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Delhi Assembly Election 2025 : मतदान दिल्ली में और सार्वजनिक छुट्टी हरियाणा में, क्या है इसका सियासी कनेक्शन
Delhi Assembly Election 2025 : मतदान दिल्ली में और सार्वजनिक छुट्टी हरियाणा में, क्या है इसका सियासी कनेक्शन
Authored By: सतीश झा
Published On: Monday, February 3, 2025
Updated On: Monday, February 3, 2025
पढ़ने से चौकिंएगा नहीं. मामला सियासी है, लेकिन सौ फीसदी सच है. 5 फरवरी को दिल्ली विधानसभा के 70 सीटों पर मतदान होना है. इसके लिए दिल्ली में सार्वजनिक अवकाश तो है ही. इस बार हरियाणा सरकार की ओर से भी छुट्टी की घोषणा कर दी गई है. एक तबका इसको लेकर खुश है, तो कई लोग इसके सियासी मायने निकालने में लगे हुए हैं.
Authored By: सतीश झा
Updated On: Monday, February 3, 2025
Delhi Assembly Election 2025: हरियाणा सरकार का यह कदम दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उन कर्मचारियों को वोट डालने का अवसर देने के लिए है, जो हरियाणा सरकार के तहत कार्यरत हैं और दिल्ली के पंजीकृत मतदाता हैं. इससे यह सुनिश्चित होगा कि उन कर्मचारियों को चुनाव में भाग लेने का पूरा अवसर मिले और वे अपने मतदान अधिकार का इस्तेमाल कर सकें. दिल्ली में 5 फरवरी को होने वाले चुनाव को लेकर दिल्लीवासियों में उत्साह देखा जा रहा है. इस चुनाव में दिल्ली की विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा, जो राजधानी की राजनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. वहीं, हरियाणा सरकार ने 5 फरवरी को सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा की है, जिसके पीछे आधिकारिक कारण सरकारी कार्यालयों और विद्यालयों में कर्मचारी और छात्रों की कम उपस्थिति को सुनिश्चित करना बताया गया है.
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, हरियाणा में छुट्टी का ऐलान दिल्ली चुनावों से जुड़े वोटरों की आवाजाही को प्रभावित करने के लिए हो सकता है. राज्य से जुड़े कई लोग दिल्ली में काम करते हैं और मतदान में भाग लेने के लिए दिल्ली का रुख करते हैं. यह भी कहा जा रहा है कि हरियाणा सरकार का यह कदम दिल्ली चुनावों के दौरान अपने समर्थकों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हो सकता है, ताकि हरियाणा से जुड़े दिल्लीवासी आसानी से मतदान में शामिल हो सकें. हालांकि, विपक्षी दल इस फैसले को चुनावी रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं और इसे सियासी लाभ उठाने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं. हरियाणा सरकार ने अपनी तरफ से इस निर्णय को प्रशासनिक वजहों से लिया जाना बताया है, लेकिन यह तर्क कई लोगों के लिए सवालों के घेरे में है.
दिया गया है इन नियमों का हवाला
इस अवकाश का उद्देश्य दिल्ली में पंजीकृत राज्य सरकार के कर्मचारियों को मतदान की सुविधा प्रदान करना है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया, “यह प्रावधान, परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 25 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (1996 में संशोधित) की धारा 135-बी के तहत लागू होता है, और यह उन कर्मचारियों पर लागू होगा जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के पंजीकृत मतदाता हैं, ताकि वे आम चुनाव में अपना वोट डाल सकें.
दिया जा रहा है लोकतांत्रिक मूल्यों का हवाला
हरियाणा सरकार के इस कदम को लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने और चुनावी प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है. सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह निर्णय कर्मचारियों को मतदान करने की सुविधा देने के उद्देश्य से लिया गया है, ताकि वे अपने अधिकार का उपयोग कर सकें और लोकतंत्र की मजबूती में योगदान कर सकें.
हरियाणा के लोग दिल्ली चुनाव को कितना करते हैं प्रभावित
हरियाणा के लोग दिल्ली चुनावों को कुछ हद तक प्रभावित करते हैं, लेकिन मुख्य रूप से दिल्ली के लोग ही चुनावी परिणामों को तय करते हैं. फिर भी, हरियाणा और दिल्ली के बीच बहुत नजदीकी संबंध हैं, क्योंकि दोनों राज्य भौगोलिक रूप से पास हैं और एक दूसरे से सांस्कृतिक, आर्थिक, और सामाजिक तौर पर जुड़े हुए हैं. हरियाणा से दिल्ली में काफी लोग काम करने के लिए आते हैं, और इनका दिल्ली के चुनावों में एक अप्रत्यक्ष प्रभाव हो सकता है, जैसे कि उनके वोट या विचारधारा. इसके अलावा, हरियाणा के राजनीतिक दल भी दिल्ली के चुनावों में अपनी उपस्थिति बना सकते हैं, खासकर अगर उनकी दिल्ली में कोई नीतिगत संबंध या गठबंधन हो. हालांकि, दिल्ली चुनावों में मुख्य रूप से दिल्ली के वोटरों की भूमिका रहती है, फिर भी हरियाणा के लोग, जो दिल्ली में निवास करते हैं, उनका मत और राय चुनावी माहौल को प्रभावित कर सकते हैं.