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हाथरस हादसा (Hathras Incident): बाबा के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज नहीं, रिटायर्ड हाईकोर्ट जस्टिस करेंगे हादसे की जांच
हाथरस हादसा (Hathras Incident): बाबा के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज नहीं, रिटायर्ड हाईकोर्ट जस्टिस करेंगे हादसे की जांच
Authored By: ओम दत्त
Published On: Thursday, July 4, 2024
Updated On: Saturday, July 27, 2024
मंगलवार 2 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के एक सत्संग कार्यक्रम में हुए हादसे की तस्वीरों ने पूरे देश को रुला दिया जिसमें हर ओर लाशों का अंबार, चीख-पुकार, हृदयविदारक विलाप ,आंखों में बेबसी और पश्चाताप के आंसू दीख रहे हैं। इस हादसे में अभी तक 134 लोगों की मौत हो गई है। इनमें सात बच्चे और एक पुरुष शामिल हैं। शेष महिलाएं हैं। घायलों की हालत देखते हुए लगता है कि अभी मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है।
Authored By: ओम दत्त
Updated On: Saturday, July 27, 2024
पुलिस ने भोले बाबा के ‘सत्संग’ के आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, लेकिन बाबा का नाम एफआईआर में नहीं है। पुलिस ने एफआईआर में सत्संग आयोजकों पर 2.5 लाख लोगों को कार्यक्रम स्थल में ठूंसने का आरोप लगाया गया है, जबकि उन्होंने केवल 80,000 लोगों की अनुमति ली थी।
सवाल उठ रहे हैं कि जिस बाबा के नाम पर लोग आये थे, और वो बाबा हादसा होने के समय लोगों की सुध न लेकर अपनी चमचमाती गाड़ियों से निकल भागा। जिस बाबा के सत्संग में लाशों का अंबार लग गया,उसके खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं की गई है। आखिर उसे बचा कौन रहा है!
सत्संग स्थल पर कैसे हुआ हादसा
दिल को झकझोर देने वाली ये हृदयविदारक घटना हाथरस जिले से 48 किमी दूर सिकंदराराऊ कस्बे के फुलरई गांव की है जहां साकार हरि बाबा उर्फ भोले बाबा का सत्संग हो रहा था और इस सत्संग में लगभग ढाई लाख श्रद्धालुओं की भीड़ जमा थी। सूत्रों के अनुसार इस सत्संग में एटा, हाथरस सटे हुए जिलों के अलावा और सत्संग में आगरा, अलीगढ़, बदायूं, कासगंज, मथुरा,पीलीभीत, शाहजहांपुर बुलंदशहर, हरियाणा,राजस्थान आदि जगहों से भी लोग पहुंचे थे।
पूरा वाकया बताते हुए डीएम हाथरस ने कहा कि ” 2जुलाई को नेशनल हाईवे -91 पर फुलरई गांव मुगलगढ़ी में बाबा साकार हरि का प्रवचन था। सत्संग पांडाल में दो लाख से अधिक की भीड़ थी। नारायण साकार 12.30दोपहर पाण्डाल में पहुंचे और 1.40बजे पर भोले बाबा पांडाल से निकल कर एटा जाने के लिये हाइवे -91 पर आये। जिस रास्ते बाबा निकल रहे थे उस रास्ते पर भीड़ उनके चरणों की धूल लेने के लिए दौड़ पड़ी। भीड़ बाबा तक न पहुंचे इसलिए बाबा के निजी सुरक्षाकर्मी ब्लैक कमांडो भीड़ को रोकने लगे। इसी धक्का-मुक्की में लोग गिरने लगे और भीड़ में दबकर महिलाएं, पुरुष और बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए।”
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सत्संग में आये लोगों के बीच घोषणा की गई कि जो लोग बाबा के चरण रज यानी बाबा के पैरों के नीचे आयी मिट्टी घर ले जायेंगे उनकी सारी परेशानी दूर होगी। बस फिर क्या था जैसे ही सत्संग समाप्त हुआ लोग बाबा के चरण रज लेने के लिये एक साथ दौड़ पड़े और आगे निकले की होड़ लग गई। भारी भीड़ को रोकने के लिये बाबा के वालंटियर्स ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया जिससे वहां भगदड़ मच गई और लोग एक दूसरे पर गिरने लगे। उनके मुताबिक वहीं पर एक गड्ढा था और बारिश भी हुई थी जिससे लोग उसी में गिरते गये फिर भीड़ में दबकर कई की दम घुटने से मौत हो गई,तो कई लोग घायल हो गए। कुछ लोग ये भी बता रहे हैं कि सत्संग स्थल से बाहर निकलने का गेट काफी संकरा था और तभी भोले बाबा को पीछे के गेट से निकाला जाने लगा जिसमे बाबा को छूने और उनके पास तक पहुंचने के लिए लोग दौड़ने लगे,इसी बीच भगदड़ मच गई और देखते ही देखते लोग हादसे के शिकार होते गये।
