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क्या है चिराग की पॉलिटिक्स, 243 सीटों के बयान से मचा सियासी घमासान
क्या है चिराग की पॉलिटिक्स, 243 सीटों के बयान से मचा सियासी घमासान
Authored By: सतीश झा
Published On: Monday, June 9, 2025
Last Updated On: Monday, June 9, 2025
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान (Chirag Paswan) एक बार फिर अपने बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा का केंद्र बन गए हैं. उन्होंने हाल ही में कहा कि उनकी पार्टी बिहार (Bihar Assembly Election, 2025) की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है. इस बयान ने एनडीए (NDA) के भीतर सियासी हलचल तेज कर दी है, क्योंकि चिराग वर्तमान में एनडीए का हिस्सा हैं और लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत पांच सीटों पर जीत भी हासिल की थी. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान (Chirag Paswan) एक बार फिर अपने बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा का केंद्र बन गए हैं. उन्होंने हाल ही में कहा कि उनकी पार्टी बिहार (Bihar Assembly Election, 2025) की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है. इस बयान ने एनडीए (NDA) के भीतर सियासी हलचल तेज कर दी है, क्योंकि चिराग वर्तमान में एनडीए का हिस्सा हैं और लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत पांच सीटों पर जीत भी हासिल की थी.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Monday, June 9, 2025
Chirag Paswan Politics Agenda: चिराग पासवान के इस ऐलान ने एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है. हालांकि उन्होंने खुले तौर पर एनडीए (NDA) के प्रति अपनी निष्ठा जताई है, लेकिन 243 सीटों पर लड़ने की बात को राजनीतिक दबाव की रणनीति (pressure politics) माना जा रहा है. दरअसल, NDA में सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला लगभग तय हो चुका है, जिसमें चिराग की पार्टी को 25 से 28 सीटें ऑफर की गई हैं, लेकिन चिराग की मांग है कि उन्हें कम से कम 40 सीटें दी जाएं. ऐसे में उनके इस बयान को सीटों की संख्या बढ़वाने के लिए दांव के तौर पर देखा जा रहा है.
पिछले विधानसभा चुनाव का अनुभव
यह पहली बार नहीं है जब चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने ऐसा तेवर दिखाया है. 2020 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने JDU के खिलाफ प्रत्याशी उतारे थे, जिससे जेडीयू को काफी नुकसान उठाना पड़ा था और उनकी सीटें घट गई थीं. उस समय चिराग को बीजेपी का ‘शैडो प्लेयर’ भी कहा गया था.
243 सीटों पर चुनाव का बयान क्यों है अहम?
चिराग पासवान (Chirag Paswan) के इस बयान को राजनीतिक विश्लेषक एनडीए (NDA) के भीतर उनकी मोलभाव की रणनीति के तौर पर देख रहे हैं. वे यह जताना चाह रहे हैं कि उनकी पार्टी अब अकेले भी चुनावी मैदान में उतरने की स्थिति में है. यह बयान एनडीए के दूसरे घटक दलों खासकर जेडीयू के लिए चुनौती के रूप में देखा जा रहा है.
नीतीश कुमार से रिश्तों में तल्खी
चिराग पासवान (Chirag Paswan) की नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) से दूरी कोई नई बात नहीं है. 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने जेडीयू (JDU) के खिलाफ खुलकर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिससे जेडीयू को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. उस समय चिराग को “बीजेपी की ‘भीतरघाती’ रणनीति” का हिस्सा माना गया था, हालांकि बीजेपी ने औपचारिक रूप से इससे इनकार किया था.
क्या है चिराग की रणनीति?
- दबाव की राजनीति: चिराग 243 सीटों की बात करके NDA में सीट बंटवारे को लेकर दबाव बनाना चाहते हैं.
- स्वतंत्र पहचान: वे चाहते हैं कि उन्हें सिर्फ एक सहयोगी दल न माना जाए, बल्कि बिहार की राजनीति में एक स्वतंत्र ताकत के रूप में देखा जाए.
- रामविलास पासवान की विरासत: चिराग अपने पिता की राजनीतिक विरासत को मजबूत करना चाहते हैं, जिसके लिए उन्हें अपना आधार बढ़ाना जरूरी है.
बीजेपी की स्थिति
बीजेपी (BJP) इस समय चिराग की भूमिका को संतुलित करने में लगी है. वह नहीं चाहती कि नीतीश (CM Nitish Kumar) और चिराग (Chirag Paswan) के बीच टकराव एनडीए के चुनावी समीकरण को बिगाड़े. हालांकि अभी तक बीजेपी की ओर से चिराग के बयान पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अंदरखाने में मंथन जरूर जारी है.
विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
राजद (RJD) और कांग्रेस (Congress) ने चिराग के इस बयान को “एनडीए में दरार” के संकेत के रूप में लिया है. उन्होंने चिराग को ‘बीजेपी का प्रॉक्सी’ बताते हुए कहा कि जनता इन सब चालों को अब पहचान चुकी है. चिराग पासवान का 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का बयान केवल एक राजनीतिक दावा भर नहीं है, बल्कि यह आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन राजनीति के समीकरणों को प्रभावित कर सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि एनडीए इस बयान को कैसे लेता है और क्या चिराग अपनी बात पर कायम रहते हैं या यह सिर्फ राजनीतिक सौदेबाज़ी का एक हिस्सा है.