Raw Milk Side Effects : कच्चे दूध का सेवन हो सकता है खतरनाक

Authored By: स्मिता

Published On: Wednesday, October 30, 2024

Updated On: Wednesday, October 30, 2024

raw milk side effects

कच्चे दूध में माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस, साल्मोनेला, ई. कोली, कैम्पिलोबैक्टर, स्टैफिलोकोकस ऑरियस, यर्सिनिया, ब्रुसेला, कॉक्सिएला और लिस्टेरिया जैसे खतरनाक बैक्टीरिया हो सकते हैं। इसमें मौजूद कई बैक्टीरियल संक्रमण आसानी से ठीक नहीं हो सकते हैं। ये सामान्य संक्रमण नहीं हो सकते हैं।

दूध और डेयरी उत्पाद कई पोषण संबंधी लाभ प्रदान करते हैं। पुराने समय में रॉ मिल्क या कच्चा दूध पीने की सलाह दी जाती थी। अब डॉक्टर बिना दूध को उबाले या पाश्चुरीकृत किए पीने से मना करते हैं। इससे कई गंभीर स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं। अमेरिकी फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार, बच्चों को कच्चा दूध पीने नहीं देना चाहिए। इसमें ई. कोली, साल्मोनेला और लिस्टेरिया जैसे हानिकारक बैक्टीरिया पनपने की संभावना (Raw Milk Side Effects) होती है।

कच्चे दूध में हो सकते हैं खतरनाक बैक्टीरिया (Harmful Bacteria in Raw Milk)

इन दिनों हम नेचुरल तरीके से किसी भी खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ को लेने पर जोर देते हैं। यह सुनने में काफी अच्छा लगता है कि कच्चे दूध का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हमारे पूर्वज ऐसा किया करते थे। यह ध्यान देना जरूरी है कि कच्चे दूध में माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस, साल्मोनेला, ई. कोली, कैम्पिलोबैक्टर, स्टैफिलोकोकस ऑरियस, यर्सिनिया, ब्रुसेला, कॉक्सिएला और लिस्टेरिया जैसे खतरनाक बैक्टीरिया हो सकते हैं। इसमें मौजूद कई बैक्टीरियल संक्रमण आसानी से ठीक नहीं हो सकते हैं। ये सामान्य संक्रमण नहीं हो सकते हैं।

हो सकता है फ़ूडबॉर्न डिजीज (Foodborne Disease)

इन बैक्टीरिया में से कुछ लाइफ के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं। लिस्टेरिया बैक्टीरिया मस्तिष्क पर हमला कर सकता है। इससे बच्चे को बार-बार दौरे आ सकते हैं या उसे मार सकता है। गंभीर साल्मोनेला संक्रमण सदमे का कारण बन सकता है। इसके कारण फ़ूडबॉर्न डिजीज या फ़ूड पोइजनिंग हो सकता है। कच्चे दूध में मौजूद कीटाणु कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों जैसे कि ट्रांसप्लांट के मरीज़ और HIV/AIDS, कैंसर और मधुमेह वाले व्यक्ति, बच्चों, वृद्धों और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से ख़तरनाक हो सकते हैं।

जरूरी है दूध का पॉइश्चराइजेशन (Pasteurization of Milk)

हार्वर्ड हेल्थ की स्टडी रिपोर्ट बताती है कि दूध का पॉइश्चराइजेशन महत्वपूर्ण है। कुछ लोगों को लगता है कि कच्चे दूध में स्वस्थ बैक्टीरिया और अतिरिक्त पोषक तत्व होते हैं। लेकिन इसका समर्थन करने के लिए कोई शोध नहीं है। वास्तव में कच्चे दूध और पाश्चुरीकृत दूध के स्वास्थ्य लाभ समान हैं, लेकिन कच्चे दूध में खतरनाक बैक्टीरिया होने की संभावना अधिक होती है। ज़्यादातर दूध प्रसंस्करण संयंत्रों में, ठंडे कच्चे दूध को गर्म स्टेनलेस स्टील की प्लेटों के बीच से गुज़ारकर तब तक गर्म किया जाता है जब तक कि यह 161 डिग्री फ़ारेनहाइट तक न पहुंच जाए। फिर इसे कम से कम 15 सेकंड के लिए उस तापमान पर रखा जाता है, उसके बाद इसे जल्दी से वापस 39 डिग्री के अपने मूल तापमान पर ठंडा किया जाता है।

दूध को 30 सेकंड तक उबालना जरूरी (boiling of milk)

हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस और परजीवियों को खत्म करने के लिए कच्चे दूध को तुरंत उबालना चाहिए। अमेरिका का रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (CDC) हानिकारक रोगाणुओं को मारने के लिए कच्चे दूध को कम से कम 30 सेकंड तक उबालने की सलाह देता है। पाश्चराइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है,  जिसके तहत दूध को एक निश्चित तापमान पर एक निश्चित समयावधि के लिए गर्म किया जाता है। इससे हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं, जो लिस्टेरियोसिस, टाइफाइड बुखार, तपेदिक, डिप्थीरिया और ब्रुसेलोसिस जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

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About the Author: स्मिता
धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का लंबा अनुभव। समसामयिक मुद्दों पर आम और ख़ास से बातचीत करना और उन्हें नए नजरिये के साथ प्रस्तुत करना यूएसपी है।

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