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Delhi Assembly Election: दिल्ली में क्यों टूटा इंडी गठबंधन
Delhi Assembly Election: दिल्ली में क्यों टूटा इंडी गठबंधन
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Wednesday, December 4, 2024
Last Updated On: Sunday, April 27, 2025
नए साल में दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है। सभी पार्टियां चुनावी तैयारियों में जुट भी गई है। लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ने वाली आप और कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा कर दी। आखिर क्यों?
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Last Updated On: Sunday, April 27, 2025
अगले साल फरवरी तक दिल्ली में विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) होना तय है। हालांकि अभी घोषणा होना बाकी है। कुछ समय पहले तक दिल्ली में चर्चा जोरों पर था कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में इंडी गठबंधन बरकरार रहेगा या टूट जाएगा। इस चर्चा पर अब विराम लग गया है। पहले कांग्रेस (Congress) और अब आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी विधानसभा चुनावों में गठबंधन की संभावना से साफ इनकार कर दिया है। यानी दिल्ली विधानसभा चुनाव में इंडी गठबंधन टूट गया।
विधानसभा में मजबूत आप
आम आदमी पार्टी अपने गठन के बाद से विधानसभा चुनाव में कभी कांग्रेस से गठबंधन नहीं चाहती है। उसका कारण है, विधानसभा चुनाव में आप का मजबूत होना। आप का पहला चुनाव छोड़ दें तो पार्टी ने 2015 और 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। 2015 के विधानसभा चुनाव में आप ने 54.3 प्रतिशत वोट लेकर 67 सीटें जीती। वहीं भाजपा को 32.2 प्रतिशत लेकर मात्र 3 ही जीत पाई। उस चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 10 फीसदी के करीब रहा था। पार्टी ने एक भी सीट नहीं जीत पाई।
पिछले विधानसभा चुनाव (2020) में आप ने 53.5 प्रतिशत वोट लिया और 62 सीटें जीती। उस चुनाव में भाजपा ने अपना वोट प्रतिशत करीब 6 प्रतिशत बढ़ाया। लेकिन भाजपा को केवल 8 सीट ही मिल पाया। वहीं एक बार फिर कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई। उसका वोट प्रतिशत भी करीब 5 प्रतिशत गिर गया। दोनों ही चुनाव में आप को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिला था। इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पूरा विश्वास है कि पार्टी को दिल्ली में किसी से गठबंधन की जरूरत नहीं है। वह अकेले काफी है।
कांग्रेस और आप वोट बेस एक
आम आदमी पार्टी की नींव कांग्रेस के विरोध पर पड़ी है। दो राज्यों, दिल्ली और पंजाब में आप की सरकार है। दोनों ही राज्यों में आम आदमी पार्टी का बेस वोट कभी कांग्रेस का हुआ करता था। इसलिए आप का वोट बढ़ेगा तो कांग्रेस को नुकसान होना तय है। वहीं यदि कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ता है तो आप को नुकसान होगा। यही कारण है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में दोनों के गठबंधन से आप को लाभ नहीं होने वाला है।
लोकसभा में नहीं हुआ लाभ
अरविंद केजरीवाल विधानसभा चुनाव में कभी कांग्रेस से गठबंधन नहीं चाहते था। लोकसभा चुनाव में वे बेशक कांग्रेस से गठबंधन करना चाहते थे 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पुरजोर कोशिश की। लेकिन तब शीला दीक्षित गठबंधन नहीं चाहती थीं। इसलिए राहुल गांधी के चाहते हुए भी उस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-आप गठबंधन नहीं हुआ। लेकिन 2024 में दल इंडी गठबंधन में होने के कारण यहां गठबंधन में चुनाव में लड़ा। लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस ने गठबंधन कर क्रमशः 4 और 3 सीटों पर लड़ा। लेकिन दोनों पार्टी को एक भी सीट नहीं मिला। भाजपा ने सभी 7 सीटों पर कब्जा जमाया।
कांग्रेस पार्टी भी नहीं चाहती गठबंधन
लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों दलों के बीच हुए गठबंधन का दिल्ली कांग्रेस के नेताओं ने विरोध किया था। लेकिन तब राहुल गांधी ने किन्ही की नहीं सुनी और आप से गठबंधन किया। चुनाव में इसका लाभ नहीं मिला। इसलिए दोनों दलों के गठबंधन का विरोध कर रहे दिल्ली कांग्रेस के नेता फिर से सक्रिय हुए और इस बार पार्टी आलाकमान को गठबंधन नहीं करने के लिए समझाने में कामयाब हो गए। इसलिए कांग्रेस पार्टी ने चार दिन पहले ही आप से गठबंधन करने से साफ मना कर दिया।
कांग्रेस को मुस्लिम और दलित वोट की उम्मीद
लोकसभा चुनाव में मुस्लिम और दलित वोट कांग्रेस को मिला था। एक समय में इन दोनों समुदायों का वोट बैंक कांग्रेस का हुआ करता था। जो इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस में वापस होते दिखा। इसलिए कांग्रेस पार्टी को उम्मीद है कि वह इस बार इन दोनों वोट बैंक के सहारे दिल्ली चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। हालांकि हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस को झटका लगा है। अब दिल्ली चुनाव भी उनके लिए परीक्षा है। एक तो यहां अपना वोट प्रतिशत बढ़ाने का और दूसरा अपना खाता खोलने का।