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Kamada Ekadashi 2025 : श्रीविष्णु और श्रीकृष्ण पूजा से होती है सभी इच्छाओं की पूर्ति
Kamada Ekadashi 2025 : श्रीविष्णु और श्रीकृष्ण पूजा से होती है सभी इच्छाओं की पूर्ति
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, March 31, 2025
Updated On: Monday, March 31, 2025
Kamada Ekadashi 2025 : 8 अप्रैल, 2025 को है कामदा एकादशी. माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की पूजा करने और दान करने से सभी कष्ट दूर होते हैं. हमारी इच्छा पूरी होती है और सुख-समृद्धि मिलती है.
Authored By: स्मिता
Updated On: Monday, March 31, 2025
Kamada Ekadashi 2025 : एकादशी (Ekadashi) भगवान विष्णु को समर्पित अत्यंत शुभ दिन के रूप में विशेष स्थान रखती है. महीने में दो बार और साल में कुल 24 एकादशी होती है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. भक्त इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं. ईश्वर का दिव्य आशीर्वाद पाने के लिए भक्त व्रत रखते हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने से समृद्धि और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है.
कामदा एकादशी की तिथि (Kamada Ekadashi 2025 Date)
ज्योतिषाचार्य पंडित अनिल शास्त्री बताते हैं, ‘एकादशी तिथि 7 अप्रैल को रात 08:00 बजे से शुरू होकर 8 अप्रैल को रात 09:12 बजे समाप्त होगी. इसलिए कामदा एकादशी 8 अप्रैल 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी. व्रत तोड़ने यानी पारण का समय 8 अप्रैल को सुबह 06:05 बजे से 08:36 बजे के बीच है. एकादशी के बाद आने वाली द्वादशी तिथि 8 अप्रैल को रात 10:55 बजे तक रहेगी.
क्यों खास है यह एकादशी (Kamada Ekadashi Significance)
हिंदू वर्ष की पहली एकादशी कामदा एकादशी हिंदू कैलेंडर की पहली एकादशी है. मान्यता है कि इस एकादशी पर श्रीविष्णु की पूजा करने पर सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है. ऐसा भी माना जाता है कि इस व्रत को करने से ब्रह्म हत्या (ब्राह्मण की हत्या) जैसे गंभीर पापों से भी मुक्ति मिलती है. संतान की चाह रखने वाले लोग संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को करते हैं. इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा अपने बच्चों की लंबी उम्र और सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं.
वराह पुराण में कामदा एकादशी का उल्लेख (Kamada Ekadashi in Varah Puran)
‘कामदा’ शब्द का अर्थ है ‘इच्छाओं की पूर्ति’ और इस प्रकार, कामदा एकादशी को एक आध्यात्मिक अनुष्ठान माना जाता है. यह सभी सांसारिक इच्छाओं को पूरा करता है. कामदा एकादशी के महत्व का उल्लेख कई हिंदू धर्मग्रंथों और पुराणों ख़ासकर ‘वराह पुराण’ में भी किया गया है. महाभारत के दौरान श्री कृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को कामदा एकादशी के महत्व और लाभों के बारे में बताया था.
सदगुणों को अपनाने की प्रेरणा (Kamada Ekadashi Learning)
माना जाता है कि कामदा एकादशी का व्रत व्यक्ति को अपने अवगुणों को त्यागकर सदगुणों को अपनाने और स्वयं में सुधार करने के लिए प्रेरित करता है. यह भक्तों और उनके परिवारों को सभी श्रापों से बचाता है. यह व्रत भक्त को मोक्ष प्राप्त करने और भगवान कृष्ण के निवास वैकुंठ धाम तक पहुंचने में मदद करता है.
श्री कृष्ण की पूजा का विधान (Shree Krishna Puja)
इस दिन भक्त सुबह सूर्योदय से पहले उठते हैं. जल्दी स्नान कर वे भगवान कृष्ण की पूजा की तैयारी शुरू करते हैं. वे श्रीकृष्ण विग्रह की पूजा चंदन, फूल, फल और धूप से करते हैं, ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सके. भक्त कामदा एकादशी का व्रत रखते हैं, जिसमें वे केवल सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं. इसमें दूध से बनी सामग्री फल, सब्जियां और सूखे मेवे भी लिए जा सकते हैं. इस दिन चावल, मूंग दाल, गेहूं और जौ खाने से परहेज किया जा सकता है.
इस एकादशी के दिन कौन-कौन से करें अनुष्ठान (Kamada Ekadashi Rituals)
कामदा एकादशी का व्रत चैत्र शुक्ल पक्ष की ‘दशमी’ से शुरू होता है. इस तिथि पर व्यक्ति को सूर्यास्त से पहले केवल एक बार भोजन करना चाहिए. यह व्रत एकादशी के सूर्योदय से अगले दिन यानी द्वादशी के सूर्योदय तक 24 घंटे की अवधि तक जारी रहता है. अगले दिन ब्राह्मण को भोजन और कुछ ‘दक्षिणा’ देने के बाद व्रत तोड़ा जाता है. भक्तगण वैदिक मंत्रों का जाप करते हैं और भगवान कृष्ण के भजन भी गाते हैं. ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ जैसी धार्मिक पुस्तकों को पढ़ना शुभ माना जाता है. भगवान विष्णु के मंदिरों में विशेष यज्ञ, भजन और प्रवचन आयोजित किए जाते हैं. भक्तों को कामदा एकादशी व्रत कथा अवश्य सुननी चाहिए. यह कथा पहले संत वशिष्ठ ने महाराजा दिलीप को सुनाई थी, जो भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम के परदादा थे.
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