बाबा भक्तों को मरता छोड़ भाग निकला
भोले बाबा ने अपनी सफाई में बयान जारी किया है कि मैं भगदड़ से बहुत पहले सत्संग स्थल छोड़ दिया था जबकि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जब बाबा निकलने लगा तभी ये हादसा हुआ। ये विडम्बना ही है कि जिस बाबा के पीछे लोग दीवाने थे,उसके पैरों की धूल लेना चाह रहे थे ,उसने अपने इन भक्तों की कोई सुध नहीं ली। बल्कि जब भगदड़ मची थी लोगो की चीख-पुकार मची थी उसी दौरान भक्तों की ओर से बेपरवाह बाबा अपने लाव-लश्कर के साथ चमचमाती गाड़ियों से भाग निकला। और तो और बाबा के वालेंटियर्स और आयोजकों ने भी घायलों की मदद नहीं की और वो भी मौके से फरार हो गये।
अस्सी हजार लोगों के शामिल होने की अनुमति थी
यूपी के ममुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के अनुसार एसडीएम ने सभा में अस्सी हजार लोगों के शामिल होने की अनुमति दी थी लेकिन दो लाख से अधिक भीड़ जमा हो गई थी।
भीड़ पर नियंत्रण का नहीं था सही इंतजाम
बताया जा रहा है कि इस सत्संग की तैयारी पिछले कई दिनों से हो रही थी,पंडाल भी तैयार किया गया था जिससे भीड़ का अंदाजा लगाया जा सकता था। लेकिन यहां का ख़ुफ़िया विभाग भी लापरवाह था जिसने इकट्ठी होने वाली भीड़ की सही संख्या का अनुमान सरकार को नहीं बताया। सूत्रों के अनुसार इतनी बड़ी भीड़ को नियंत्रित करने के लिये केवल 40 पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई थी। इंट्री और एक्जिट गेट नहीं बनाये गये थे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिये प्रापर बैरियर भी नहीं थे। इसके अतिरिक्त एम्बुलेंस और आकस्मिक चिकित्सा सेवा की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी।
हालांकि डीएम आशीष कुमार के मुताबिक, कानून-व्यवस्था के लिए कार्यक्रम स्थल के बाहर ड्यूटी लगाई गई थी लेकिन अंदर भक्तों के लिये व्यवस्था खुद आयोजकों की ओर से की जानी थी।
लाशों के ढेर लग जाने के कारण हाथरस में पोस्टमॉर्टम के लिए जगह नहीं बची इसलिए शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए आगरा, अलीगढ़ मॉर्चरी में लाया गया। लोग बेबस होकर इधर-उधर अपनों को खोज रहे थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने हादसे पर तुरंत लिया ऐक्शन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना के संज्ञान में आते ही यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार और मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह तथा अपने तीन मंत्रियों को तत्काल तत्काल घटनास्थल पर पहुंच कर घायलों की हर संभव मदद करने का निर्देश दिया। निकटवर्ती 34 जिलों के प्रशासन और डॉक्टरों को भी अलर्ट कर दिया है। सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये दिए जा रहे हैं।
बुधवार को मुख्यमंत्री योगी ने हाथरस पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया और कहा कि ये साजिश भी हो सकती है। उन्होंने ने कहा कि हादसे की जांच SIT करेगी । रिपोर्ट आने के बाद कड़ी कार्रवाई की जायेगी। इसके अलावा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज न्यायमूर्ति ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी भी बनाई गई है जो इस हादसे की जांच करेगी। इस हादसे को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी ने भी दुःख जताया है।
कौन है ये कथावाचक जिसके सत्संग में इतनी भीड़ जुटती है
यह सत्संग नारायण साकार हरि नाम के कथावाचक का था, जिसको लोग भोले बाबा और विश्व हरि के नाम से जानते हैं। इस सत्संग का आयोजन मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम समिति ने किया था।
