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नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंटरनेशनल एयरपोर्ट: विमानन उत्कृष्टता के 100 वर्ष पूरे
नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंटरनेशनल एयरपोर्ट: विमानन उत्कृष्टता के 100 वर्ष पूरे
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Saturday, December 21, 2024
Updated On: Saturday, December 21, 2024
कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा का आज शताब्दी वर्ष है। इस दौरान यह कई गतिविधियों का गवाह बना। सेकंड वर्ल्ड वॉर में मित्रों देशों की सेनाओं ने यहां अपना मुख्यालय बनाया था। भारत की आर्थिक विकास में भी इसने बड़ी भूमिका निभाया है।
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Updated On: Saturday, December 21, 2024
कोलकाता का नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (NSBI) आज यानी 21 दिसंबर को अपनी शताब्दी वर्ष मना रहा है। सौ साल पहले आज ही के दिन इस हवाई अड्डे पर पहला विमान उतरा था। तीन महीने तक आयोजित होने वाले शताब्दी वर्ष समारोह का आज केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू किंजरापू विधिवत उद्घाटन करेंगे।
कोलकाता एयरपोर्ट का शताब्दी वर्ष समारोह
जानकारी के मुताबिक उद्घाटन समारोह में केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल और सांसद प्रो. सौगत रॉय सहित कई अन्य प्रमुख जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी शामिल होंगे। इस समारोह का उद्देश्य हवाई अड्डे की समृद्ध विरासत और भारतीय विमानन को आगे बढ़ाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका का सम्मान करना है। कोलकाता हवाई अड्डे पर उड़ान के 100 साल पूरे होने तीन महीने तक शताब्दी वर्ष से संबंधित समारोह होंगे।
उड़ान यात्री कैफे का होगा शुभारंभ
समारोह में ‘उड़ान यात्री कैफे’ का शुभारंभ किया जाएगा। हवाई अड्डे पर एक किफायती कैफे, ‘उड़ान यात्री कैफे’ शुरू किया जाएगा। यह MoCA और AAI द्वारा परिवर्तनकारी पहलों के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट है। इस कैफे में यात्रियों को किफायती और गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। समारोह में भारत के विमानन इतिहास में हवाई अड्डे की भूमिका पर एक स्मारक टिकट और सिक्का भी जारी किया जाएगा।
ऐतिहासिक धरोहरों में होगा शामिल
नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (एनएससीबीआई) 21 दिसंबर को 100 साल का हो जाएगा। 1566.3 एकड़ भूमि, 2,30,000 वर्ग मीटर के निर्मित क्षेत्र में फैला, एनएससीबीआई हवाई अड्डा सालाना 26 मिलियन (करीब 2 करोड़ 60 लाख) यात्रियों की सेवा करने की क्षमता रखता है। एनएससीबीआई कोलकाता को प्रतिदिन 64 (49 घरेलू) और (15 अंतर्राष्ट्रीय) शहरों से जोड़ता है। आज यह एक ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल होगा। यह धरोहर परंपरा को आधुनिकता के साथ जोड़ता है।
आर्थिक विकास बड़ा योगदान
1924 में यह दमदम हवाई अड्डे के नाम से स्थापित हुआ था। वर्ष 1995 में इसका नाम बदलकर 1995 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सम्मान में रखा गया। दशकों से, इसने महत्वपूर्ण विमानन विकास का बीड़ा उठाया है और अत्याधुनिक सुविधाओं के माध्यम से आर्थिक विकास को आगे बढ़ा रहा है। एक सदी बाद भी यह भारत के विमानन परिदृश्य में प्रगति और कनेक्टिविटी का प्रतीक बना हुआ है।
एएआई (AAI) ने क्या कहा?
एएआई ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर हवाई अड्डे पर ‘उड़ान यात्री कैफे’ नामक एक पॉकेट-फ्रेंडली भोजनालय भी शुरू किया जाएगा। यह किफायती मूल्य पर एक क्यूरेटेड मेनू पेश करेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि यात्रियों को लागत प्रभावी दर पर गुणवत्तापूर्ण भोजन मिल सके। इससे यात्रियों का यात्रा अनुभव बेहतर हो।
आधुनिक हवाई अड्डे की वास्तुकला में परिलक्षित भारत की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने वाली एक कॉफी टेबल बुक का भी लोकार्पण होना है। स्मारक सिक्का, टिकट, कॉफी टेबल बुक और अन्य यादगार चीजें 29 मार्च, 2025 को समापन समारोह के दौरान जारी की जाएंगी।
दमदम हवाई अड्डा
1924 में दमदम हवाई अड्डे के रूप में स्थापित, कोलकाता हवाई अड्डे ने बंगाल फ्लाइंग क्लब (1929) की मेजबानी कर, 1964 में पहले जेट सेवा केंद्रों शुरू कर और 1975 में अपना पहला समर्पित एयरलाइन कार्गो टर्मिनल खोलकर भारतीय विमानन में अग्रणी भूमिका निभाई है।
सर्वप्रथम ब्रिटिश एयर फोर्स विमान की लैंडिंग
कलकत्ता एयरोड्रोम की बात करें तो, 1924 में पहली ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स की दुनिया भर की उड़ान यहां उतरी थी। उसी वर्ष केएलएम (नीदरलैंड की आधिकारिक एयरलाइन) अपनी एम्स्टर्डम-कलकत्ता-जकार्ता उड़ान के साथ कलकत्ता में परिचालन शुरू करने वाली पहली वाणिज्यिक एयरलाइन थी। उन शुरुआती वर्षों में, कलकत्ता एयरोड्रोम मुख्य रूप से यूरोप और उत्तरी अमेरिका से बटाविया (जकार्ता का पुराना नाम) और ऑस्ट्रेलिया के लिए एक स्टॉप ओवर के रूप में कार्य करता था।
सेकंड वर्ल्ड वॉर में निभाई बड़ी भूमिका
द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के दौरान मित्र देशों की सेना और अमेरिकी की वायु सेना ने कलकत्ता और उसके हवाई अड्डे में मुख्यालय स्थापित किया था। इसका उपयोग अमेरिकी दसवें बमबारी समूह के लिए संचार केंद्र के रूप में भी किया गया था।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यात्री सेवाओं में वृद्धि हुई। 1952 में ब्रिटिश ओवरसीज एयरवेज कॉर्पोरेशन ने अपने लंदन-कलकत्ता मार्ग पर दुनिया के पहले जेट संचालित विमान डे हैविलैंड कॉमेट का इस्तेमाल किया। 1964 में दिल्ली से कलकत्ता तक पहली घरेलू भारतीय जेट सेवा इंडियन एयरलाइंस द्वारा शुरू की गई थी।