About Author: संजय श्रीवास्तव प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में 15 वर्षों से अधिक अनुभव रखने वाले एक कुशल और अनुभवी पत्रकार हैं। वैश्विक मुद्दों की गहरी समझ और विविध विषयों पर तार्किक व संतुलित लेखन उनकी प्रमुख विशेषताएं हैं। संजय श्रीवास्तव ने अपने करियर में संवेदनशील और विवादास्पद मामलों को भी निष्पक्ष और तथ्यात्मक रूप से प्रस्तुत किया है। उनका लेखन न केवल सूचनात्मक है, बल्कि पाठकों को सोचने और समकालीन मुद्दों को बेहतर ढंग से समझने के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने राजनीति, समाज, अर्थशास्त्र, और वैश्विक घटनाओं जैसे विषयों पर अपनी गहन पकड़ और निष्पक्ष दृष्टिकोण के साथ पत्रकारिता जगत में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।
Posts By: संजय श्रीवास्तव
दुनिया की सबसे बड़ी लोकतंत्र की चुनावी प्रक्रिया, एक्जिट पोल और उसके परिणामों पर विदेशी मीडिया की लगातार गहरी नजर रही। उन्होंने इस पर व्यापक प्रतिक्रिया दी। इंग्लैंड के डेली एक्सप्रेस (Daily Express) के सैम स्टीवेंसन लिखा कि भारतीयों में लोकतंत्र को लेकर गज़ब उत्साह है। समय आ गया है कि अब भारत विरोधी प्रलाप बंद हों। नए भारत की सकारात्मक प्रवृत्तियों पर गौर करना होगा।
रईसी की मौत के बाद ईरान की सियासत में हलचल है ईरान की अंदरूनी सियासत क्या करवट लेती है, अंतरराष्ट्रीय रिश्तों और बाज़ार पर इसका क्या असर होगा इस पर भारत समेत कई देश नजर रख रहे हैं
चाबहार समझौते को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्रालय का रुख छिपे शब्दों में भारत पर प्रतिबंधों की धमकी देने वाला है पर विदेश मंत्री एस जयशंकर की कूटनीतिक दो टूक ने साफ कर दिया कि देश अमेरिकी भभकियों से डर कर देशहित के कार्यों से पीछे हटने वाला नहीं है...
गुलाम कश्मीर के मुद्दे ने आम चुनाव में जगह बना ली है। मतदान के अगले तीन चरणों में यह मुद्दा बहुत अहम रहने वाला है। बेशक यह भाजपा के पक्ष में प्रभाव डालने वाला होगा। पर सवाल अब भी यही है कि ग़ुलाम कश्मीर कब और कैसे होगा हमारा।
विदेशी मीडिया में भारत के हलिया आम चुनावों का मुद्दा मार्च महीने से ही छाया हुआ है। अचरज की बात यह है कि सभी अलग अलग आवाज में लेकिन एक सुर में कह रहे हैं, “आयेगा तो मोदी ही”
स्वेज नहर के रास्ते व्यापारिक जहाजों पर हूतियों के हमलों ने केप ऑफ गुड होप के लंबे रास्ते को अपनाने के लिए मजबूर कर दिया है। इससे पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है