शुगर क्रेविंग (Sugar Cravings) होने पर खाएं ये 5 आयुर्वेदिक पत्तियां

शुगर क्रेविंग (Sugar Cravings) होने पर खाएं ये 5 आयुर्वेदिक पत्तियां

Authored By: स्मिता

Published On: Friday, July 19, 2024

Updated On: Friday, July 19, 2024

eat 5 ayurvedic leaves in sugar cravings
eat 5 ayurvedic leaves in sugar cravings

डायबिटीज के मरीज अपनी स्वीट क्रेविंग (Sweet craving) को संतुष्ट करने के लिए आर्टिफिशियल शुगर (Artificial sugar) का इस्तेमाल करते हैं। ये शरीर के लिए नुकसानदायक भी हो सकते हैं। इसलिए आयुर्वेद एक्सपर्ट मीठे की लालसा को कम करने के लिए 5 तरह की आयुर्वेदिक पत्तियां खाने की सलाह देते हैं। ये मीठी होने के साथ-साथ ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद भी कर सकती हैं।

Authored By: स्मिता

Updated On: Friday, July 19, 2024

टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) इन दिनों ग्लोबल पब्लिक हेल्थ कंसर्न बन गया है। विकसित और विकासशील दोनों देशों में मधुमेह की दर अधिक है। मधुमेह कई अन्य तरह की बीमारियों और यहां तक कि डिसएबिलिटी का भी कारण बन सकता है। मधुमेह के कारण सबसे पहले शुगर और शुगर से तैयार व्यंजन के खाने पर रोक लगती है। यह जानते हुए कि मीठा डायबिटीज के पेशेंट के लिए बहुत नुकसानदायक है, उन्हें मीठा खाने की इच्छा तो होती ही है। डायबिटिक के स्वीट क्रेविंग को पूरा करने के लिए बाज़ार में कई तरह के आर्टिफिशियल स्वीटनर उपलब्ध हैं। कई शोध यह साबित कर चुके हैं कि लंबे समय तक एस्पार्टम सहित ज्यादातर आर्टिफिशियल स्वीटनर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए आयुर्वेद एक्सपर्ट कई ऐसी पत्तियों के बारे में बताते हैं, जो न सिर्फ स्वाद में मीठी होती हैं, बल्कि इनके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होते हैं।

यहां हम ऐसी 5 पत्तियों के बारे में जानेंगे, जो चीनी की तरह मीठे होती हैं-

(1) स्टीविया की पत्तियां (Stevia)

आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ. नीतू भट्ट बताती हैं, ‘ मधुमेह के रोगी सबसे अधिक स्टीविया की पत्तियों (Stevia) का उपयोग कर अपने स्वीट क्रेविंग (Sweet craving) को तृप्त करते हैं। साइड इफेक्ट नहीं होने के कारण इसकी पत्तियों से तैयार पाउडर का इस्तेमाल हर्बल स्वीटनर की तरह होता है। स्टीविया एक नेचुरल स्वीटनर (Natural sweetener) है, जो चीनी के विकल्प के रूप में लोकप्रिय है। यह स्टीविया रेबाउडियाना पौधे की पत्तियों से प्राप्त होता है। यह नियमित चीनी की तुलना में 300 गुना अधिक मीठा होता है। स्टीविया पत्ती का अर्क टेबल शुगर (सुक्रोज) की तुलना में 50-300 गुना अधिक मीठा हो सकता है।’

(2) गुड़मार या गुरमार (Gudmar)

डॉ. नीतू भट्ट बताती हैं, ‘गुड़मार या गुरमार झाड़ी है, जिसकी पत्तियों का उपयोग औषधि बनाने के लिए किया जाता है। यह स्वाद में मीठा होता है और मधुमेह रोगियों के लिए बढ़िया माना जाता है। यह टाइप 1 और टाइप 2 दोनों प्रकार के डायबिटीज में अत्यधिक प्रभावी है। यह शरीर में इंसुलिन के स्तर को बढ़ाकर ब्लड शुगर लेवल कम करता है। गुड़मार की पत्तियां मीठे खाद्य पदार्थों की लालसा को कम करने में मदद कर सकती हैं। यह उन लोगों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है, जो अपना वजन कम करना चाहते हैं। यह पाचन क्रिया में भी सुधार करने में मदद कर सकती है।’

(3) शहतूत की पत्तियां (Mulberry leaves)

शहतूत की पत्तियां स्वाद में मीठी होती हैं। इसका व्यावसायिक उपयोग सबसे अधिक रेशम के कीड़ों को खिलाने के लिए किया जाता है। इनमें कई एंटीऑक्सीडेंट और कंपाउंड पाए जाते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने और ओवरऑल हेल्थ को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। शहतूत की पत्ती की चाय एक पॉपुलर ड्रिंक है। इसका स्वाद हल्का मीठा और सौंधा होता है। यह एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स से भरपूर होती है। ध्यान दें कि शहतूत की पत्ती में लेटेक्स होता है। यह एक सफेद रस है, जो हल्का टॉक्सिक होता है। इससे पेट खराब हो सकता है या त्वचा में जलन हो सकती है। इसलिए इसका सेवन से पहले अपनी एलर्जी पता कर लें या विशेषज्ञ से परामर्श ले लें।

(4) दालचीनी की पत्ती (Cinnamon leaves)

डॉ. नीतू भट्ट के अनुसार, स्वाद और सुगंध के मामले में दालचीनी की पत्ती आम दालचीनी (दालचीनी की छाल) से अलग होती है। दालचीनी की पत्ती मीठी होती है। इसका थोड़ा अधिक मसालेदार स्वाद होता है। यदि दालचीनी की पत्ती आपके पास नहीं है, तो मीठे स्वाद के लिए दालचीनी का उपयोग कर सकती हैं।पत्ती और छाल दोनों ब्लड शुगर लेवल (Sugar level) कंट्रोल करने में मदद करते हैं। इनका उपयोग स्ट्यू और करी को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। दालचीनी के पत्तों का इस्तेमाल बेक्ड गुड्स और डेसर्ट के लिए फ्लेवरिंग एजेंट के रूप में किया जा सकता है।

(5) जिन्कगो (Ginkgo)

जिन्कगो पत्ती चीन का मूल निवासी है। चीन में इसका उपयोग चाय बनाने के लिए किया जाता है। चाय का स्वाद स्वादिष्ट और मीठा होता है। जिन्कगो के बीज का भी प्रयोग मीठा स्वाद पाने के लिए किया जाता है। कच्चे या भुने हुए जिन्कगो के बीज और बिना प्रोसेस किए हुए जिन्कगो के पत्तों में टॉक्सिन्स पाया जा सकता है। इसलिए विशेषज्ञ के परामर्श के अनुसार पत्तियों का चुनाव करें। जिन्कगो की पत्तियों (Ginkgo leaves) का बहुत अधिक उपयोग करना खतरनाक हो सकता है। कुछ शोध बताते हैं कि जिन्कगो का बहुत अधिक उपयोग लिवर (Liver cancer) और थाइरॉयड कैंसर (Thyroid cancer) का कारण बन सकता है।

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।

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