अब सीएम नीतीश को दी प्रशांत कुमार ने चेतावनी, आंदोलन का कितना पड़ेगा असर

अब सीएम नीतीश को दी प्रशांत कुमार ने चेतावनी, आंदोलन का कितना पड़ेगा असर

Authored By: सतीश झा

Published On: Monday, April 21, 2025

Updated On: Monday, April 21, 2025

प्रशांत कुमार की सीएम नीतीश को चेतावनी और आंदोलन के संभावित असर
प्रशांत कुमार की सीएम नीतीश को चेतावनी और आंदोलन के संभावित असर

बिहार की राजनीति (Bihar politics) एक बार फिर गरमा गई है. जन सुराज (Jan Suraj) के संस्थापक प्रशांत कुमार (Prashant Kumar) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को सीधे चेतावनी दे दी है. जन सुराज के संस्थापक ने राज्य सरकार (Bihar Govt) को तीन प्रमुख मांगों को लेकर अल्टीमेटम दिया है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि राज्य की NDA सरकार इन मांगों को स्वीकार नहीं करती, तो जन सुराज 11 मई से पूरे बिहार के 40,000 राजस्व गांवों में एक व्यापक हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत करेगा.

Authored By: सतीश झा

Updated On: Monday, April 21, 2025

Bihar politics: प्रशांत कुमार (Prashant Kumar) का यह बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य में बेरोजगारी, शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाओं और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को लेकर आम जनता में व्यापक असंतोष देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार की वादाखिलाफी और नीतिगत विफलताओं के कारण जनता की उम्मीदें टूट रही हैं.

क्या बोले प्रशांत कुमार?

उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि अगर सरकार जनता की समस्याओं की अनदेखी करती रही, तो वे राज्यभर में एक बड़े जनांदोलन की शुरुआत करेंगे. प्रशांत किशोर ने जानकारी दी कि इस अभियान के तहत 11 मई से शुरू होकर 11 जुलाई तक राज्यभर में लोगों से समर्थन जुटाया जाएगा. इस दौरान एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षर एकत्र किए जाएंगे और फिर सरकार को औपचारिक ज्ञापन सौंपा जाएगा.

क्या है तीन प्रमुख मांगें?

पहली मांग: जाति सर्वेक्षण पर वादा निभाने की मांग

प्रशांत किशोर ने कहा कि 7 नवंबर, 2023 को पेश किए गए जाति सर्वेक्षण के आधार पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 94 लाख गरीब परिवारों को 2 लाख रुपये की सहायता देने का वादा किया था, लेकिन अब तक एक भी परिवार को यह राशि नहीं मिली. उन्होंने कहा, “हम मांग करते हैं कि सरकार एक महीने के भीतर इस पर श्वेत पत्र जारी करे और बताएं कि सहायता क्यों नहीं दी गई.”

दूसरी मांग: आरक्षण का क्रियान्वयन

उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि सर्वेक्षण के आधार पर 65 प्रतिशत आरक्षण बढ़ाने की घोषणा की गई थी, लेकिन अब तक इसे लागू नहीं किया गया. किशोर ने पूछा, “क्या यह सिर्फ चुनावी जुमला था, या सरकार वाकई इस पर गंभीर है?”

तीसरी मांग: भूमिहीनों को जमीन देने का वादा

प्रशांत किशोर की तीसरी मांग राज्य के दलित और महादलित परिवारों के लिए भूमि वितरण से जुड़ी है. उन्होंने कहा कि सरकार ने 50 लाख बेघर या भूमिहीन परिवारों को तीन डिसमिल जमीन देने का वादा किया था, लेकिन आज तक सिर्फ 2 लाख परिवारों को ही जमीन दी गई है, वह भी ज़्यादातर कागजों पर.

एनडीए सरकार नहीं मानी मांगें तो होगा विधानसभा घेराव

किशोर ने ऐलान किया कि 11 जुलाई तक एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षर एकत्र कर सरकार को ज्ञापन सौंपा जाएगा. अगर इसके बाद भी सरकार ने उनकी मांगों को नजरअंदाज किया, तो जन सुराज आगामी विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करेगा, जो इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले आखिरी सत्र होगा.

कितना असर डालेगा आंदोलन?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रशांत कुमार (Prashant Kumar) का आंदोलन यदि व्यापक जनसमर्थन हासिल करता है, तो यह नीतीश सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है. उनकी छवि एक ईमानदार जनसेवक की रही है, जिससे युवाओं और शिक्षित वर्ग के बीच उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है. हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस चेतावनी के बाद जेडीयू (JDU) और भाजपा (BJP) की प्रतिक्रिया क्या होती है और प्रशांत कुमार (Prashant Kumar) किस रणनीति के तहत जनआंदोलन को आकार देते हैं.

बिहार में प्रशांत कुमार के तेवर ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है. अगर उनका आंदोलन जनता का समर्थन हासिल करने में सफल होता है, तो नीतीश सरकार को अपनी नीतियों और कार्यशैली में बड़े बदलाव लाने पड़ सकते हैं. अब नजरें टिकी हैं कि यह चेतावनी क्या सच में बदलाव का बिगुल साबित होगी या राजनीति में एक और शोर बनकर रह जाएगी.

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है
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