Censor Board puts break on ‘Santosh’ Release : शहाना गोस्वामी की फिल्म ‘संतोष’ भारत में नहीं होगी रिलीज, सेंसर ने कट लगाने के दिए निर्देश

Censor Board puts break on ‘Santosh’ Release : शहाना गोस्वामी की फिल्म ‘संतोष’ भारत में नहीं होगी रिलीज, सेंसर ने कट लगाने के दिए निर्देश

Authored By: अंशु सिंह

Published On: Thursday, March 27, 2025

Updated On: Thursday, March 27, 2025

शहाना गोस्वामी की फिल्म ‘संतोष’ की रिलीज़ पर सेंसर बोर्ड ने रोक लगाई, कट्स लगाने के निर्देश दिए।
शहाना गोस्वामी की फिल्म ‘संतोष’ की रिलीज़ पर सेंसर बोर्ड ने रोक लगाई, कट्स लगाने के निर्देश दिए।

Censor Board puts break on ‘Santosh’ Release : फिल्म ‘संतोष’ (Santosh) ने एशियाई फिल्म पुरस्कार (हांगकांग) में दोहरी जीत दर्ज की. शहाना गोस्वामी (Shahana Goswami) को उनके शानदार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला, जबकि डेब्यू ब्रिटिश इंडियन फिल्ममेकर संध्या सूरी (Sandhya Suri) ने सर्वश्रेष्ठ नई निर्देशक का पुरस्कार जीता. इतना ही नहीं, ब्रिटेन की ओर से फिल्म को ऑस्कर में बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म श्रेणी में नामांकन भी मिल चुका है. लेकिन सेंसर बोर्ड (CBFC) ने फिल्म के भारत में रिलीज होने पर रोक लगा दी है. इससे फिल्म के सिनेमाघरों में रिलीज होने पर प्रश्नचिह्न लग गया है.

Authored By: अंशु सिंह

Updated On: Thursday, March 27, 2025

Censor Board puts break on ‘Santosh’ Release : अभिनेत्री शहाना गोस्वामी की फिल्म संतोष की समीक्षकों तक ने काफी प्रशंसा की है. ये फिल्म ऑस्कर में ब्रिटेन की आधिकारिक प्रविष्टि भी रही. लेकिन इस क्राइम ड्रामा को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है. बोर्ड ने फिल्म को सिनेमाघरों में रिलीज करने से पहले कई कट्स लगाने को कहा है. एक इंटरव्यू में शहाना गोस्वामी ने बताया है कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म को रिलीज करने के लिए आवश्यक बदलावों की एक सूची दी है. एक टीम के रूप में वे उन कट्स से सहमत नहीं हैं, क्योंकि इससे फिल्म में बहुत अधिक बदलाव हो जाएंगे. इसलिए इस पर फिलहाल गतिरोध कायम है. संभवतः यह भारत के सिनेमाघरों में रिलीज नहीं होगी.

सेंसर बोर्ड के फैसले से निराश हैं संध्या

फिल्म ‘संतोष’ की निर्देशक संध्या सूरी का कहना है कि बोर्ड द्वारा सुझाए गए कट कहानी के सार को काफी हद तक बदल सकते हैं. उनके पास अदालत में फैसले को चुनौती देने का विकल्प है. लेकिन यह रास्ता महंगा और समय लेने वाला दोनों हो सकता है. ‘द गार्जियन’ को दिए एक इंटरव्यू में संध्या सूरी ने सीबीएफसी के फैसले को ‘निराशाजनक और दिल तोड़ने वाला’ बताया है. उन्होंने कहा है, ‘यह हम सभी के लिए हैरान करने वाला था, क्योंकि मुझे नहीं लगा कि ये मुद्दे भारतीय सिनेमा के लिए नए थे या पहले किसी अन्य फिल्म में नहीं उठाए गए थे.’

