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ऑपरेशन सिंदूर में पहली बार चर्चा में आई ‘रेड टीमिंग स्ट्रेटेजी’, यहां जानें फुल डिटेल
ऑपरेशन सिंदूर में पहली बार चर्चा में आई ‘रेड टीमिंग स्ट्रेटेजी’, यहां जानें फुल डिटेल
Authored By: सतीश झा
Published On: Tuesday, May 27, 2025
Last Updated On: Wednesday, May 28, 2025
ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के तहत पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी जवाबी कार्रवाई के बीच एक नया शब्द चर्चा में आया है — "रेड टीमिंग स्ट्रेटेजी" (Red Teaming Strategy). यह पहली बार है जब किसी सैन्य या अर्धसैनिक अभियान में इस रणनीति की खुलकर चर्चा हो रही है। तो आखिर क्या है यह रणनीति और क्यों है यह खास?
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Wednesday, May 28, 2025
इस बार ऑपरेशन की योजना बनाते समय पांच सीनियर अधिकारियों की एक रेड टीम बनाई गई थी. ये अधिकारी देश के अलग अलग हिस्सों से लिए गए थे. जब पाकिस्तान पर हमला हो रहा था तो देश के आर्मी चीफ, एयर चीफ मार्शल, नेवी चीफ और चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ यानी सीडीएस कहां थे? भारत ने पाकिस्तान पर किए गए अपने सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर के लिए पहली बार रेड टीमिंग की स्ट्रैटर्जी अपनाई .
क्या होती है रेड टीमिंग स्ट्रेटेजी?
रेड टीमिंग एक रणनीतिक विश्लेषण तकनीक है, जिसमें एक टीम (रेड टीम) दुश्मन की भूमिका निभाकर सुरक्षा व्यवस्था या ऑपरेशन की कमजोरियों की पहचान करती है. इसका उद्देश्य होता है मूल ऑपरेशन की योजना, रणनीति और तैयारियों की परीक्षा करना ताकि किसी भी संभावित खतरे या चूक को पहले ही पकड़ा जा सके.
सुरक्षा बलों में यह रणनीति इसलिए अपनाई जाती है, ताकि अगर दुश्मन कोई चाल चलता है, तो पहले से उसका आकलन कर प्रभावी जवाब तैयार किया जा सके। यह “दुश्मन की नजर से सोचना” सिखाती है.
ऑपरेशन सिंदूर में क्यों आई चर्चा में?
सूत्रों के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की ड्रोन गतिविधियों, मोर्टार हमलों और आतंकी लॉन्च पैड्स पर जवाबी कार्रवाई के लिए रणनीति बनाने में रेड टीमिंग की अहम भूमिका रही. इससे जवानों को संभावित खतरों की पहचान पहले ही हो गई और जवाबी तैयारी मजबूत रही. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तकनीक से सुरक्षा एजेंसियों को रियल टाइम में ऑपरेशन को बेहतर बनाने का मौका मिलता है और यह भविष्य के अभियानों में भी बेहद कारगर साबित हो सकती है.
एक नई सोच और तैयारी का संकेत
रेड टीमिंग स्ट्रेटेजी भारतीय सुरक्षा तंत्र के लिए एक नई सोच और तैयारी का संकेत है. ऑपरेशन सिंदूर में इसके उपयोग से यह साफ हो गया है कि अब भारत अपने सुरक्षा अभियानों में स्मार्ट रणनीति और साइकोलॉजिकल प्लानिंग पर भी उतना ही ध्यान दे रहा है जितना बल और हथियारों पर.
जब ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान के आतंकी लॉन्च पैड्स और पोस्टों को निशाना बनाया जा रहा था, उस समय देश के चारों प्रमुख सैन्य प्रमुख — आर्मी चीफ, एयर चीफ मार्शल, नेवी चीफ और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) — लगातार इस मिशन की मॉनिटरिंग में जुटे थे.
कितनी स्क्रीन और कैसे हो रही थी निगरानी?
वॉर रूम में ड्रोन फीड, सैटेलाइट इमेज, थर्मल कैमरा डेटा और सीमा पर तैनात जवानों की लाइव रिपोर्ट्स जैसे कई स्त्रोतों को मिलाकर कुल 25 से ज्यादा स्क्रीन पर पूरे ऑपरेशन का हर पहलू बारीकी से देखा जा रहा था. हर कमांडिंग अधिकारी अपनी-अपनी जिम्मेदारियों के मुताबिक सटीक निर्देश दे रहे थे, ताकि अभियान पूरी तरह सफल हो.
इस अभियान की खास बात यह थी कि भारत ने पहली बार इसमें “रेड टीमिंग स्ट्रैटजी” को अपनाया. इसका मतलब है — दुश्मन की सोच, प्रतिक्रिया और रणनीति को समझकर अपनी योजना की जांच करना। रेड टीम यह परखती है कि अगर भारत ने कोई खास कदम उठाया, तो पाकिस्तान किस तरह की प्रतिक्रिया दे सकता है और उसके लिए कैसे तैयार रहना है. इससे भारतीय बलों को मन:स्थिति के स्तर पर भी दुश्मन को मात देने में मदद मिली.