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ललन सिंह पर रहेगी इस बार भी नजर, सीएम नीतीश कुमार की बातों में छिपा है ये राज
ललन सिंह पर रहेगी इस बार भी नजर, सीएम नीतीश कुमार की बातों में छिपा है ये राज
Authored By: सतीश झा
Published On: Friday, April 25, 2025
Updated On: Friday, April 25, 2025
बिहार की राजनीति में पिछले कुछ दशकों से जदयू (JDU) नेता ललन सिंह (Lallan Singh) का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के करीबी सहयोगी और पार्टी के महत्वपूर्ण चेहरे के रूप में उनकी भूमिका अहम बन चुकी है. इस बार भी ललन सिंह पर राजनीतिक विश्लेषकों की निगाहें टिकी रहेंगी, क्योंकि मुख्यमंत्री के बयान और उनके इशारे कई राज़ छिपाए हुए हैं. साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों (Bihar Assembly Election2025) से पहले बिहार में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने हाल ही में एक बयान में सभी को चौंका दिया, जब उन्होंने 2022 में जनता दल (यूनाइटेड) द्वारा भाजपा (BJP) से रिश्ते तोड़ने के संभावित कारणों और उस वक्त के कुछ प्रमुख नेताओं के बारे में बात की.
Authored By: सतीश झा
Updated On: Friday, April 25, 2025
Bihar political drama : मधुबनी में आयोजित एक सार्वजनिक बैठक के दौरान, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए, नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में एक पार्टी नेता की ओर इशारा किया, जिसे लेकर उनका कहना था कि वह वही नेता हो सकता है, जिसने तीन साल पहले वर्तमान सहयोगियों को अलग कर दिया था. बिहार की राजनीति में एक नया हलचल उस वक्त देखने को मिला जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी जनसभा के दौरान मंच पर बैठे एक पार्टी नेता की ओर इशारा करते हुए एक बयान दिया. हालांकि, उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान से अटकलें तेज हो गई हैं कि वह जिन व्यक्ति की ओर इशारा कर रहे थे, वह शायद जेडीयू नेता ललन सिंह ही होंगे. नीतीश कुमार ने कहा, “हम (JDU और BJP) हमेशा साथ रहे हैं, लेकिन बीच में किसी ने गड़बड़ कर दी और वे यहां बैठे हैं. अब उनसे पूछिए. बाद में उन्हें लगा कि उन्होंने गड़बड़ कर दी है. 2005 में पहली बार हम अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ एक साथ लड़े, जो सभी एक साथ थे. वे तब हमारी पार्टी के अध्यक्ष थे.”
मुख्यमंत्री का यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का कारण बन गया है. इससे यह संकेत मिलता है कि बिहार में अगले चुनावों को लेकर कई अंदरूनी समीकरण बदल सकते हैं। नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर संकेत दिए, लेकिन नाम नहीं लिया, जिससे कयासों का बाजार गर्म हो गया. यह सवाल उठने लगा है कि क्या इस बार भी राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव देखने को मिलेगा और कौन से नेता और दल चुनावी रणनीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
JDU में अहम निर्णय लेते रहे हैं लल्लन सिंह
ललन सिंह (Lallan Singh) का नाम बिहार की राजनीति में एक ताकतवर नेता के रूप में उभरा है, जो पार्टी और सरकार के महत्वपूर्ण फैसलों में अहम भूमिका निभाते हैं. वे न केवल मुख्यमंत्री के भरोसेमंद साथी हैं, बल्कि राज्य की राजनीति में उनका रुतबा भी बेहद मजबूत है. ललन सिंह की रणनीतियां और उनके राजनीतिक कदम अक्सर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के साथ समन्वय में होते हैं, जो बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को आकार देते हैं.
ललन सिंह पर लगे आरोप
बिहार में महागठबंधन की राजनीति में हलचल मच गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक बयान ने JDU और BJP के बीच के रिश्ते पर सवाल खड़े कर दिए हैं. नीतीश कुमार ने अपनी जनसभा के दौरान राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस और वामपंथी दलों को लेकर बड़ा बयान दिया. उनका कहना था कि “हमने मिलकर उनके (RJD) खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. वे (ललन सिंह) इसे अच्छी तरह जानते हैं. वे लंबे समय से पार्टी में हैं, इसके अध्यक्ष हैं. उन्हें भी आखिरकार एहसास हो गया कि वे कुछ शरारत कर रहे थे.”
नीतीश कुमार का यह बयान उन दिनों को याद दिलाता है जब ललन सिंह जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और पार्टी ने NDA से बाहर निकलने का निर्णय लिया था. नीतीश कुमार ने भाजपा को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था. नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के अचानक इंडिया ब्लॉक से बाहर निकलने के एक महीने पहले ही ललन सिंह (Lallan Singh) ने अपना पद छोड़ दिया था. इसके बाद जब नीतीश कुमार ने लालू यादव (Lalu Yadav) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ गठबंधन किया.
बिहार की राजनीति में नई चर्चा
मुख्यमंत्री के शब्दों में जो गहरी समझ और चुप्पी छिपी थी, वह बहुत कुछ बयान करती है. यह बात केवल ललन सिंह के भविष्य ही नहीं, बल्कि जदयू और राज्य की राजनीति के समग्र दिशा पर भी महत्वपूर्ण असर डाल सकती है. राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि ललन सिंह और मुख्यमंत्री के बीच की नजदीकी और रणनीतिक तालमेल को देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या इस बार उनका राजनीतिक भविष्य कुछ नई दिशा की ओर बढ़ेगा? क्या वे आगामी चुनावों में और भी प्रभावी भूमिका निभाने की योजना बना रहे हैं? यह सभी सवाल बिहार की राजनीति में नई चर्चा का कारण बन गए हैं, जो समय के साथ स्पष्ट होंगे.
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