हिंदू और सिख दोनों धर्म के लिए महत्वपूर्ण है। कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस पवित्र दिन देव दिवाली, गुरु नानक जयंती भी भक्तगण उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। कई भक्त हरिद्वार, वाराणसी, ऋषिकेश और अन्य गंगा घाटों पर दीप दान करने के लिए जाते हैं। इस अवसर पर अयोध्या और काशी की तरह महर्षि भृगु और उनके शिष्य दर्दर मुनि की तपोस्थली बलिया में भी दीपोत्सव (Kartik Poornima 2024) मनाया जा रहा है।
कार्तिक पूर्णिमा की महत्ता (Importance of Kartik Poornima)
कार्तिक पूर्णिमा को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। इसकी महत्व कई धार्मिक ग्रंथों में बताई गई है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपने मत्स्य अवतार में प्रकट हुए थे, जो सृष्टि और संरक्षण के ब्रह्मांडीय चक्र से जुड़ा है। कार्तिक पूर्णिमा के दौरान सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं, जिससे जल और वातावरण में एक शक्तिशाली पवित्र ऊर्जा का संचार होता है। इस दिन नदियों और झीलों में स्नान करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इससे नौ खगोलीय ग्रहों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
क्या है अनुष्ठान (Kartik Poornima Rituals)
कार्तिक पूर्णिमा के मुख्य अनुष्ठानों में से एक गंगा या अपने घर के पास किसी भी पवित्र नदी में पवित्र स्नान करना है। अगर यह संभव नहीं है, तो घर पर उपलब्ध नियमित पानी में कुछ कप गंगाजल मिलाना सबसे अच्छा है। इस अभ्यास को ‘कार्तिक स्नान’ के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि यह आत्मा को शुद्ध करता है और पापों से मुक्ति दिलाता है।
त्रिपुरारी पूर्णिमा की कथा (Kartik Poornima Katha)
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। राक्षस त्रिपुरासुर पर भगवान शिव की जीत का सम्मान करने के लिए यह मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने एक ही बाण से राक्षस के तीन शहरों को नष्ट कर दिया था, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
पूजा और दान का है विशेष महत्व
- ज्योतिषाचार्य त्रिपुरारी शर्मा के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा और दान से भक्तगण को विशेष लाभ मिल सकते हैं।
- वित्तीय समृद्धि और स्थिरता को बढ़ावा मिलता है।
- शक्ति/अचल संपत्ति प्राप्त हो सकती है।
- किसी व्यवसाय के कामकाज को गति मिल सकती है।
- बृहस्पति के हानिकारक प्रभाव को कम किया जा सकता है।
- सिद्धि प्राप्त हो सकती है।
- समग्र भौतिकवादी और आध्यात्मिक विकास हो सकता है।
यह भी पढ़ें : Mahakumbh 2025 : महाकुंभ के प्रतीक चिह्न के हैं विशेष अर्थ, यह जुड़ा है कुंभ की पौराणिक कथा से
यह भी पढ़ें
news via inbox
समाचार जगत की हर खबर, सीधे आपके इनबॉक्स में - आज ही हमारे न्यूजलेटर को सब्सक्राइब करें।