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Gayatri Mahayagya : 15 अप्रैल से 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ, क्या है यज्ञ कुंड की महत्ता
Gayatri Mahayagya : 15 अप्रैल से 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ, क्या है यज्ञ कुंड की महत्ता
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, April 11, 2025
Updated On: Friday, April 11, 2025
Gayatri Mahayagya : हरिद्वार में गायत्री परिवार की ओर से 15 अप्रैल से 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ शुरू किया जा रहा है. यज्ञ में कुंड और उनकी संख्या का विशेष महत्व है. जानते हैं 24 कुंड का आध्यात्मिक पहलू क्या है.
Authored By: स्मिता
Updated On: Friday, April 11, 2025
Gayatri Mahayagya : विश्व शांति राष्ट्र जागरण के लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार (हरिद्वार) के मार्गदर्शन में पंचमुखी महादेव मंदिर में 15 से 19 अप्रैल तक 24 कुंडीय शक्ति संवद्र्धन गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा. 11 अप्रैल को भूमि पूजन और ध्वज पूजन किया जाएगा. सुबह नौ बजे देव पूजन, अतिथि संस्कार, प्रज्ञा गीत और देव पूजन होगा. अर्ध सूर्याकार में बैठे 27 यजमान भूमि पूजन में शामिल (Gayatri Mahayagya) होंगे.
चावल और दही का भोग (Rice Curd Prasadam)
यज्ञ की शुरुआत में धरती से उत्खलन करने की स्वीकृति मांगी जाएगी. भूमि में गड्ढ़ा खोदकर चावल और दही का भोग अर्पित किया जाएगा. पंच मंगल द्रव्य अर्पित कर चूनरी धारण कराई जाएगी. इसके बाद यज्ञशाला का निर्माण प्रारंभ होगा. यज्ञ के बाद एक साल तक गायत्री परिवार द्वारा यज्ञ, संस्कार, स्वावलंबन, नशा मुक्ति, कुरीति उन्मूलन सहित अन्य गतिविधियों का संचालन किया जाएगा.
दीप महायज्ञ का आयोजन
गायत्री परिवार राजस्थान के समन्वयक ओमप्रकाश अग्रवाल के अनुसार, यह यज्ञ पूरी तरह नि:शुल्क है. किसी भी जाति, वर्ग के लोग इसमें शामिल हो सकते हैं. ज्वारों से यज्ञशाला की सात्विक सजावट की जाएगी. 1100 से अधिक महिलाएं सिर पर कलश लेकर मंगल गीत गाती चलेंगी. कार्यकर्ता गोष्ठी और संगीतमय प्रवचन भी होंगे. 18 अप्रैल को सुबह आठ बजे से गायत्री महायज्ञ और विभिन्न संस्कार कराए जाएंगे. राष्ट्र जागरण दीप महायज्ञ भी होगा.
धार्मिक और आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए यज्ञ (Yagna Importance)
गायत्री को सद्बुद्धि और यज्ञ को सद्कर्म कहा गया है. दोनों के समन्वय से सभी समस्याओं का समाधान होता है. सुविधानुसार यज्ञ किया जाता है. मंत्र का जाप करके और अग्नि में घी और चीनी की आहुति देकर यज्ञ किया जा सकता है. यज्ञ विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है. देवताओं को प्रसन्न करना, आशीर्वाद प्राप्त करना और कुछ विशिष्ट इच्छा पूर्ति के लिए यज्ञ किया जाता है.
क्या है 24 कुंड का आध्यात्मिक महत्व (Spiritual Significance of 24 Yagna Kunda)
यज्ञ कुंड विभिन्न प्रकार के आकृतियों में बनाए जाते हैं. गोलाकार, अर्धवृत्ताकार, त्रिकोण, वर्गाकार भी यज्ञकुंड बनाए जाते हैं. इन आकृतियों का उपयोग कुंड को आध्यात्मिक शक्ति देने के लिए किया जाता है. यज्ञों में 24 कुंड एक विशिष्ट संख्या है. यह गायत्री यज्ञ और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में देखी जाती है. यह संख्या यज्ञ की शक्ति और महत्व का प्रतीक है. इसमें भाग लेने वाले यजमानों की संख्या से भी यह संबंधित हो सकता है.
(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)
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