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Neerputhoor Mahadeva Temple: जल के बीच स्वयंभू रूप में प्रकट हुए हैं नीरपुथूर महादेव
Neerputhoor Mahadeva Temple: जल के बीच स्वयंभू रूप में प्रकट हुए हैं नीरपुथूर महादेव
Authored By: स्मिता
Published On: Tuesday, June 17, 2025
Last Updated On: Tuesday, June 17, 2025
Neerputhoor Mahadeva Temple: केरल का नीरपुथूर महादेव मंदिर अपने अनोखे शिवलिंग के लिए हमेशा चर्चा में रहता है. यहां शिवलिंग पानी में डूबे रहते हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का अनुमान है कि इसकी आयु 3,000 साल से ज़्यादा है. मंदिर को नीरपुथूरप्पन के नाम से भी जाना जाता है. इसका अर्थ है शिवलिंग का स्वयंभू रूप में प्रकट होना.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Tuesday, June 17, 2025
केरल के मलप्पुरम जिले के पुथूर गांव स्थित है नीरपुथूर महादेव मंदिर. इस पवित्र स्थल को मनोरम गर्भगृह अलग बनाती है. मंदिर का गर्भगृह साल भर पानी से भरा रहता है. इसलिए शिवलिंग भी पानी से घिरा रहता है. यह जल देवी गंगा की दिव्य उपस्थिति स्वरुप माना जाता है. शिवलिंग की अनूठी गोलाकार डिजाइन मन को मोह लेती है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का अनुमान है कि मंदिर 3,000 साल से अधिक पुराना है. यह पवित्र स्थल (Neerputhoor Mahadeva Temple) ध्यान और अध्यात्म की ओर सहज ही उन्मुख करता है.
स्वयंभू रूप में प्रकट हुए शिवजी (Swayambhoo Shivling)
मान्यता है कि भगवान शिव यहां स्वयंभू रूप में प्रकट हुए हैं. “स्वयंभू” शब्द संस्कृत में “स्वयं-जन्म” या “स्वयं-प्रकट” के लिए होता है. महादेव यहां नीरपुथुरप्पन के नाम से जाने जाते हैं, जिसका अर्थ स्वयंभू होता है. वे दिव्य ऊर्जा के स्रोत हैं, जो असंख्य भक्तों को आत्मज्ञान और आशीर्वाद देते हैं. नीरपुथूर महादेव मंदिर आशीर्वाद और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करने के इच्छुक भक्तों के लिए आश्रयस्थल के समान है.
नीरपुथूर महादेव मंदिर की कथा ( Neerputhoor Mahadeva Temple Mythology)
स्थानीय लोगों के बीच प्रसिद्ध कथा के अनुसार, इस स्थान पर शिवलिंग प्राकृतिक रूप से (स्वयंभू) उभरे थे. तब से ये पानी में डूबे हुए हैं. माना जाता है कि भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम ने केरल में शिव मंदिरों की स्थापना की अपनी कार्ययोजना के तहत इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की थी.
मंदिर में प्रवेश
जब गर्भगृह जलमग्न हो जाता है, तो भक्तों को भगवान महादेव के दिव्य दर्शन का अनुभव दूर से ही पट्टुपुरा से ही करने का अवसर दिया जाता है. यही वह स्थान है, जो देवता की कृपा की एक झलक प्रदान करता है. मंदिर के चारों ओर परिक्रमा की जाती है. यह नालमपलम गंगा तीर्थ के पवित्र जल से भरा हुआ है. गर्मी में जब पानी कम हो जाता है, तो मंदिर में दर्शनार्थियों के लिए प्रवेश सुलभ हो जाता है. इस अवसर पर धार्मिक आयोजन भी होते हैं. मंदिर का शांत वातावरण न केवल आध्यात्मिक अनुभव को गहरा करता है बल्कि क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी उजागर करता है.
कैसे पहुंचें यह मंदिर (How to reach Neerputhoor Mahadeva Temple)
कालीकट अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा मंदिर से सिर्फ़ 60 किमी की दूरी पर स्थित है. यदि भक्त ट्रेन से यात्रा करना पसंद करते हैं, तो तिरुर रेलवे स्टेशन मात्र 60.7 किमी दूर है, जो रेल यात्रियों के लिए आसान बनाता है. जो लोग गाड़ी से यात्रा करना पसंद करते हैं, उनके लिए पेरिंथलमन्ना केएसआरटीसी बस डिपो मंदिर से सिर्फ़ 25.9 किमी दूर है. भक्तगण जिस विधि से यात्रा करना चाहें कर सकते हैं.