मतदाता को जंगलराज की वापसी से डराकर अपनी तरफ करने की कोशिश

मतदाता को जंगलराज की वापसी से डराकर अपनी तरफ करने की कोशिश

Authored By: सतीश झा

Published On: Saturday, March 29, 2025

Updated On: Saturday, March 29, 2025

बिहार चुनाव 2025: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मतदाताओं को 'जंगलराज' की वापसी से डराने की कोशिश करते हुए।
बिहार चुनाव 2025: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मतदाताओं को 'जंगलराज' की वापसी से डराने की कोशिश करते हुए।

बिहार में आगामी चुनावों को देखते हुए सियासी माहौल गरमाने लगा है. राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिशें तेज हो गई हैं. इस बीच, एक बार फिर "जंगलराज" की वापसी का मुद्दा चर्चा में है. सत्ता पक्ष लगातार मतदाताओं को यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि यदि विपक्ष सत्ता में आता है, तो बिहार में एक बार फिर अराजकता का दौर लौट सकता है.

Authored By: सतीश झा

Updated On: Saturday, March 29, 2025

Bihar Election 2025: हाल ही में कई नेताओं ने अपने भाषणों में जंगलराज के दौर का जिक्र करते हुए मतदाताओं को आगाह किया कि पिछली सरकार के समय कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब थी और यदि सत्ता बदली तो वही स्थिति लौट सकती है. सत्ता पक्ष के नेता जनता को यह बताने में जुटे हैं कि वर्तमान सरकार के शासन में विकास, कानून-व्यवस्था और बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है, जबकि विपक्षी दलों की सरकार के दौरान अपराध दर बढ़ी थी.

अपराध और अराजकता का काला दौर

90 के दशक और 2000 के शुरुआती वर्षों को बिहार के लिए अपराध और भय के दौर के रूप में याद किया जाता है. उस समय बिहार में लूट, हत्या, अपहरण और फिरौती के मामले चरम पर थे. आम नागरिकों से लेकर व्यापारी तक, हर कोई असुरक्षित महसूस करता था. गुंडाराज के चलते राज्य में निवेश और औद्योगिक विकास ठप हो गया था.

हालांकि, बीते वर्षों में राज्य ने कानून-व्यवस्था के मामले में सुधार किया है, लेकिन लोग अब भी उस दौर को भूल नहीं पाए हैं. खासकर युवा मतदाता, जिनके माता-पिता या परिवार के बुजुर्गों ने उस दौर की तकलीफें झेली हैं, वे भी इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं. सत्ताधारी दल इस मुद्दे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। हाल ही में हुई कई सभाओं में नेताओं ने जंगलराज के दौर की याद दिलाते हुए मतदाताओं को सतर्क रहने की अपील की है. वे लगातार यह दोहरा रहे हैं कि यदि सत्ता बदली, तो बिहार एक बार फिर अपराध और अराजकता की ओर लौट सकता है.

जेडीयू ने चलाया पोस्टर वार, क्यूआर कोड के साथ

बिहार में चुनावी हलचल तेज हो गई है. अब राजनीति में डिजिटल तकनीक का भी जमकर इस्तेमाल हो रहा है. सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने विरोधियों पर निशाना साधते हुए एक नया पोस्टर वार छेड़ दिया है. इस बार पार्टी ने अपने पोस्टरों में क्यूआर कोड (QR Code) जोड़ा है, जिससे जनता सीधे उन तथ्यों तक पहुंच सकेगी, जिन्हें जेडीयू उजागर करना चाहता है.

क्या है जेडीयू का नया दांव?

पटना की दीवारों और प्रमुख इलाकों में जेडीयू के पोस्टर लगाए गए हैं, जिनमें बीते वर्षों में हुए विकास कार्यों को उजागर किया गया है. खास बात यह है कि इन पोस्टरों में क्यूआर कोड भी दिए गए हैं. जब कोई व्यक्ति इस क्यूआर कोड को स्कैन करेगा, तो वह सीधे सरकारी योजनाओं, विकास कार्यों और बिहार सरकार की उपलब्धियों से जुड़ी वेबसाइट या वीडियो लिंक पर पहुंच जाएगा.

कौन है निशाने पर?

जेडीयू का यह पोस्टर वार मुख्य रूप से विपक्षी दलों को घेरने के लिए शुरू किया गया है. पोस्टरों में पिछले शासनकाल की तुलना वर्तमान सरकार के कार्यकाल से की गई है. इसमें जंगलराज के दौर की घटनाओं का जिक्र किया गया है और बताया गया है कि कैसे कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है, सड़कें बनी हैं, बिजली की स्थिति बेहतर हुई है और शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा बदलाव आया है.

जनता को डराकर वोट हासिल करना चाहता है सत्ता पक्ष !

विपक्ष ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा है कि सत्ता पक्ष जनता को डराकर वोट हासिल करना चाहता है, क्योंकि उनके पास विकास कार्यों का कोई ठोस एजेंडा नहीं है. विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार अपने कार्यकाल में असफल रही है और अब जनता के बीच भय पैदा कर चुनाव जीतना चाहती है.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में “जंगलराज” बनाम “सुशासन” की बहस पिछले कई चुनावों से एक प्रमुख मुद्दा रही है. सत्ता पक्ष इस नैरेटिव को भुनाने की कोशिश कर रहा है, जबकि विपक्ष इससे बाहर निकलकर नई रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इन दावों और प्रतिदावों पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या “जंगलराज” का मुद्दा मतदाताओं को प्रभावित कर पाएगा या नहीं.

राजनीति में डिजिटल तकनीक का बढ़ता दखल

बिहार की राजनीति अब डिजिटल दौर में प्रवेश कर चुकी है. जहां पहले चुनावी रणनीति केवल रैलियों, बैनरों और भाषणों तक सीमित थी, वहीं अब सोशल मीडिया, डिजिटल कैंपेन और क्यूआर कोड जैसे नवाचारों का इस्तेमाल बढ़ रहा है. जेडीयू के इस कदम को भी डिजिटल युग में जनता से सीधे जुड़ने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है.

विपक्ष ने किया पलटवार

इस पोस्टर वार पर विपक्षी दलों ने भी प्रतिक्रिया दी है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसे जनता को गुमराह करने की कोशिश बताया है. विपक्ष का कहना है कि पोस्टर में विकास कार्यों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

क्या जनता पर होगा असर?

जेडीयू के इस अनोखे प्रचार अभियान का असर जनता पर कितना पड़ेगा, यह आने वाले दिनों में साफ होगा. लेकिन इतना तय है कि बिहार की राजनीति में अब डिजिटल प्रचार का नया दौर शुरू हो चुका है, जहां पोस्टर केवल दीवारों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि जनता के मोबाइल स्क्रीन तक पहुंचेंगे.

जनता का फैसला क्या होगा?

बिहार की जनता अब यह तय करेगी कि क्या जंगलराज का भय उन्हें सत्ता पक्ष के साथ रहने के लिए मजबूर करेगा, या वे बदलाव की ओर बढ़ेंगे. चुनावी नतीजे ही बताएंगे कि बिहार अपने अतीत से कितना आगे बढ़ पाया है और क्या जनता अब भी जंगलराज के अत्याचार को भूले बिना अपने मताधिकार का प्रयोग करेगी.

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है
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