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तेजस्वी ने खुद को बताया CM उम्मीदवार, बिहार में मचा सियासी कोहराम
तेजस्वी ने खुद को बताया CM उम्मीदवार, बिहार में मचा सियासी कोहराम
Authored By: सतीश झा
Published On: Wednesday, April 9, 2025
Updated On: Wednesday, April 9, 2025
बिहार की सियासत में उस समय बड़ा भूचाल आ गया जब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने खुद को आगामी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया. तेजस्वी के इस बयान ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है और सत्तारूढ़ गठबंधन में नई बहस छेड़ दी है.
Authored By: सतीश झा
Updated On: Wednesday, April 9, 2025
Tejashwi Yadav CM face Bihar 2025 : (RJD) नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है. मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि आगामी विधानसभा चुनावों में महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा मैं ही रहूंगा.” 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले तेजस्वी यादव का यह दावा और उस पर सरकार की तीखी प्रतिक्रिया बिहार की सियासी सरगर्मी को और बढ़ा रही है.
तेजस्वी के इस बयान के तुरंत बाद भाजपा (BJP) और जदयू (JDU) दोनों ही दलों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं आईं. जदयू के प्रवक्ता ने इसे “जल्दबाज़ी और घमंड” करार दिया, जबकि भाजपा नेताओं ने कहा कि तेजस्वी की यह घोषणा महागठबंधन में दरार का संकेत है. वहीं, RJD समर्थकों और युवा कार्यकर्ताओं में तेजस्वी के बयान को लेकर उत्साह देखने को मिला. पार्टी के कई नेताओं ने सोशल मीडिया पर उन्हें “युवा और जनप्रिय नेता” बताते हुए समर्थन जताया.
‘मुसहर-भुईया महारैली’ में तेजस्वी यादव का बड़ा ऐलान
राज्य की राजधानी पटना में आयोजित ‘मुसहर-भुईया महारैली’ को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए एक बड़ी योजना का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि यदि RJD के नेतृत्व वाला महागठबंधन सत्ता में आता है और उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो समाज के कमजोर वर्गों के लिए ‘माई-बहन सम्मान योजना’ शुरू की जाएगी. तेजस्वी यादव ने कहा, “आज भी हमारे समाज में ऐसे तबके हैं जिन्हें मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया है. यदि हमें सत्ता मिली और मुझे मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला, तो मुसहर, भुईया, डोम, नाई, धोबी, लोहा, बढ़ई जैसे आर्थिक रूप से वंचित वर्गों को ‘माई-बहन सम्मान योजना’ के तहत लाभ पहुंचाया जाएगा.”
तेजस्वी यादव के ‘सीएम चेहरा’ वाले बयान पर मंत्री श्रवण कुमार का पलटवार
बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार ने मंत्री श्रवण कुमार ने कहा,“तेजस्वी यादव बिहार की जनता का अपमान कर रहे हैं. लोकतंत्र में जनता का जनादेश ही तय करता है कि कौन मंत्री बनेगा और कौन मुख्यमंत्री। जब तक जनता वोट नहीं देती, तब तक कोई खुद को सीएम कैसे घोषित कर सकता है?” उन्होंने तेजस्वी यादव पर अहंकार का आरोप लगाते हुए कहा कि जनता उन्हें पहले ही नकार चुकी है और 2025 के चुनाव में उनका घमंड चकनाचूर हो जाएगा. श्रवण कुमार ने आगे कहा, “तेजस्वी जी को जनता ने कई बार मौका दिया लेकिन हर बार उन्होंने निराश किया है. वे बिना जनसमर्थन के सिर्फ बयानबाजी करके लोगों को भ्रमित करना चाहते हैं. लेकिन बिहार की जनता अब जागरूक है और किसी झूठे वादे में नहीं आने वाली.”
क्या गठबंधन ने किया समर्थन? अगर नहीं, तो ये कौन सा विशेष अधिकार?
राजद नेता तेजस्वी यादव द्वारा खुद को बिहार का अगला मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने के बयान पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता अरुण भारती (Arun Bharti) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. अरुण भारती ने कहा, “अगर तेजस्वी जी बिना गठबंधन की सहमति के खुद को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बता रहे हैं, तो मैं मानता हूं कि उनके पास कोई विशेष अधिकार है. और ये विशेष अधिकार उन्हें तब से मिल गया है जब से बिहार में RJD की सरकार आई. चाहे वह जंगलराज हो, भ्रष्टाचार के मामले हों, उसके बावजूद भी वो खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार बता रहे हैं, तो इसके लिए बहुत हिम्मत चाहिए.” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या महागठबंधन के सभी घटक—कांग्रेस, भाकपा माले, सीपीआई और माकपा—तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार मानते हैं? उन्होंने कहा कि यह सवाल गंभीर है और जवाब भी उतना ही महत्वपूर्ण है.
महागठबंधन में नेतृत्व की होड़ — एकता के बजाय आत्मघोषणा की राजनीति?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने हाल ही में आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों से एकजुट होकर लड़ने की अपील की थी. यह एक ऐसा बयान था, जिसमें भाजपा और एनडीए के खिलाफ मजबूत विपक्षी ध्रुवीकरण की जरूरत पर ज़ोर दिया गया था. लेकिन इस अपील के महज एक दिन बाद ही राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने खुद को महागठबंधन का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया. तेजस्वी का यह ऐलान राजनीतिक दृष्टि से न केवल समय से पहले किया गया कदम लगता है, बल्कि यह महागठबंधन के भीतर गहराते मतभेदों की ओर भी संकेत करता है. यह भी सवाल उठता है कि जब महागठबंधन की ओर से अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई, तो तेजस्वी की यह आत्मघोषणा क्या एकतरफा राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश है? तेजस्वी यादव की दावेदारी को भले ही RJD के भीतर समर्थन मिल रहा हो, लेकिन यह मानना भूल होगा कि महागठबंधन के अन्य घटक दल — जैसे कांग्रेस, वाम दल (CPI, CPI-M, CPI-ML) — बिना विमर्श के इस पर सहमत हो जाएंगे. विपक्ष की एकता तभी सार्थक होगी जब सभी सहयोगी दल आपसी संवाद और समन्वय के साथ निर्णय लें, न कि किसी एक दल की एकतरफा घोषणा से.
राहुल गांधी के “संयुक्त लड़ाई” के विचार के ठीक बाद तेजस्वी का यह ऐलान एकजुटता के स्वरूप को कमजोर करता है. यह याद रखना होगा कि भाजपा और एनडीए जैसी संगठित राजनीतिक ताकत का मुकाबला करने के लिए महागठबंधन को सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि रणनीतिक और वैचारिक स्तर पर भी एकजुट होना होगा. तेजस्वी का यह ऐलान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भविष्य पर सवाल खड़े करता है, विशेषकर तब जब वे हाल ही में एनडीए के साथ फिर से गठबंधन में लौटे हैं. तेजस्वी की यह रणनीति महागठबंधन को एकजुट रखने और चुनावी तैयारी को धार देने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है. अब देखना यह होगा कि महागठबंधन के अन्य घटक दल तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के इस दावे पर क्या रुख अपनाते हैं और बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में यह बयानबाज़ी किस दिशा में आगे बढ़ती है.