Ashadha Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा और कोकिला व्रत से जुड़ा है आषाढ़ पूर्णिमा

Ashadha Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा और कोकिला व्रत से जुड़ा है आषाढ़ पूर्णिमा

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, June 17, 2025

Last Updated On: Tuesday, June 17, 2025

Ashadha Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा और कोकिला व्रत का पावन पर्व
Ashadha Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा और कोकिला व्रत का पावन पर्व

Ashadha Purnima 2025: हिंदुओं में सभी पूर्णिमा तिथियों को बेहद शुभ माना जाता है. हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा साल की चौथी पूर्णिमा है. इस दिन न सिर्फ गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है, बल्कि स्त्रियां कोकिला व्रत रखती हैं. देश भर में आषाढ़ पूर्णिमा 10 जुलाई, गुरुवार को मनाई जाएगी.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Tuesday, June 17, 2025

पूर्णिमा यानी पूरा चांद उस चंद्र चरण को संदर्भित करता है जब चंद्रमा पृथ्वी से पूर्ण आकार में प्रकाशित दिखाई देता है. हिंदू धर्म में पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण दिन है. यह विशिष्ट अनुष्ठानों और त्योहारों से जुड़ा है. आषाढ़ पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा कहते हैं. इसी दिन महिलाएं कोकिला व्रत भी रखती हैं. आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर न सिर्फ गुरु की पूजा की पूजा की जाती है, बल्कि स्त्रियां कोकिला व्रत रखकर शिव-शक्ति की पूजा (Ashadha Purnima 2025) भी करती हैं.

आषाढ़ पूर्णिमा की तिथि और समय (Ashadha Purnima Date & Time)

2025 में आषाढ़ पूर्णिमा 10 जुलाई, गुरुवार को होगी. पूर्णिमा तिथि 1:36 बजे शुरू होगी और 11 जुलाई को 2:06 बजे समाप्त हो जाएगी. इसे गुरु पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

  • पूर्णिमा तिथि शुरू – 10 जुलाई, 2025 को 01:36 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त – 11 जुलाई, 2025 को 02:06 बजे

आषाढ़ पूर्णिमा क्यों कहलाती है गुरु पूर्णिमा (Ashadha Purnima or Guru Purnima 2025)

मान्यता है कि आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही जगत गुरु महर्षि वेदव्यास की जयंती है. इसलिए इस दिन को व्यास पूजा या व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस पवित्र दिन भक्तगण भगवान विष्णु के अत्यंत दयालु स्वरुप भगवान सत्यनारायण की पूजा करते हैं. वे पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण व्रत भी रखते हैं.

कोकिला व्रत जुड़ा है आषाढ़ पूर्णिमा से (Kokila Vrat 2025)

आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर स्त्रियां घर-परिवार की सुख-शांति, सौभाग्य और समृद्धि पाने के लिए कोकिला व्रत शुरू करती हैं. कोकिला व्रत आषाढ़ पूर्णिमा से श्रावण पूर्णिमा तक मनाया जाता है. इस अवसर पर महिलाएं भगवान शिव और देवी पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना करती हैं, ताकि उनके जीवन में भी शिव-शक्ति सा प्रेम बना रहे.

कोकिला व्रत पर कौन-से अनुष्ठान किए जाते हैं (Kokila Vrat Rituals)

स्त्रियां सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करती हैं. वे अपने घरों और पूजा स्थल को साफ करती हैं. शिव-शक्ति की मूर्ति या विग्रह को साफ, सुसज्जित स्थान पर रखा जाता है. हाथ में जल लेकर देवता से प्रार्थना करते हुए ईमानदारी से व्रत रखने की शपथ लेती हैं. एक दीपक और अगरबत्ती भी जलाई जाती है. देवता को ताजे फल, फूल, मिठाई और अन्य पवित्र वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं. साथ ही, कोकिला व्रत कथा का पाठ भी किया जाता है. शिव-शक्ति को समर्पित विशिष्ट प्रार्थना और भजन गाए जाते हैं. पूजा के अंत में आरती भी लगाई जाती है.

कोकिला व्रत उपवास (Kokila Vrat Fasting)

भक्तगण पूरे दिन उपवास रखते हैं. अनाज, मसालों, नमक आदि से परहेज किया जाता है. व्रत रखने पर सिर्फ फल ही ग्रहण किया जाता है. भक्त पूरे दिन भगवत भजन और ध्यान करते रहते हैं.

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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