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Table Salt in Vrat : व्रत उपवास में क्यों नहीं खाया जाता सफेद नमक
Table Salt in Vrat : व्रत उपवास में क्यों नहीं खाया जाता सफेद नमक
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, June 18, 2025
Last Updated On: Wednesday, June 18, 2025
अकसर हम व्रत उपवास (Table Salt in Vrat) के दौरान सफेद नमक नहीं खाते हैं. इसके स्थान पर हम सेंधा नमक खाते हैं. क्या सेंधा नमक खाने के कुछ आध्यात्मिक महत्व हैं. इस बारे में क्या गीता भी कुछ कहती है?
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Wednesday, June 18, 2025
किसी भी तरह का व्रत या उपवास रखने के दौरान हम कई चीज़ें भोजन में शामिल नहीं करते हैं. आध्यात्मिक शुद्धता और ध्यान बनाए रखने के लिए खाने की कई चीजों को पूरी तरह प्रतिबंधित कर लिया जाता है. इनमें मांसाहारी भोजन, प्याज-लहसुन, कुछ अनाज जैसे कि गेहूं, चावल, दाल, शराब और तंबाकू आदि हैं. इसके अलावा, प्रोसेस्ड फ़ूड, फास्ट फूड और सफेद नमक से भी परहेज किया जाता है. सफेद नमक के स्थान पर हम अक्सर सेंधा नमक का इस्तेमाल करते हैं. क्या वजह है कि हम व्रत के दौरान आम नमक या सफेद नमक, जिसे टेबल साल्ट भी कहा जाता है, आम तौर पर परहेज (Why salt is prohibited during fasting) करते हैं.
सफेद नमक के स्थान पर व्रत में क्या खाएं (What to eat during fasting instead of white salt)
जिन लोगों को स्वास्थ्य ऐसा करने की इजाजत नहीं देता या फिर कुछ व्रत में नमक लेने का नियम होता है, उसमें सेंधा नमक को प्राथमिकता दी जाती है. सेंधा नमक को शुद्ध और बिना प्रोसेस किया हुआ रूप माना जाता है. टेबल साल्ट या सफेद नमक कई तरह की रिफाइन की जाने वाली या शोधन प्रक्रियाओं से गुजरता है. इसमें ऐसे योजक (additives) हो सकते हैं, जिन्हें उपवास के लिए सात्विक या शुद्ध नहीं माना जाता है. इसे उपवास से जुड़ी शुद्धता के विचार के विपरीत माना जा सकता है. इसके अतिरिक्त सेंधा नमक में ठंडक देने वाले गुण होते हैं. यह उपवास के दौरान इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने में मदद करता है. सेंधा नमक को नमक का प्राकृतिक रूप माना जाता है, क्योंकि इसे नमक की खानों से निकाला जाता है.
सेंधा नमक का आध्यात्मिक महत्व (Spiritual Significance of Sendha Namak)
सेंधा नमक का उपयोग उपवास के आध्यात्मिक महत्व से जुड़ा हुआ माना जाता है. यह शरीर और मन दोनों को शुद्ध करने में मदद करता है. यह न सिर्फ इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने, बल्कि पाचन में सहायता करने में भी मदद करता है. यह उपवास के अनुकूल खाद्य सामग्री है. सेंधा नमक में शीतलता प्रदान करने वाले गुण भी पाए जाते हैं, जो उपवास के दौरान मददगार हो सकते हैं. खासकर अगर उपवास गर्म महीने या गर्म जलवायु में किया जाता है.
क्यों उपवास में कुछ खाद्य पदार्थ होते हैं निषिद्ध (Why some foods are prohibited during fasting)
आध्यात्मिक संदर्भ में बात की जाए, तो उपवास में कुछ समय के लिए भोजन और कभी-कभी अन्य गतिविधियों से परहेज किया जाता है. भोजन आदि न लेने का अभ्यास व्यक्ति ईश्वर के साथ अपने संबंध को गहरा करने के लिए करता है. उसका ध्यान नाना प्रकार की खाद्य सामग्री से हटकर सिर्फ ईश्वर पर होता है. यह आत्म-अनुशासन विकसित करने में मदद करता है. विनम्रता और कृतज्ञता की भावना को बढ़ावा दे सकता है.
भगवद्गीता में क्या है उल्लेख (Bhagavad Gita)
भगवद गीता के अध्याय 6, श्लोक 16 में कृष्ण अर्जुन को सलाह देते हैं कि जो व्यक्ति अत्यधिक उपवास करता है, वह योग में पूरी तरह से स्थित नहीं हो पाता है. श्रीकृष्ण का जोर मध्यम मार्ग पर है. खाने और सोने में अति से बचना. भगवद गीता स्पष्ट रूप से नमक से बचने के लिए नहीं कहती है, लेकिन यह भोजन के गुणों और वे किसी की चेतना को कैसे प्रभावित करते हैं, इस पर चर्चा अवश्य करती है. यह भोजन को सात्विक, राजसिक और तामसिक में वर्गीकृत करता है. नमक का सीधे तौर पर उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन अत्यधिक नमकीन खाद्य पदार्थ राजसिक माने जाते हैं, जो संकट और बीमारी का कारण बन सकते हैं.
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