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शान-ओ-शौकत के लिए ननद-भाभी ने मचाई लूट!
शान-ओ-शौकत के लिए ननद-भाभी ने मचाई लूट!
Authored By: Nishant Singh
Published On: Friday, May 16, 2025
Last Updated On: Saturday, May 17, 2025
दिल्ली की चकाचौंध भरी ज़िंदगी में हर कोई दिखावे की दौड़ में शामिल होना चाहता है. लेकिन जब यह चाहत इंसान को गलत रास्ते पर ले जाए, तो नतीजे अक्सर चौंकाने वाले होते हैं. ऐसा ही कुछ हुआ राजधानी दिल्ली में, जब दो महिलाएं — एक ननद और दूसरी भाभी — सिर्फ रुतबा दिखाने के लिए पर्स चोर बन गईं.
Authored By: Nishant Singh
Last Updated On: Saturday, May 17, 2025
Sister-in-law theft story Delhi: ननद-भाभी की कहानी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं लगती. रामा गार्डन की रहने वाली 30 वर्षीय रीना और 23 वर्षीय दयावती ने ‘बंटी-बबली’ स्टाइल में दिल्ली के बड़े-बड़े बाजारों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया. उनका टारगेट थीं बाजारों में खरीदारी करने आई महिलाएं — जो अक्सर भीड़ में अपने हैंडबैग की सुरक्षा को लेकर निश्चिंत होती हैं.
रुतबा दिखाने के लिए चोरी!
पुलिस पूछताछ में जब इन दोनों से सवाल किए गए, तो जो जवाब सामने आया वो बेहद हैरान करने वाला था. दोनों ने कबूला कि उन्हें महंगे स्मार्टफोन, ब्रांडेड कपड़े, और वीकेंड पार्टीज़ में अपनी धाक जमानी थी. लेकिन इस सबके लिए जेब में पैसे नहीं थे. मेहनत की जगह, इन्होंने आसान लेकिन गलत रास्ता चुना — चोरी.
इनका मानना था कि महिलाओं के पर्स उड़ाना सबसे आसान है, क्योंकि भीड़भाड़ में अक्सर महिलाएं सतर्क नहीं होतीं. इनकी यह सोच ही इन्हें धीरे-धीरे पेशेवर चोर बना बैठी. द्वारका से लेकर लाजपत नगर, सरोजिनी नगर और आखिरकार कृष्णा नगर — लगभग हर प्रमुख बाजार में ये महिलाएं वारदात कर चुकी थीं.
7 मई: जब कहानी पलटी
हर चोर के लिए एक दिन ऐसा आता है जब किस्मत साथ छोड़ देती है. रीना और दयावती के लिए वह दिन था 7 मई. शंकर नगर की एक महिला नितिका बाजार से लौट रही थीं. उन्होंने कृष्णा नगर से एक ई-रिक्शा लिया, जिसमें कुछ दूर बाद यही दो महिलाएं भी एक छोटे बच्चे के साथ सवार हुईं.
घोंडली चौक पहुंचते ही दोनों महिलाएं उतर गईं. तभी नितिका को एहसास हुआ कि उसके हैंडबैग में रखा छोटा पर्स गायब है. वह तुरंत चिल्लाईं – “रुको! मेरा पर्स ले गईं!” उनकी आवाज़ सुनकर राहगीरों और पुलिस की नजर इन दोनों पर पड़ी.
हवलदार की फुर्ती और महिला की बहादुरी
गश्त पर तैनात हवलदार महेश ने बिना एक पल गंवाए कार्रवाई की और दोनों महिलाओं का पीछा किया. लोगों की मदद से दोनों को मौके पर ही पकड़ लिया गया. हालांकि, पर्स तो मिला लेकिन नकद गायब था.
जब वरिष्ठ अधिकारी एएसआई चेतरपाल सिंह, हेड कांस्टेबल गजेंद्र, महिला कांस्टेबल मीनाक्षी और सुस्मिता जांच में जुटे, तो सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए. फुटेज ने सच्चाई सामने ला दी — चोरी के तुरंत बाद दोनों ने पैसे एक पॉलीथिन में डालकर ईंट के नीचे छिपा दिए थे. पुलिस ने मौके से ₹10,000 नकद भी बरामद कर लिए.
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फिल्मी अंदाज में पेशेवर प्लानिंग
रीना और दयावती कोई साधारण चोर नहीं थीं. इन्होंने पूरी प्लानिंग के साथ अपने हर कदम को अंजाम दिया. चोरी के बाद वे खुद को निर्दोष साबित करने के लिए पैसे मिट्टी में दबा देती थीं और पर्स को किसी सुनसान जगह फेंक देती थीं. उनके साथ बच्चा भी होता था, जिससे कोई शक न करे.
चौंकाने वाली बात ये रही कि दोनों पर पहले कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं था. यानी ये उनका पहला अपराध था जिसमें वे रंगेहाथ पकड़ी गईं.
एक आम महिला बनी मिसाल
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे प्रेरणादायक भूमिका रही नितिका की. उनकी सतर्कता, साहस और त्वरित निर्णय ने दो चोर महिलाओं को पकड़े जाने में अहम भूमिका निभाई. यह घटना इस बात का सबूत है कि एक जागरूक नागरिक और सक्रिय पुलिस बल मिलकर किसी भी अपराध को रोका जा सकता है.
सीख और सवाल
इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं — क्या दिखावा इतना जरूरी हो गया है कि इंसान अपने नैतिक मूल्यों को ताक पर रख दे? क्या समाज में बनावटी रुतबे के लिए अपराध को जायज ठहराया जा सकता है?
इस ननद-भाभी की जोड़ी ने शायद एक पल के शौक के लिए अपनी इज्जत, भरोसा और आज़ादी सब कुछ गंवा दिया.