Chaitra Amavasya 2025: पितरों को प्रसन्न करने का ख़ास दिन है चैत्र अमावस्या

Chaitra Amavasya 2025: पितरों को प्रसन्न करने का ख़ास दिन है चैत्र अमावस्या

Authored By: स्मिता

Published On: Friday, March 28, 2025

Updated On: Friday, March 28, 2025

चैत्र अमावस्या 2025: पितरों को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा करता व्यक्ति, धूप-दीप के साथ आध्यात्मिक वातावरण।
चैत्र अमावस्या 2025: पितरों को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा करता व्यक्ति, धूप-दीप के साथ आध्यात्मिक वातावरण।

Chaitra Amavasya 2025: दर्श अमावस्या कहलाने वाली चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, 29 मार्च, शनिवार को यह अमावस्या मनाई जा रही है. मान्यता है कि पितरों को प्रसन्न करने के लिए इस दिन नदी में पवित्र स्नान और दान भी किया जाता है.

Authored By: स्मिता

Updated On: Friday, March 28, 2025

Chaitra Amavasya 2025: पूर्णिमा की तरह अमावस्या का भी बहुत अधिक महत्व है. 29 मार्च को मनाई जा रही चैत्र अमावस्या का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है. मान्यताओं के अनुसार, चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या को चैत्र अमावस्या या दर्श अमावस्या (Darsh Amavasya 2025) के नाम से जाना जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है. पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए स्नान के साथ-साथ दान की भी बहुत महत्ता है. माना जाता है कि इस अमावस्या (Chaitra Amavasya 2025) पर पितरों की पूजा करने से उनका आशीर्वाद मिलता है.

कब मनाई जा रही चैत्र अमावस्या (Chaitra Amavasya 2025 Date)

इस साल चैत्र अमावस्या की सही तिथि को लेकर कुछ संशय है. ज्योतिषाचार्य पंडित अनिल शास्त्री बताते हैं, हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 28 मार्च की शाम 7:55 बजे से शुरू होकर 29 मार्च को शाम 4:27 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि मानने के कारण चैत्र अमावस्या 29 मार्च, शनिवार को मनाई जाएगी. चूंकि यह शनिवार को पड़ रही है, इसलिए इसे शनिचरी अमावस्या (Shanichari Amavasya 2025) भी कहा जाता है.

चैत्र अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व (Spiritual Significance of Chaitra Amavasya)

चैत्र अमावस्या का दिन नई शुरुआत और सर्दियों के अंत का प्रतीक है. यह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है, इस शुभ दिन पर लोग आशीर्वाद प्राप्त करने और किसी भी नकारात्मक प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और दान-पुण्य में भाग लेते हैं.

शनिचरी अमावस्या का महत्व (Shanichari Amavasya 2025 Significance)

पंडित अनिल शास्त्री के अनुसार, शनिचरी अमावस्या विशेष अमावस्या है. इस अवसर पर पर भक्तगण भगवान शनि की पूजा भी करते हैं. माना जाता है कि इस दिन भगवान शनि की पूजा करने से शनि की साढ़े साती और शनि ढैय्या के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है. इस समय को चुनौतीपूर्ण ज्योतिषीय अवधि माना जाता है.

स्नान और दान के लिए शुभ समय (Time for Snan and Daan)

चैत्र अमावस्या पर स्नान और दान के लिए शुभ समय 29 मार्च (शनिवार) को सुबह 4:42 बजे से सुबह 5:29 बजे तक रहेगा. एक और शुभ समय अभिजीत मुहूर्त, दोपहर 12:19 बजे से दोपहर 1:08 बजे तक रहेगा. इन विशिष्ट समयों के अलावा, सूर्यास्त से पहले पवित्र स्नान करना भी लाभकारी माना जाता है. स्नान के साथ-साथ, पितृ तर्पण यानी पूर्वजों को जल चढ़ाने की सलाह दी जाती है.

शनिचरी अमावस्या पर शनि देव को अर्पण (Shani Dev Puja Rituals)

चूंकि यह अमावस्या शनिवार को पड़ती है, इसलिए भक्त भगवान शनि (Shani Dev) को समर्पित अनुष्ठान भी कर सकते हैं. शनि साढ़े साती और शनि ढैय्या के नकारात्मक प्रभावों से राहत पाने के लिए भक्तगण शाम को शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जला सकते हैं. इसके अलावा, दान में काले तिल और काले चने (उड़द की दाल) चढ़ाना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है.

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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