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क्या होते हैं वर्चुअल क्रेडिट कार्ड, क्या ये फिजिकल कार्ड से ज्यादा सुरक्षित हैं.
क्या होते हैं वर्चुअल क्रेडिट कार्ड, क्या ये फिजिकल कार्ड से ज्यादा सुरक्षित हैं.
Authored By: Suman
Published On: Tuesday, March 18, 2025
Last Updated On: Tuesday, March 18, 2025
बैंकिंग दुनिया में जिस तरह तेजी से टेक्नोलॉजी का विकास हो रहा है, उसके असर से क्रेडिट कार्ड भला कैसे बच सकता है. टेक्नोलॉजी के इसी चमत्कार की बदौलत Virtual credit cards भी प्रचलन में आ गए हैं.
Authored By: Suman
Last Updated On: Tuesday, March 18, 2025
Virtual credit cards: बैंकिंग दुनिया में जिस तरह तेजी से टेक्नोलॉजी का विकास हो रहा है, उसके असर से क्रेडिट कार्ड भला कैसे बच सकता है. तो अब टेक्नोलॉजी के इसी चमत्कार की बदौलत वर्चुअल क्रेडिट कार्ड (Virtual credit cards) भी प्रचलन में आ गए हैं. क्या होते हैं ये वर्चुअल कार्ड और क्या ये फिजिकल कार्ड से ज्यादा सुरक्षित होते हैं? आइए इसे समझते हैं.
वर्चुअल क्रेडिट कार्ड का फायदा
अब हर तरफ डिजिटल पेमेंट का प्रचलन बढ़ रहा है. अब बड़े रिटेल चेन से लेकर सब्जी दुकानदार तक यूपीआई से पेमेंट लेते हैं, इसकी वजह से डेबिट कार्ड का इस्तेमाल कम से होता जा रहा है. ऐसे में भला क्रेडिट इसके असर से कैसे बच सकता है. इसकी वजह से कई बैंक पहले से ही तैयार हो गए हैं और उन्होंने वर्चुअल यानी डिजिटल क्रेडिट कार्ड लॉन्च कर दिए हैं. इन क्रेडिट कार्ड से पेमेंट का तरीका काफी सहज और आसान होता है. यह ज्यादा सुरक्षित भी होता है और वर्चुअल होने से यह सुनिश्चित होता है कि पूरा लेनदेन सुरक्षित हो.
यह असल में आपके असल क्रेडिट कार्ड की ही इलेक्ट्रॉनिक कॉपी होती है. इसमें एक 16 डिजिट का अस्थायी नंबर अलॉट किया जाता है तो आपके मूल क्रेडिट कार्ड से ही जुड़ा होता है. इसके साथ ही आपको एक सीवीवी और एक्सपायरी डेट भी दी जाती है. इस तरह के वर्चुअल कार्ड का फायदा यह होता है कि इसे चुराया नहीं जा सकता. इसे इंटरनेट पर सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है. यह आपके संवेदनशील डेटा को सुरक्षित रखते हैं और इनके ऑनलाइन इस्तेमाल पर भी मिसयूज या चोरी का जोखिम भी कम से कम होता है.
असल में इस तरह से इस्तेमाल में आपका जो असली क्रेडिट कार्ड नंबर है वह कहीं से भी सार्वजनिक नहीं होता. इसलिए जोखिम कम हो जाता है. इसकी वजह से आप किसी तरह के डेटा चोरी या अहम जानकारी में सेंध के खतरे से बच जाते हैं.
सिक्योरिटी फीचर
इन कार्ड में कई यूनीक सिक्योरिटी फीचर होते हैं. जैसे कि ब्लॉकिंग क्षमता. इन्हें तत्काल ब्लॉक किया जाता है. मान लीजिए किसी के वर्चुअल क्रेडिट की जानकारी चुरा भी ली जाती है तो इस कार्ड को आसानी से बंद किया जा सकता है. फिजिकल कार्ड को बंद करने की प्रक्रिया थोड़ी लंबी होती है.
फिजिकल कार्ड की तरह वर्चुअल कार्ड के लिए भी कस्टमर ऑनलाइन खर्च की लिमिट तय कर सकते हैं. इसकी वजह से इसमें यूजर्स आसानी से अपने स्पेडिंग लिमिट को कस्टमाइज कर सकते हैं. इससे यूजर आसानी से अपने बजट पर नियंत्रण रख सकता है और फर्जीवाड़े पर अंकुश लग सकता है.
वर्चुअल क्रेडिट कार्ड का फायदा यह होता है कि आपको हर परचेज पर रियल टाइम अपडेट मिलता है. इससे आपको तत्काल पता चल सकता है कि कहीं कोई अनधिकृत लेनदेन तो नहीं कर रहा.
यूपीआई के साथ इंटीग्रेशन
कई बैंक वर्चुअल क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से इंटीग्रेट करने की सुविधा भी दे रहे हैं. यह बहुत अच्छी सुविधा है. इसका मतलब है कि यूपीआई से आप क्रेडिट कार्ड स्पेंडिंग कर सकते हैं.
हालांकि यह बात ध्यान रखनी होगी कि वर्चुअल कार्ड भले ही सुरक्षित हों, लेकिन आप अगर इसे इस्तेमाल कर रहे हैं तो पूरी तरह निश्चिंत नहीं होना चाहिए क्योंकि डिजिटल दुनिया में हैकिंग और फर्जीवाड़ा कभी भी हो सकता है. लगातार नजर रखें कि आपका क्रेडिट कार्ड कितना इस्तेमाल हुआ है और कहीं कोई अवांछित लेनदेन तो नहीं हुआ है.
क्या हैं सीमाएं
अभी भारत में कोटक महिंद्रा बैंक,एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक जैसे कुछ बड़े निजी बैंकों ने वर्चुअल क्रेडिट कार्ड की सुविधा शुरू की है. क्रेडिट कार्ड की अभी भारत में इस्तेमाल की कुछ सीमाएं हैं. भारत में अभी इस तरह के कार्ड सिर्फ ऑनलाइन लेनदेन में ही इस्तेमाल होते हैं और ऑफलाइन यानी दुकानों आदि पर सीधे खरीदारी में आप इनका इस्तेमाल नहीं कर सकते. लेकिन आगे चलकर यह सुविधाएं भी शुरू हो सकती हैं.