अदालतें निर्दयी नहीं हो सकतीं, हल्द्वानी रेलवे जमीन मामले पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी

अदालतें निर्दयी नहीं हो सकतीं, हल्द्वानी रेलवे जमीन मामले पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Published On: Friday, July 26, 2024

उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे भूमि पर अतिक्रमण कर बसे बनभूलपुरा कॉलोनी को अभी नहीं हटाया जाएगा। उच्चतम न्यायालय ने रेलवे और उत्तराखंड सरकार से कहा कि आप वहां रह रहे सभी परिवारों को पुनर्वासित करने का विकल्प देखें। इसी साल फरवरी महीने में अतिक्रमण हटाने के दौरान वहां काफी हिंसा हुई थी।

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Updated On: Saturday, July 27, 2024

इसी साल के दूसरे महीने में उत्तराखंड के हल्द्वानी में नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अतिक्रमण हटाने के दौरान काफी हिंसा हुई थी। उस हिंसा में 6 लोग मारे गए थे। दर्जनों घायल भी हुए थे। बाद में वह मामला उच्चतम न्यायालय पहुंचा और उसने नैनीताल उच्च न्यायालय (Nainital High Court) के आदेश पर स्टे लगा दिया। कल सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड सरकार और रेलवे को सभी 50 हजार परिवार को पुनर्वासित करने की योजना बनाने को कहा है। यानी हल्द्वानी रेलवे ट्रैक के पास बनभूलपुरा में रेलवे के 29 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण कर बसे 4365 घरों को अभी नहीं तोड़ा जाएगा।

क्या कहा उच्चतम न्यायालय ने

हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण हटाने के मामले की सुनवाई न्यायाधीश सूर्यकांत की अगुवाई में तीन न्यायाधीशों की बेंच कर रही थी। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि अदालतें निर्दयी नहीं हो सकतीं। वहां रह रहे लोग भी इंसान हैं। वे दशकों से वहां रह रहे हैं। ऐसे मामलों में अदालतों को भी संतुलन बनाए रखने की जरूरत है। इस पर राज्य को भी कुछ करने की जरूरत है। वहीं न्यायाधीश भुइयां ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अब तक रेलवे ने कुछ नहीं किया है। यदि आप लोगों को बेदखल करना चाहते हैं तो नोटिस जारी करें।

रेलवे का क्या है कहना

बेंच के सामने रेलवे की ओर से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने दलील रखी। उन्होंने कहा कि हल्द्वानी अंतिम स्टेशन है। उसके बाद पहाड़ शुरू हो जाता है। वहां वंदे भारत जैसी योजना की परिकल्पना की गई है। रेलवे वहां वंदे भारत ट्रेन चलाना चाहती है। यह उक्त अतिक्रमण हटाए बिना संभव नहीं है। क्योंकि हमारे पास जगह नहीं है। इसको लेकर प्लेटफॉर्म को बढ़ाने की जरूरत है। रेलवे ट्रैक के एक तरफ नदी बहती है। मानसून सीजन कई बार नदी का पानी ट्रैक पर आ जाता है। इसलिए रेलवे लाइन को शहर की तरफ शिफ्ट करनी पड़ेगी। इन सब के लिए जगह चाहिए।

अगली सुनवाई 11 सितंबर को

इस मामले में अब अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी। उस दौरान बेंच ने रेलवे और उत्तराखंड सरकार को कहा है कि आप पुनर्वास की योजना बनाकर लाएं। बेंच ने कहा की हम रेलवे की बात समझ रहे हैं लेकिन यहां बैलेंस बनाने की जरूरत है। इसलिए पुनर्वास के विकल्प तलाशने की जरूरत है। वन क्षेत्र को छोड़कर किसी अन्य भूमि को खोजें। उन्होंने उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव को कहा कि आप केंद्र सरकार के संबंधित विभाग के अधिकारी पुनर्वास योजना को लेकर आपस में बैठक करें। जो परिवार प्रभावित हैं, उनकी तुरंत पहचान करें। चार हफ्तों के भीतर इस योजना पर काम हो जाना चाहिए। हम पांचवें हफ्ते सुनवाई करेंगे।

गुंजन शांडिल्य समसामयिक मुद्दों पर गहरी समझ और पटकथा लेखन में दक्षता के साथ 10 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। पत्रकारिता की पारंपरिक और आधुनिक शैलियों के साथ कदम मिलाकर चलने में निपुण, गुंजन ने पाठकों और दर्शकों को जोड़ने और विषयों को सहजता से समझाने में उत्कृष्टता हासिल की है। वह समसामयिक मुद्दों पर न केवल स्पष्ट और गहराई से लिखते हैं, बल्कि पटकथा लेखन में भी उनकी दक्षता ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। उनकी लेखनी में विषय की गंभीरता और प्रस्तुति की रोचकता का अनूठा संगम दिखाई देता है।

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