पराठे, पॉपकॉर्न के बाद GST विभाग की नजर हाजमोला कैंडी पर, भारी टैक्स लगाने पर विचार

पराठे, पॉपकॉर्न के बाद GST विभाग की नजर हाजमोला कैंडी पर, भारी टैक्स लगाने पर विचार

Authored By: Suman

Published On: Wednesday, April 16, 2025

Updated On: Wednesday, April 16, 2025

Hajmola Candy GST विवाद: आयुर्वेदिक दवा या साधारण कैंडी.
Hajmola Candy GST विवाद: आयुर्वेदिक दवा या साधारण कैंडी.

पराठे, पॉपकॉर्न, दही के बाद अब GST  विभाग की नजर हाजमोला कैंडी पर है. जीएसटी विभाग अब यह जांच कर रहा है कि क्या हाजमोला कैंडी (Hajmola Candy) पर भारी टैक्स लगाया जाना चाहिए.

Authored By: Suman

Updated On: Wednesday, April 16, 2025

Hajmola Candy GST : पराठे, पॉपकॉर्न, दही के बाद अब GST  विभाग की नजर हाजमोला कैंडी पर है. पाचन की तमाम दवाओं और चूरन के बीच हाजमोला कैंडी काफी लोकप्रिय है. इसके चटपटे स्वाद की वजह से बच्चे भी इसे खाते हैं. अब यह कैंडी जीएसटी विभाग को पसंद आ गई है. जीएसटी विभाग अब यह जांच कर रहा है कि क्या हाजमोला कैंडी (Hajmola Candy) पर भारी टैक्स लगाया जाना चाहिए.

गुड्स ऐंड सर्विसेस टैक्स (GST) विभाग के कुछ कर अधिकारी मानते हैं कि यह कोई आयुर्वेदिक उत्पाद नहीं बल्कि सिर्फ एक सामान्य कैंडी है. दूसरी तरफ इसकी उत्पादक डाबर इंडिया इसे आयुर्वेदिक दवा के रूप में बेचती है. अभी आयुर्वेदिक दवा मानते हुए इस पर 12 फीसदी का टैक्स लगता है. लेकिन अगर यह साबित हो गया कि हाजमोला कैंडी आयुर्वेदिक उत्पाद नहीं बल्कि एक सामान्य कैंडी है तो इस पर 18 फीसदी का जीएसटी लगाया जा सकता है.

कैंडी या आयुर्वेदिक उत्पाद

इन सब के बीच जीएसटी अधिकारी जांच कर रहे कि हाजमोला कैंडी को क्या कहा जाए -एक कैंडी या फिर एक आयुर्वेदिक उत्पाद. जीएसटी इंटेलीजेंस महानिदेशालय ने इस मामले की जांच शुरू की है. बिजनेस लाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार इस बारे में डाबर को (Dabur India) एक समन भी भेजा गया है.

इस बारे में पिछले करीब 20-25 साल से कई बार विवाद सामने आए हैं. साल 2016 में एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने च्यवनप्राश, हाजमोला और हाजमोला कैंडी को कर के लिहाज से आय़ुर्वेदिक उत्पाद कहे जाने के पंचाट के फैसले को सही ठहराया था. तब मामला दायर करने वाले टैक्स विभाग ने कहा था कि हाजमोला कैंडी तो जनरल स्टोर में भी बेचा जाता है, सिर्फ दवा कि दुकानों पर नहीं इसलिए इसे आयुर्वेदिक उत्पादन नहीं माना जा सकता.

लेकिन हाईकार्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सिर्फ बेचे जाने की जगह के आधार पर यह तय नहीं किया जा सकता कि हाजमोला कैंडी आयुर्वेदिक उत्पाद है या नहीं. डाबर इंडिया आयुर्वेदिक एवं यूनानी दवा के लाइसेंस के तहत ही इसका उत्पादन करती है. इसलिए इसे आयुर्वेदिक उत्पाद माना गया.

जीएसटी को लेकर खूब मुकदमेबाजी

हाल के वर्षों में पापड़, पराठा, दही और पॉपकॉर्न जैसे मसलों पर जीएसटी को लेकर खूब मुकदमेबाजी हुई थी. GST विभाग ने कहा कि पापड़ पर तो जीएसटी नहीं, लेकिन कचारी पापड़ (जिसे आम बोलचाल की भाषा में फ्रायम्स कहते हैं), पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा. इसी तरह पराठा अगर सामान्य रेस्त्रां में खा रहे हैं तो पूरे खाने के बिल पर 5 फीसदी की दर से जीएसटी देना पड़ सकता है, लेकिन अगर पराठा प्री पैक्ड और उसे गरम करके आप खाएंगे तो वहां जीएसटी की दर 18 फीसदी होगी. पॉपकॉर्न का मामला भी हाल में आया था. बगैर किसी ब्रांड और बगैर डिब्बाबंद नमकीन पॉपकॉर्न पर जीएसटी की दर (GST rates on popcorn) 5 फीसदी, ब्रांडेट और पैक्ड नमकीन-मसालेदार पॉपकॉर्न पर 12 फीसदी और कैरमेलाइज्ड़ पॉपकॉर्न पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगाया गया है.

About the Author: Suman
सुमन गुप्ता एक स्वतंत्र पत्रकार हैं जो आर्थिक और राजनीतिक विषयों पर अच्छी पकड़ रखती हैं। कई पत्र—पत्रिकाओं के लिए पिछले दस साल से स्वतंत्र रूप से लेखन। राष्ट्रीय राजनीति, कोर इकोनॉमी, पर्सनल फाइनेंस, शेयर बाजार आदि से जुड़े उनके सैकड़ों रिपोर्ट, आर्टिकल प्रकाशित हो चुके हैं।
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