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कम्युनिटी गार्डनिंग (Community Gardening) प्रकृति के साथ बढ़ता मेलजोल
कम्युनिटी गार्डनिंग (Community Gardening) प्रकृति के साथ बढ़ता मेलजोल
Authored By: अंशु सिंह
Published On: Friday, June 14, 2024
Updated On: Thursday, June 27, 2024
कम्युनिटी गार्डनिंग एक ऐसी पहल है जिसके तहत लोग मिलकर अपने आस-पास के खुले स्थानों को हरित क्षेत्रों में बदल देते हैं। यह पहल न केवल लोगों को प्रकृति से जोड़ती है, बल्कि समुदाय की एकता और सामुदायिक भावना को भी बढ़ावा देती है। प्रकृति के साथ इस गहरे संबंध से लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ती है।
Authored By: अंशु सिंह
Updated On: Thursday, June 27, 2024
शहरी जीवन में कम्युनिटी गार्डनिंग से प्रकृति और सामुदायिकता का मिलन
कंक्रीट के जंगलों के बीच रहना आसान नहीं रह गया है। तापमान दिनों दिन नई ऊंचाइयों को छू रहा है और गर्मी बर्दाश्त की सीमा को लांघने लगी है। ऐसे में हर कोई प्रकृति (Nature) के साथ रहने के लिए आतुर दिखाई देता है। अपने घरों के आसपास हरियाली बनाए रखने के प्रयास तेज हो गए हैं। हाईराइज अपार्टमेंट में रहने वाले भी अपनी बालकनी में पौधों व फूलों के लिए पर्याप्त स्थान निकाल रहे हैं। इन्हीं कोशिशों के बीच कम्युनिटी गार्डनिंग का प्रचलन भी तेजी से बढ़ा है। इसके जरिये लोगों को न सिर्फ प्रकृति के साथ जुड़ने का अवसर मिल रहा है, बल्कि इससे पड़ोसी भी एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं। उनके आपसी संबंध मजबूत हो रहे हैं।
शहरीकरण के दौर में कम्युनिटी गार्डनिंग हरियाली बचाने की नई पहल
शहरों का नक्शा साल-दर-साल बदल रहा है। उसका निरंतर विस्तार होने एवं बढ़ती आबादी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नए आवासीय इलाके बसाए जा रहे हैं। गाड़ियों के बोझ को देखते हुए सड़कों का चौड़ीकरण हो रहा है। जिसके लिए पेड़ों को काटने से कोई परहेज नहीं रहा। हरियाली (Greenery) लगातार कम होती जा रही है। छोटे, बड़े हर शहर की यही कहानी बन चुकी है। जाहिर है, इससे पर्यावरण को लेकर चिंता भी कई गुणा बढ़ गई है। इस दिशा में निजी के अलावा सामुदायिक प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे कि हम सभी स्वच्छ हवा एवं वातावरण में श्वास ले सकें। यही वजह है कि इन दिनों कंक्रीट के शहरी जंगलों के बीच कम्युनिटी गार्डनिंग काफी लोकप्रिय हो रही है।
चेन्नई में शुरू की कम्युनिटी गार्डनिंग
अब सवाल है कि शहर में जहां लोगों के पास समय की इतनी भारी किल्लत होती है, आसपास के लोगों, पड़ोसियों से मिलना-जुलना दूर की कौड़ी है वैसे में एक साथ सामुदायिक बागवानी (Community Gardening )करना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है? लेकिन कहते हैं न कि जहां चाह, वहां रहा। अब चेन्नई की संयुक्ता कानन को ही लें। वह जब लंदन की कार्नेल यूनिवर्सिटी में पढ़ रही थीं, तो वहां स्टूडेंट्स को कैंपस में कम्युनिटी गार्डनिंग करते देखा। वे छात्र स्वेच्छा से गार्डन में सब्जियों, फलों एवं फूलों के पौधे लगाते थे और उनकी पूरी देखभाल करते थे। संयुक्ता बताती हैं, विश्व के कई देशों में कम्युनिटी गार्डनिंग को बखूबी अपनाया जा रहा है।
मुझे इस एक्टिविटी ने इतना प्रभावित किया कि साल 2018 में भारत लौटने पर मैंने इसे यहां भी करने का फैसला लिया। आरडब्ल्यूए से बात की और फिर एक ग्रुप का निर्माण किया। समय लगा और मेहनत भी काफी करनी पड़ी। लेकिन छोटे-बड़े सभी ने बगिया को तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि सबने मिलकर धनराशि भी इकट्ठा की, जिससे पौधे एवं खाद आदि लिए जा सकें। इससे न सिर्फ हम अपने आसपास ग्रीन एरिया को बढ़ाने में सफल रहे, बल्कि आपस की बॉन्डिंग भी बढ़ गई। आज हमारे गार्डन में टमाटर, साग एवं कई प्रकार के औषधीय पौधे हैं। हम रेजिडेंट्स के साथ नियमित इवेंट्स करते हैं, ताकि उन्हें बागवानी के प्रति लगातार प्रोत्साहित कर सकें।
