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Akshaya Tritiya 2025: कब है अक्षय तृतीया? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, इतिहास और महत्व!
Akshaya Tritiya 2025: कब है अक्षय तृतीया? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, इतिहास और महत्व!
Authored By: Nishant Singh
Published On: Tuesday, April 29, 2025
Updated On: Tuesday, April 29, 2025
अक्षय तृतीया(Akshaya Tritiya 2025) हर साल की तरह इस बार भी शुभ कार्यों, खरीदारी और दान-पुण्य के लिए एक बेहद पावन अवसर माना जा रहा है. यह दिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सुख-समृद्धि और सौभाग्य को आकर्षित करने वाला होता है. आइए जानें, अक्षय तृतीया 2025 कब है, इसका शुभ मुहूर्त क्या है, पूजा की विधि, इतिहास और इस दिन के महत्व के पीछे की खास वजहें क्या हैं.
Authored By: Nishant Singh
Updated On: Tuesday, April 29, 2025
हिंदू धर्म के सबसे शुभ त्योहारों में से एक अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) इस वर्ष 30 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी. वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर आने वाला यह पर्व समृद्धि, सौभाग्य और शुभ शुरुआत का प्रतीक है. इस दिन किए गए दान और निवेश को अक्षय (कभी न खत्म होने वाला) माना जाता है. अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना विशेष रूप से शुभ माना जाता है. इस ब्लॉग में हम अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, इतिहास और इसके पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व की विस्तृत जानकारी साझा करेंगे.
कब है अक्षय तृतीया 2025?
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाया जाने वाला पावन पर्व अक्षय तृतीया इस वर्ष बुधवार, 30 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा. जैन और हिंदू दोनों धर्मों में महत्वपूर्ण माना जाने वाला यह वसंत ऋतु का प्रमुख त्योहार है. “अक्षय” का अर्थ है जो कभी समाप्त न हो और “तृतीया” का अर्थ है तीसरा दिन, जो इस दिन के अनंत शुभ फलों की ओर संकेत करता है.
क्या है अक्षय तृतीया का त्योहार?

अक्षय तृतीया, जिसे लोकप्रिय रूप से ‘अखा तीज’ के नाम से भी जाना जाता है, हिंदुओं और जैनों द्वारा मनाया जाने वाला एक अत्यंत शुभ त्योहार है. संस्कृत में “अक्षय” का अर्थ है “जो कभी समाप्त न हो”, जो इस दिन के अनंत शुभ फलों की ओर संकेत करता है. यह पर्व भारतीय कैलेंडर के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर पड़ता है, जो आमतौर पर हर साल ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अप्रैल या मई के महीने में आता है.
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, और माना जाता है कि इस दिन शुरू किया गया कोई भी नया कार्य या उद्यम समृद्धि और सौभाग्य लाता है. यह विवाह, निवेश, और सोने या अन्य कीमती वस्तुओं की खरीद के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है. इस पावन अवसर पर भक्त देवताओं को प्रार्थना अर्पित करते हैं, अनुष्ठान करते हैं और जरूरतमंदों को दान देने जैसी परोपकारी गतिविधियों में शामिल होते हैं. इसके अतिरिक्त, इस दिन सोने के आभूषण खरीदना या सोने में निवेश करना भी शुभ माना जाता है, क्योंकि यह समृद्धि का प्रतीक है और घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है.
अक्षय तृतीया पर क्या खरीदें?
अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर सोना खरीदना सबसे लोकप्रिय और शुभ माना जाता है. इस दिन पर सोने की खरीदारी करने से घर में लक्ष्मी जी का वास होता है और माना जाता है की आपके घर अखंड समृद्धि का आगमन भी होता है. आप अपनी सुविधानुसार भौतिक रूप में सोना, डिजिटल गोल्ड या गोल्ड ईटीएफ के रूप में निवेश कर सकते हैं.
इसके अलावा, अक्षय तृतीया के दिन नया घर खरीदना या रियल एस्टेट में निवेश करना भी विशेष रूप से शुभ माना जाता है. माना जाता है कि इस दिन की गई कोई भी खरीदारी या निवेश अक्षय (अनंत) फल देता है और जीवनभर समृद्धि लाता है.
जानें क्या है अक्षय तृतीया का सुभ मुहूर्त और पूजा विधि?
अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर किए गए सभी शुभ कार्य अक्षय फल देते हैं. इस दिन का शुभ मुहूर्त और सही पूजा विधि का पालन करके आप अपने जीवन में समृद्धि और सौभाग्य की अनंत धारा प्रवाहित कर सकते हैं. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, इस दिन किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि पूरा दिन ही शुभ माना जाता है. फिर भी, अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए विशेष समय का पालन करना शुभ है.

अक्षय तृतीया 2025 का शुभ मुहूर्त
- तृतीया तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 29, 2025 को 05:31 पी एम बजे
- तृतीया तिथि समाप्त – अप्रैल 30, 2025 को 02:12 पी एम बजे
- अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त – 05:41 ए एम से 12:18 पी एम
- अवधि – 06 घण्टे 37 मिनट्स
- अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का समय – 05:31 पी एम से 05:41 ए एम, अप्रैल 30
- अवधि – 12 घण्टे 11 मिनट्स
इसके अतिरिक्त, अक्षय तृतीया के दिन शुभ चौघड़िया मुहूर्त भी है:
- सायाह मुहूर्त (लाभ) – 08:16 पी एम से 09:37 पी एम
- रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – 10:57 पी एम से 03:00 ए एम, अप्रैल 30
पूजा-विधि:
- प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर शुद्ध मन से स्नान करें.
- स्नानोपरांत पीले या सफेद रंग के पवित्र वस्त्र धारण करें.
- घर के पूजा स्थान पर घी का दीपक प्रज्वलित करके पूजा आरंभ करें.
- गंगाजल से देवताओं का पवित्र अभिषेक करें.
- अक्षय तृतीया पर विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना करें.
- देवताओं को केसर, मिश्री, फल, और तुलसी जैसे सात्विक पदार्थों का भोग अर्पित करें.
- शंख, घंटी और दीप से आरती उतारें और मंत्रोच्चारण करें.
- पूजा के पश्चात कुछ समय शांत बैठकर ध्यान और जप करें तथा आशीर्वाद प्राप्त करें.
जानें क्या है अक्षय तृतीया का ऐतिहासिक महत्व?
अक्षय तृतीया का हमारी संस्कृति में विशेष ज्योतिषीय और पौराणिक महत्व है. यह पर्व वैशाख शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है जब सूर्य मेष राशि और चंद्रमा वृषभ राशि में होते हैं. इस अद्वितीय खगोलीय संयोग में दोनों ग्रह अपनी सर्वोच्च स्थिति में होते हैं, जिससे पृथ्वी पर अधिकतम प्रकाश पहुंचता है और इनकी खगोलीय शक्ति अपने चरम पर होती है.
इसी कारण यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है और माना जाता है कि इस दिन किए गए कार्य और निवेश कभी समाप्त नहीं होते, बल्कि अक्षय (अनंत) फल देते हैं. इस विशेष दिन नए कार्य प्रारंभ करने के लिए किसी अन्य शुभ मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि संपूर्ण दिन ही सौभाग्य से परिपूर्ण होता है.