Trump Tariff: मंदी के डर से शेयर बाजारों में ‘रक्तपात’, भारतीय मार्केट भी धराशायी

Trump Tariff: मंदी के डर से शेयर बाजारों में ‘रक्तपात’, भारतीय मार्केट भी धराशायी

Authored By: Suman

Published On: Monday, April 7, 2025

Updated On: Monday, April 7, 2025

शेयर बाजार में गिरावट की खबर - ट्रंप टैरिफ असर
शेयर बाजार में गिरावट की खबर - ट्रंप टैरिफ असर

भारत सहित एशियाई शेयर बाजार (Share Market) धराशायी हो गए हैं. सोमवार को बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) 3914 अंकों की भारी गिरावट के साथ 71,449.94 पर खुला.

Authored By: Suman

Updated On: Monday, April 7, 2025

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप (Donald Trump)  के दुनिया के करीब 60 देशों के आयात पर भारी टैरिफ (Trump Tariff) लगाने के असर से अब ग्लोबल मंदी की आशंका जताई जाने लगी है. इसके असर से अमेरिकी शेयर बाजार में कोहराम ​मच गया और भारत सहित एशियाई बाजार (Share Market) भी धराशायी हो गए हैं.

सोमवार को बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) 3914 अंकों की भारी गिरावट के साथ 71,449.94 पर खुला. इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी (NSE Nifty)  1146 अंकों की गिरावट के साथ 21,758.40 पर खुला.

कारोबार के अंत में सेंसेक्स 2226.79 अंक टूटकर 73,137.90 पर बंद हुआ. इसी तरह निफ्टी करीब 743 अंक टूटकर 22,161.60 पर बंद हुआ.

ग्लोबल मार्केट में कोहराम

सोमवार को अमेरिकी वायदा बाजार (American futures market) में कोहराम दिख रहा है तो एशिया के सभी प्रमुख बाजार (Asian stocks) भी धराशायी हो गए. अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह संकेत दिया कि वह टैरिफ पर पीछे नहीं हटने वाले हैं और कई एजेंसियों ने अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों के इससे मंदी में चले जाने की आशंका जताई है. इससे निवेशकों में हताशा घर कर गई है. निवेशक लाखों करोड़ डॉलर गंवा चुके हैं. पिछले हफ्ते ही अमेरिकी निवेशकों को करीब 6 लाख करोड़ डॉलर का नुकसान हो चुका था.

अमेरिकी वायदा शेयर बाजार में S&P 500 futures 3.1 फीसदी, Nasdaq futures 4 फीसदी टूट गए. यूरोप के बाजारों में देखें तो EUROSTOXX 50 futures d3.0% और FTSE futures 2.7% टूट गया. इसी तरह DAX futures करीब 3.5% टूट गया.
अमेरिका का एक्सचेंज नैस्डेक तो पिछले हफ्ते ही 20 फीसदी से ज्यादा टूट गया यानी मंदी के दायरे में पहुंच चुका है.

बुधवार को ट्रंप ने भारत पर 26 फीसदी का जवाबी शुल्क लगाने का ऐलान किया. इसी तरह चीन पर 34 फीसदी का जवाबी टैरिफ लगाया गया और पहले लगाए गए 20 फीसदी के साथ चीन पर कुल टैरिफ बढ़कर 54 फीसदी हो गया. इससे दुनिया भर में ट्रेड वॉर छिड़ने की आशंका बढ़ गई है.

ट्रंप ने करीब 60 देशों पर आयात पर 10 फीसदी के बेसलाइन टैक्स के अलावा अलग-अलग देश के अनुसार भारी आयात टैक्स लगाया है. जापान पर 24 फीसदी और दक्षिण कोरिया पर 25 फीसदी का अतिरिक्त टैक्स लगाया है. यूरोपीय यूनियन पर 20 फीसदी का अतिरिक्त टैक्स लगाया गया है.

ट्रंप ने जो कदम उठाए हैं उससे ग्लोबल ट्रेड वार की आशंका थी और यह दिखने भी लगा है. चीन ने भी शनिवार को जवाबी कदम उठाते हुए अमेरिका के आयात पर 34 फीसदी का अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है. इसके बाद तो अमेरिकी बाजार में और रक्तपात मच गया.

एशियाई बाजारों में भी रक्तपात देखा जा रहा है. आज जापान का प्रमुख एक्सचेंज Nikkei 6% तक टूट गया. दक्षिण कोरिया का एक्सचेंज KOSPI 5 फीसदी की गिरावट के साथ खुला. ताइवान का मुख्य एक्सचेंज करीब 11 फीसदी टूट गया.

मंदी की आशंका से कच्चा तेल, सोना और चांदी भी नरम पड़े हैं. कच्चा तेल करीब 2 फीसदी टूट गया है. ब्रेंट क्रूड 64.23 डॉलर प्रति बैरल तो अमेरिकी क्रूड 60.60 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है.

जेपी मॉर्गन के इकनॉमिक्स के हेड ब्रुस कसमैन ने कहा, ‘अमेरिका की व्यापार नीतियों का आकार और असर इतना गहरा है अगर यह जारी रहा तो अमेरिका और दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं मंदी के दौर में जा सकती हैं.’ जेपी मॉर्गन ने कहा कि ग्लोबल मंदी की आशंका बढ़कर 60 फीसदी तक हो गई है.

क्या करना चाहिए निवेशकों को

वैसे तो बेहतर यही है कि अभी कुछ महीनों तक वेट ऐंड वॉच की नीति अपनाई जाए लेकिन कई निवेशकों का यह भी कहना है जिन निवेशकों के पास लॉन्ग टर्म के लिए पैसा लगाने के लिए फंड है वे इस गिरते बाजार का फायदा उठाकर सस्ते शेयर चुन सकते हैं और लॉन्ग टर्म में अच्छा पैसा बना सकते हैं.

(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार और निवेश संबंधी खबरें सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से दी जाती हैं. इसे निवेश सलाह नहीं मानना चाहिए. ​किसी भी तरह के निवेश से पहले सेबी रजिस्टर्ड किसी सलाहकार की राय जरूर लें.)

About the Author: Suman
सुमन गुप्ता एक स्वतंत्र पत्रकार हैं जो आर्थिक और राजनीतिक विषयों पर अच्छी पकड़ रखती हैं। कई पत्र—पत्रिकाओं के लिए पिछले दस साल से स्वतंत्र रूप से लेखन। राष्ट्रीय राजनीति, कोर इकोनॉमी, पर्सनल फाइनेंस, शेयर बाजार आदि से जुड़े उनके सैकड़ों रिपोर्ट, आर्टिकल प्रकाशित हो चुके हैं।
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