मिट्टी से बढ़ रहा जुड़ाव
अनीता एक सेवानिवृत्त शिक्षिका हैं जो बेंगलुरु स्थित एक कम्युनिटी गार्डन की देखभाल करती हैं। इस गार्डन में युवा पेशेवरों से लेकर गृहिणियां, सीनियर सिटीजन सभी अपनी-अपनी पसंद एवं क्षमतानुसार जैविक तरीके से फूल-पौधे, सब्जियां आदि उगाते हैं। साथ मिलकर खाद्य उत्पादन का अपना आनंद होता है। इससे उनका नेटवर्क भी बढ़ता है। सप्ताहांत पर कम्युनिटी गार्डनिंग का हिस्सा बनने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर मोहित का कहना है कि इस एक दिन मैं हर प्रकार की स्क्रीन से दूर रहता हूं।
मिट्टी से जुड़ना अपनी जड़ों से जुड़ने की अनुभूति कराता है। मैंने कई नए दोस्त बनाए हैं। उधर, दिल्ली के आशीष एवं उनके सहकर्मी भी कम्युनिटी गार्डनिंग के जरिये ही अपने उपभोग लायक सब्जियों का उत्पादन करते हैं। वे बताते हैं, हम सब जानते हैं कि यमुना किनारे उपजाई जाने वाली सब्जियों एवं फलों में हेवी मेटल्स व अन्य हानिकारक धातुओं की कितनी मात्रा होती है जो सेहत को भी काफी नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में हमारी ये सब्जियां शुद्ध एवं पोषण से भरपूर होती हैं।
कम खर्चे पर फल-सब्जियों का उत्पादन
हम सभी जानते हैं कि वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा का मुद्दा कितना गंभीर एवं चुनौतीपूर्ण बन चुका है। ऐसे में कम्युनिटी गार्डनिंग के जरिये स्थानीय स्तर पर खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने से काफी सकारात्मक परिणाम मिलने की उम्मीद है। लंबे अर्से से कम्युनिटी फार्मिंग से जुड़े रहे ग्रेटर नोएडा के विक्रांत कहते हैं कि जब हम अपने घर के करीब ही फल, सब्जियां आदि उगाते हैं, तो इससे ट्रांसपोर्टेशन का खर्च नहीं आता। ग्रामीण क्षेत्रों (Rural Areas) से खाद्य सामग्रियों को लाने की न सिर्फ बाध्यता खत्म हो जाती है, बल्कि कार्बन फुटप्रिंट भी कम होता है। सबसे अच्छी बात यह है कि लोगों को वाजिब कीमत पर ताजी एवं पौष्टिक सब्जियां, फल मिल जाते हैं। वीकेंड्स या छुट्टियों के दिन लोग घर या मॉल में समय बर्बाद करने के बजाय गार्डन में पसीना बहाते हैं। मिलजुलकर बागवानी करते हैं।
सीख रहे हैं एक-दूसरे के अनुभवों से
बेंगुलुरु में ही कम्युनिटी गार्डनिंग का हिस्सा रहीं अनामिका बिष्ट कहती हैं, इस प्रकार की गतिविधि में विविध पृष्ठभूमि के लोग शामिल होते हैं। उनके ज्ञान एवं अनुभवों से सभी को एक-दूसरे से काफी कुछ सीखने को मिलता है। हम अपनी सामूहिक जिम्मेदारी एवं एकजुटता की शक्ति को प्रगाढ़ कर पाते हैं। वरिष्ठ मनोचिकित्सक गीतिका कपूर की मानें, तो शहरों में डिजिटल ओवरलोड अपेक्षाकृत अधिक देखा जाता है। ऐसे में प्रकृति के बीच कुछ क्षण बिताने भर से मन को सुकून मिलता है। कह सकते हैं कि इससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है। गार्डनिंग करने से तनाव, बेचैनी एवं अवसाद जैसी समस्याएं नहीं होती हैं। यह मन पर मेडिटेशन जैसा प्रभाव डालता है।
घर की बालकनी, छत पर बागवानी
आज शहरों में लोग घरों की बालकनी, छतों पर बागवानी कर रहे हैं। इनोवेटिव इरिगेशन सिस्टम (Innovative Irrigation System) की मदद से पौधों की देखभाल करना अब पहले से ज्यादा सुविधाजनक हो गया है। बागवानी की शौकीन मेघना बताती हैं कि, मुझे फूल-पौधों से बहुत लगाव रहा है। अपने फ्लैट के सीमित स्पेस में किस्म-किस्म के फूल एवं धनिया, पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां लगाती रहती हूं। वर्टिकल गार्डनिंग एवं हाइड्रोपोनिक सेटअप (Vertical Gardening & Hydroponic Setup) की मदद से कोई भी छोटे से एरिया में बागवानी का शौक पूरा कर सकता है। इन दिनों कई एप्स भी आ गए हैं, जो आपको गार्डनिंग के गुर सिखाते हैं।