अरविंद केजरीवाल के ‘जाट कार्ड’ से कितनी मुश्किल में है BJP ?

अरविंद केजरीवाल के ‘जाट कार्ड’ से कितनी मुश्किल में है BJP ?

Authored By: JP Yadav

Published On: Thursday, January 9, 2025

Last Updated On: Saturday, April 26, 2025

Arvind Kejriwal Jat Card BJP impact 2025 elections
Arvind Kejriwal Jat Card BJP impact 2025 elections

Delhi Chunav 2025: आम आदमी पार्टी (AAP) दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 (Delhi Assembly Elections 2025) जीत कर लगातार चौथी बार सरकार बनाने की कोशिश में है. अगर ऐसा हुआ तो अरविंद केजरीवाल दिल्ली की राजनीति में इतिहास रच देंगे और यह रिकॉर्ड आने वाले समय में किसी भी राजनीतिक दल के लिए तोड़ना करीब-करीब नामुमकिन होगा. इसके लिए AAP मुखिया और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (ex Delhi CM Arvind Kejriwal) ने मोर्चा भी संभाल लिया है. वह लगातार मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर हैं. परिपक्व राजनेता की तरह केजरीवाल नए-नए एलान भी कर रहे हैं. अरविंद केजरीवाल वैसे भी जनता को लुभाने के लिए लोकलुभावनी योजनाओं की घोषणा के लिए खासे मशहूर हैं. इसी कड़ी में उन्होंने 'जाट कार्ड' (Delhi Jaat Voters) खेल दिया है.

Authored By: JP Yadav

Last Updated On: Saturday, April 26, 2025

केंद्र सरकार पर उठाए सवाल

AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने दिल्ली के जाट समुदाय (Delhi Jaat Voters) को केंद्र सरकार की अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की सूची में शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र तक लिख डाला है. AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल का आरोप है कि दिल्ली सरकार की OBC सूची में जाट समाज का नाम तो आता है, लेकिन केंद्र सरकार की लिस्ट में ऐसा नहीं है. ये हमारे दिल्ली के जाट भाई-बहनों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है. उन्होंने कहा कि पिछले 10 सालों के दौरान 4 बार इन्होंने (भाजपा) दिल्ली के जाट समाज को आरक्षण देने का केवल वादा किया. उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा कि दिल्ली में ही दिल्ली के जाटों को आरक्षण नहीं मिलता, लेकिन बाहर वालों को मिलता है. बताया जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल जाटों की आरक्षण के मुद्दे पर पीएम मोदी को खत लिखकर आम आदमी पार्टी का वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश में हैं.

बाहरी दिल्ली में जाटों का वर्चस्व

हरियाणा के साथ-साथ राजधानी दिल्ली में भी जाटों की संख्या ठीकठाक है. खासकर बाहरी दिल्ली के कई इलाकों में जाटों का वर्चस्व (Outer Delhi Jaat Voters) है. खासतौर से बाहरी दिल्ली के तहत आने वाली कई विधानसभा सीटों पर जीत-हार का फैसला भी जाट समुदाय के मतदाता करते हैं. सरकारी नौकरियों के अलावा प्राइवेट जॉब में भी इन समुदाय का प्रतिनिधित्व ठीकठाक है. बावजूद इसके केंद्र की सरकारी नौकरियों में जाटों को आरक्षण नहीं मिलता है. इसको लेकर जाट समुदाय कई बार सड़कों पर भी उतर चुका है और आंदोलन भी कर चुका है. इस बीच अरविंद केजरीवाल ने केंद्र में जाटों के आरक्षण का मुद्दा उठाकर भारतीय जनता पार्टी के वोटबैंक में सेंधमारी की तैयारी कर ली है. जानकारों की मानें तो दिल्ली में 364 गांव हैं, जिसमें 225 गांव जाट बहुल हैं.

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इसे दूसरी तरह समझें तो दिल्ली के विधानसभा चुनावों में करीब 20 प्रतिशत हिस्सेदारी जाट मतदाताओं की होती है. टिकट देते समय सभी राजनीतिक दल जाट समुदाय को ध्यान में रखते हैं और गुणा भाग लगाकर ही प्रत्याशियों का एलान करते हैं. यहां तक कि मंत्रिमंडल में भी जाट समुदाय का प्रतिनिधित्व रहता है. आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में करीब 10 प्रतिशत मतदाता जाट समुदाय से हैं. जाटों की राजनीतिक ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा 1990 के दशक में भाजपा का जाट चेहरा हुआ करते थे. वह जाट विधायकों के दम पर ही दिल्ली के सीएम बने. मौजूदा समय में साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश सिंह वर्मा दिल्ली में सक्रिय हैं. वह दिल्ली से सांसद भी रह चुके हैं. इस बार कांग्रेस पार्टी ने प्रवेश वर्मा को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है. यह भी रोचक है कि जो भी नई दिल्ली सीट पर जीत हासिल करता है वह दिल्ली का सीएम बनता है.

कितनी सीटों पर जाटों का प्रभाव ?

राजनीतिक पंडितों की मानें तो बाहरी दिल्ली के अलावा भी कई सीटों पर जाट समुदाय से जुड़े मतदाता निर्णायक माने जाते हैं. दावा तो यहां तक किया जाता है कि दिल्ली के करीब 60 प्रतिशत गांव पर जाट मतदाताओं का दबदबा देखने को मिलता है. दिल्ली में 8 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जो जाट बहुल हैं. इन सीटों पर जाट समुदाय के लोग ही चुनाव लड़ते हैं. रोचक यह भी है कि फिलहाल जाट बहुल 8 सीटों में से 5 पर AAP का कब्जा है. पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत नजफगढ़ सीट से विधायक रह चुके हैं, हालांकि वह AAP छोड़ चुके हैं. यह अलग बात है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें बिजवासन सीट से टिकट दिया है. बता दें कि कुछ महीने पहले कैलाश गहलोत ने AAP छोड़कर भाजपा ज्वाइन की थी.

About the Author: JP Yadav
जेपी यादव डेढ़ दशक से भी अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। वह प्रिंट और डिजिटल मीडिया, दोनों में समान रूप से पकड़ रखते हैं। अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान, लाइव टाइम्स, ज़ी न्यूज और भारत 24 जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी सेवाएं दी हैं। कई बाल कहानियां भी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं. मनोरंजन, साहित्य और राजनीति से संबंधित मुद्दों पर कलम अधिक चलती है। टीवी और थिएटर के प्रति गहरी रुचि रखते हुए जेपी यादव ने दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक 'गागर में सागर' और 'जज्बा' में सहायक लेखक के तौर पर योगदान दिया है. इसके अलावा, उन्होंने शॉर्ट फिल्म 'चिराग' में अभिनय भी किया है।
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