नारायण साकार हरि का असली नाम सूरजपाल जाटव है। यह कासगंज ज़िले के पटियाली के बहादुरपुर गांव का निवासी बताया जाता है। सूरजपाल जाटव उत्तर प्रदेश पुलिस के खुफिया विभाग में कॉन्स्टेबल नौकरी कर रहा था। क़रीब 28 साल पहले छेड़खानी के एक मामले में अभियुक्त होने के कारण निलंबन की सज़ा मिली। निलंबन के कारण सूरजपाल जाटव को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।सूरजपाल एटा जेल में काफ़ी लंबे समय तक क़ैद रहा और जेल से रिहाई के बाद सूरजपाल ने बाबा का चोला अपनाया।
लोगों को इस पाखंडी बाबा ने ये बताया कि उसने पुलिस सेवा से वीआरएस लिया था जबकि सूत्रों की मानें तो इसको नौकरी से बर्खास्त किया गया था। सबसे पहले उसने आगरा जिले में स्थित अपने मकान के बाहर एक नल की टोटी लगाकर प्रचारित किया कि इसका पानी पीने से सभी तरह की बीमारी दूर होगी। फिर तो इसने इस तरह के कई नल लगवा दिये।और फिर अंधविश्वास का उसका धंधा चल निकला। देखते-देखते उसने अपने लाखों भक्त बना लिये। बाबा की विशेषता है कि वह ज्यादातर सफेद कपड़ों में रहता है। या तो सफेद कुर्ता पायजामा पहनेगा या फिर सफेद सूट, टाई और सफेद जूता।
इस पाखंडी बाबा ने अपने को हरि का स्वरूप बता कर खुद को “चमत्कारी बाबा” बन बैठा था। चमत्कार करने के चक्कर में 24 साल पहले इसने अपने चमत्कार से एक मृत किशोरी को जिंदा करने की कोशिश की थी जिसमें उसपर केस दर्ज हुआ था। भोले बाबा अपनी पत्नी के साथ सत्संग करता था।
सूत्र बता रहे हैं कि इस पाखंडी बाबा के समाजवादी पार्टी से लेकर भाजपा और बसपा के नेता भक्त हैं। बसपा सरकार में तो ये नीली बत्ती लगी गाड़ी से चलता था। भक्तों को विश्वास में लेने के लिये बाबा अपने भक्तों से सीधे कोई चढ़ावा नहीं लेता था बल्कि जहां सत्संग होते थे उनके आयोजकों के माध्यम से लाखों चन्दा इकट्ठा करता था। और देखते-देखते उसने अपने कई आलीशान आश्रम बना लिया है और ये बाबा अब तक अकूत सम्पत्ति इकट्ठा कर चुका है। लोगों का तो ये भी कहना है कि बाबा लक्जरी लाइफ जीता था और इसके अपने कम से कम 70-80 कमांडों थे जिन्हें स्वयंसेवक कहा जाता है।
धार्मिक आयोजनों में पहले भी हो चुके हैं हादसे
ये पहली बार नहीं है जब इस तरह के धार्मिक आयोजनों में भगदड़ मची है और लोग मारे गए हैं। इससे पहले भी धार्मिक सत्संगों या आयोजनों में कई हादसे हो चुके हैं लेकिन इससे सबक नहीं लिया गया। 2005 में महाराष्ट्र में सतारा के मांढरदेवी मंदिर में मची भगदड़ में 340 लोगों की मौत हो गई थी। 2008 में हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में हुए हादसे में 162 लोगों की मौत हो गई थी। इसी वर्ष राजस्थान के चामुंडा देवी मंदिर में भगदड़ के दौरान 250 लोग मारे गए थे। पिछले वर्ष इंदौर में रामनवमी के मेले में मची भगदड़ मे 36 लोगों की मौत हो गई थी।
जब ऐसे बड़े धार्मिक मेले या सत्संगों में हादसे हो चुके हैं फिर भी हादसों का सिलसिला न रुके तो प्रशासन, पुलिस,भोले बाबा जैसे बाबाओं और उनके आयोजकों पर सवाल उठना लाजिमी है। बस हादसे पर जांच कमेटी बनेगी, कुछ अफसर कर्मचारी सस्पेंड किये जायेंगे,हादसे के शिकार लोगों और उनके परिजनों को मुआवजा दे दिया जाता है,और फिर सब समान्य हो जायेगा।
अब इसी केस में वास्तव में जिम्मेदारी तो भोले बाबा की है,उसका सत्संग,उसके लोग, भक्त उसके नाम पर जुटे, लाशों के ढेर भी उसी के सत्संग में लगे, जबकि सत्संग में आये भक्तों की सुरक्षा की निगरानी भी तो बाबा और उसके चेलों की थी, फिर भी पुलिस की निगाह में वह बाबा दोषी नहीं है तभी बाबा के खिलाफ एफआईआर तक नहीं हुई। बस दिखावे के लिये उसे ढूंढने का उपक्रम किया जा रहा है। हाथरस भगदड़ कांड के दो दिन बीत चुके हैं मगर अब भी पुलिस के हाथ खाली हैं। जी हां, जिस बाबा के सत्संग में लाशों का अंबार लग गया, वह अब भी पुलिस की गिरफ्त से गायब है.अब जबकि सीएम योगी आदित्यनाथ ऐक्शन में हैं और उनके तेवरों को देखकर लगता है कि संभवतः ऐसी कार्रवाई हो कि भविष्य में ऐसे हादसों पर अंकुश लग सके।