Vaikuntha Ekadashi 2025: संतान और परिवार के कल्याण के लिए एकादशी

Vaikuntha Ekadashi 2025: संतान और परिवार के कल्याण के लिए एकादशी

Authored By: स्मिता

Published On: Thursday, January 9, 2025

Updated On: Thursday, January 9, 2025

Vaikuntha Ekadashi 2025 family welfare and child blessings
Vaikuntha Ekadashi 2025 family welfare and child blessings

इस वर्ष की पहली एकादशी वैकुंठ एकादशी शुक्रवार, 10 जनवरी को पड़ रही है। यह शुभ दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित है। संतान और परिवार के कल्याण के लिए (Betterment of Child & Family) आशीर्वाद मांगने वाले भक्तों के लिए यह विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रत (Vaikuntha Ekadashi 2025) रखने से सुख, समृद्धि और ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Authored By: स्मिता

Updated On: Thursday, January 9, 2025

परिवार की शांति, समृद्धि और सुरक्षा के लिए भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा-अर्चना की जाती है। एकादशी (Vaikuntha Ekadashi) भगवान विष्णु को समर्पित दिन है। इस दिन भक्तगण व्रत-उपवास रखते हैं। इसे एकादशी तिथि से द्वादशी तिथि तक पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इसमें उपवास, प्रार्थना, विशेष पूजा और दान शामिल है। एकादशी व्रत करने से आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। साल भर में 24 एकादशी आती है। इस वर्ष की पहली एकादशी वैकुंठ एकादशी (Vaikuntha Ekadashi 2025) शुक्रवार, 10 जनवरी (Friday, 10th of Jan 2025) को है।

मन पर चंद्रमा का प्रभाव

“खगोल विज्ञान” पुस्तक के अनुसार, खगोल विज्ञान के अध्ययन से चंद्रमा की स्थिति और मानव मन पर इसके प्रभाव का पता चलता है। एक पूर्ण चंद्र चक्र लगभग 30 दिनों तक रहता है। इसका मतलब है कि अमावस्या और पूर्णिमा के बीच लगभग 14 दिन होते हैं। एकादशी, जिसका शाब्दिक अर्थ ग्यारहवां है, चंद्र पखवाड़े का ग्यारहवां दिन है। हर महीने पूर्णिमा और अमावस्या के ठीक ग्यारह दिन बाद दो एकादशी आती है। महीने के दो चंद्र चक्रों, जिन्हें कृष्ण पक्ष (अमावस्या) और शुक्ल पक्ष (बढ़ता हुआ चंद्रमा) कहा जाता है। इससे ठीक 4 दिन पहले यह दिन मन को अपने स्वाभाविक स्वरुप में रखने के लिए सही माना जाता है।

ऊर्जावान बने रहने का दिन

‘आयुर्वेद परिचय’ पुस्तक के अनुसार, यदि आप एकादशी के दिन उपवास करते हैं, तो उस दिन आपने जो खाया है, उसका प्रभाव आपके शरीर पर 4 दिनों के बाद भी पड़ता रहता है। इसलिए ये दिन सिस्टम को साफ करने, पाचन तंत्र को आराम देने, शरीर को फिर से व्यवस्थित करने, दिमाग को शुद्ध करने, ऊर्जावान रहने और सुस्ती से बचने के लिए अच्छे दिन हैं।

पौष पुत्रदा एकादशी है वैकुंठ एकादशी (Paush Putrada Ekadashi 2025)

वैकुंठ एकादशी को ही पौष पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह दिन शुक्रवार, 10 जनवरी को है। यह शुभ दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। यह संतान और परिवार के कल्याण के लिए विशेष महत्व रखता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सुख, समृद्धि और ईश्वरीय कृपा मिलती है। यह व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और अगले दिन सूर्योदय पर समाप्त होता है। भक्त इसे केवल जल या निराहार व्रत के रूप में रख सकते हैं। इस दिन को पूजा-पाठ कर बिताना अत्यंत शुभ माना जाता है।

पद्म पुराण की कथा में उल्लेख (Vaikuntha Ekadashi Mythological story)

वैकुंठ एकादशी की उत्पत्ति का उल्लेख पद्म पुराण की एक कथा में मिलता है। एक बार मुरासुर नाम का असुर ब्रह्मा से प्राप्त वरदान के कारण देवताओं को परेशान करता रहता था। देवताओं ने मुरासुर से मुक्ति पाने के लिए श्रीविष्णु से सहायता मांगी। उन्होंने एक युद्ध में असुर के खिलाफ लड़ाई लड़ी, लेकिन उसे हराने में असमर्थ रहे। वे बदरिकाश्रम के आसपास के क्षेत्र में सिंहवती नामक गुफा में गए। वहां मुरासुर ने उनका पीछा किया। वहां श्रीविष्णु ने अपनी दिव्य ऊर्जा से उत्पन्न देवी योगमाया को बुलाया, जिन्होंने असुर का वध कर दिया। प्रसन्न होकर श्रीविष्णु ने देवी को ‘एकादशी’ की उपाधि दी। उन्होंने घोषणा की कि वह पृथ्वी के सभी लोगों के पापों को दूर करने में सक्षम होंगी।
वैष्णव परंपरा में यह माना जाता है कि जो लोग इस अवसर पर उपवास रखते हैं और एकादशी की पूजा करते हैं, उन्हें वैकुंठ की प्राप्ति होती है।

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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