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शारदीय नवरात्र 2024: प्रातः काल से अपराह्न 3.18 बजे तक होगी कलश स्थापना
शारदीय नवरात्र 2024: प्रातः काल से अपराह्न 3.18 बजे तक होगी कलश स्थापना
Authored By: स्मिता
Published On: Tuesday, October 1, 2024
Last Updated On: Tuesday, October 1, 2024
इस वर्ष नवरात्र पूरे नौ दिनों के हैं। इसमें चतुर्थी की वृद्धि और नवमी की हानि है। 3 ऑक्टूबर से नवरात्र की पहली पूजा शुरू हो जाएगी। गुरुवार के दिन प्रातःकाल से अपराह्न 3. 18 बजे तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है।
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Tuesday, October 1, 2024
शारदीय नवरात्र एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। यह देवी दुर्गा के नौ रूपों का उत्सव मनाता है। यह आश्विन चंद्र महीने के दौरान मनाया जाता है। यह आमतौर पर सितंबर और अक्टूबर के बीच मनाया जाता है। नवरात्र में देवी दुर्गा की नौ दिनों तक पूजा की जाती है। वैसे तो नवरात्र का हर दिन शुभ माना जाता है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, दिन भर में शुभ मुहूर्त भी होते हैं। शुभ मुहूर्त में आराधना करने से पूजा विशेष फलदाई (Shardiya Navratri 2024) हो पाती है।
मां दुर्गा (Ma Durga) की आराधना के साथ कलश स्थापना
बनारस के ज्योतिष और अध्यात्म के ज्ञाता डॉ. अजय द्विवेदी (Dr. Ajay Dwivedi) के अनुसार, इस वर्ष नवरात्र पूरे नौ दिनों के हैं। इसमें चतुर्थी की वृद्धि और नवमी की हानि है। 3 ऑक्टूबर से नवरात्र की पहली पूजा शुरू हो जाएगी। इस दिन मां दुर्गा की आराधना के साथ कलश स्थापना भी होगी। गुरुवार के दिन हिंदी तारीख आश्विन शुक्ल प्रतिपदा है। इस दिन प्रातःकाल से अपराह्न 3. 18 बजे तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है। इसके बाद चित्रा योग लग जायेगा। चित्रा या वैधृति योग में कलश स्थापना से धर्मशास्त्र मना करते हैं। महाष्टमी और नवमी का व्रत एक साथ 11 ऑक्टूबर (Shardiya Navratri 2024) को होगा। इस बार महाअष्टमी के अवसर पर किया जाने वाला निशापूजन 10 ऑक्टूबर को होगा, लेकिन शुद्ध अष्टमी 11 ऑक्टूबर को होगा।
घट देवी दुर्गा और ब्रह्मांड की रचनात्मक शक्ति का प्रतीक
घटस्थापना को कलश स्थापना के नाम से भी जाना जाता है। यह शुभता का प्रतीक माना जाता है। यह पूजा अनुष्ठान की शुरुआत है। इसमें मिट्टी के बर्तन, पानी, आम के पत्ते और नारियल का उपयोग किया जाता है। यह घट देवी दुर्गा और ब्रह्मांड की रचनात्मक शक्ति का प्रतीक है। इस बर्तन को पवित्र जल से भरकर उसमें एक नारियल रखा जाता है। पूरे नौ दिनों तक इसकी पूजा की जाती है। यह अनुष्ठान देवी से भक्तों के घर में निवास करने और उनकी रक्षा करने का आह्वान करता है।
नवरात्रि में घर पर कलश कैसे रखें?
सबसे पहले मिट्टी का चौड़ा बर्तन लिया जाता है। इस पर कलश रखा जाता है। इसमें जौ के दाने बोए जाते हैं। बर्तन में मिट्टी की पहली परत बिछा दी जाती है। इसमें फिर अनाज के बीज डाले जाते हैं। अब मिट्टी और अनाज की दूसरी परत डाली जाती है। दूसरी परत में बर्तन के किनारे अनाज फैलाना चाहिए।
हिंदू रीति-रिवाजों में कलश का बहुत महत्व है। यह प्रचुरता, समृद्धि और आध्यात्मिक शुद्धता को दर्शाता है। इसे आमतौर पर पवित्र गंगा नदी के पानी से भरा जाता है। गंगा जीवनदायी है। मान्यता है कि यह पापनाशिनी और मोक्षदायिनी है।
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