एक महिला पुलिस कॉन्सटेबल के संघर्षों की कहानी

‘संतोष’ एक मनोरंजक क्राइम ड्रामा है, जो सुहाना गोस्वामी द्वारा अभिनीत एक गृहिणी की यात्रा पर आधारित है. कैसे पति की मृत्यु के बाद अप्रत्याशित रूप से वे पुलिस कांस्टेबल बनने को मजबूर होती हैं. काम के दौरान वह जब एक युवा लड़की की हत्या की जांच करती है, तो उनका सामना जातिगत भेदभाव, पुलिस की बर्बरता और यौन हिंसा से होता है. यही इस फिल्म को शक्तिशाली और विवादास्पद दोनों बनाते हैं. वैसे, साल 2024 में कान्स फिल्म फेस्टिवल में अन सर्टेन रिगार्ड सेक्शन में प्रीमियर होने पर फिल्म को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल चुकी है. फिल्म समीक्षकों की राय में संध्या ने लेखन में एक निश्चित ईमानदारी लाने में कामयाबी हासिल की है. फिल्म न केवल सामाजिक, बल्कि लिंगभेद, आर्थिक पृष्ठभूमि, जाति, राजनीति, पावर जैसे सभी पहलुओं पर ध्यान खिंचाती है.

शहाना के करियर की सर्वश्रेष्ठ भूमिका ‘संतोष सैनी’

इसमें दो मत नहीं कि शहाना गोस्वामी ने संतोष सैनी के अपने किरदार के जरिये अभिनय को और निखारा है. नई दिल्ली में जन्मीं शहाना ने ‘यूं होता तो क्या होता’ (2006) में अपनी पहली ऑन-स्क्रीन भूमिका पाने से पहले चुपचाप पर्दे के पीछे और मंच पर थिएटर में खुद को तराशा. फिर लगभग 20 साल के अपने करियर में वह खुद को ऐसी भूमिका निभाते हुए पाती हैं, जो शायद उनके अब तक के करियर की सबसे श्रेष्ठ भूमिकाओं में से एक हो सकती है. वैसे, शहाना की खुद की फिल्मोग्राफी विविधतापूर्ण रही है. उन्होंने ‘रॉक ऑन!’ (2008) में डेबी से लेकर ‘वारा: ए ब्लेसिंग’ (2013) में लीला की मुख्य भूमिका और ‘तू है मेरा संडे’ (2016) में अपने अभिनय के खूबसूरत रंग दिखाए थे. इनके अलावा, वे ‘एक स्युटेबल बॉय’ (2020), ‘हश हश’ (2022) एवं ‘बॉम्बे बेगम्स’ (2021) जैसी फिल्मों में भी अहम भूमिकाओं में नजर आई थीं.

डॉक्यूमेंट्री मेकिंग से फिल्म निर्देशक तक का सफर

लंदन में रहने वाली ब्रिटिश-भारतीय लेखिका व निर्देशक संध्या सूरी प्योर मैथ्स में स्नातक हैं. उन्हें नेशनल फिल्म एंड टेलीविजन स्कूल में डॉक्यूमेंट्री का अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति मिली थी. उनकी फीचर डॉक्यूमेंट्री, ‘आई फॉर इंडिया’ का प्रीमियर सनडांस फिल्म फेस्टिवल के वर्ल्ड कॉम्पिटिशन सेक्शन में हुआ था. ये 20 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय समारोहों में दिखाई गई. यूके और अमेरिका में आलोचकों की प्रशंसा के साथ कई पुरस्कार प्राप्त किए. साल 2016 में उन्हें अपनी पहली फिक्शन फीचर ‘संतोष’ के लिए सनडांस स्क्रीनराइटर्स और डायरेक्टर्स लैब दोनों के लिए चुना गया. 2018 में उन्होंने 19 मिनट की शॉर्ट फिल्म ‘द फील्ड’ बनाई थी. संध्या सूरी की फीचर फिल्मों में ‘अराउंड इंडिया विद ए मूवी कैमरा’ (2018) भी शामिल है.

About the Author: अंशु सिंह
अंशु सिंह पिछले बीस वर्षों से हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उनका कार्यकाल देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण और अन्य राष्ट्रीय समाचार माध्यमों में प्रेरणादायक लेखन और संपादकीय योगदान के लिए उल्लेखनीय है। उन्होंने शिक्षा एवं करियर, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दों, संस्कृति, प्रौद्योगिकी, यात्रा एवं पर्यटन, जीवनशैली और मनोरंजन जैसे विषयों पर कई प्रभावशाली लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी में गहरी सामाजिक समझ और प्रगतिशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है, जो पाठकों को न केवल जानकारी बल्कि प्रेरणा भी प्रदान करती है। उनके द्वारा लिखे गए सैकड़ों आलेख पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ चुके हैं।
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