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Parshuram Jayanti 2025 : अन्याय के विरुद्ध लड़ते हैं श्री विष्णु के अवतार भगवान परशुराम
Parshuram Jayanti 2025 : अन्याय के विरुद्ध लड़ते हैं श्री विष्णु के अवतार भगवान परशुराम
Authored By: स्मिता
Published On: Tuesday, April 22, 2025
Updated On: Tuesday, April 22, 2025
Parshuram Jayanti 2025: अन्याय के विरुद्ध लड़ने वाले भगवान परशुराम की जयंती 30 अप्रैल को है. भगवान विष्णु के छठे अवतार और महान ऋषि-योद्धा परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था. यह वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है.
Authored By: स्मिता
Updated On: Tuesday, April 22, 2025
Parshuram Jayanti 2025 : अक्षय तृतीया (Akshay Tritiya) को अखा तीज के नाम से भी जाना जाता है. अक्षय तृतीया वार्षिक जैन और हिंदू वसंत त्योहार है. यह हिंदू महीने वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है. अक्षय तृतीया के दिन ही अन्याय के विरुद्ध लड़ने वाले भगवान परशुराम का जन्म हुआ था. परशुराम को उग्र देवता माना जाता है. उन्हें हिंदू धर्म में सात चिरंजीवियों में से एक माना जाता है. उन्होंने रामायण और महाभारत दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वे भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे महान योद्धाओं के गुरु थे. इन सभी महारथियों को परशुराम ने अपना ज्ञान और कौशल (Parshuram Jayanti 2025) प्रदान किया था.
माने जाते हैं भगवान विष्णु के छठे अवतार (Lord Vishnu Avtar)
भगवान परशुराम को हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में मान्यता दी गई है. उन्हें योद्धा-ऋषि और दैवीय शक्ति और न्याय के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है. धर्म के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता और अस्त्र-शस्त्र के महारथी व बुराई का सर्वनाश करने वाले देवता के रूप में जाना जाता है. परशुराम को आठ अमर लोगों में से एक माना जाता है. माना जाता है कि वे आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं.
ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के चौथे पुत्र थे. वे आज्ञाकारी पुत्र थे, लेकिन उनका स्वभाव उग्र था. एक बार ऋषि जमदग्नि ने अपने सभी पुत्रों को अपनी माता का वध करने का आदेश दिया. पहले तीन पुत्रों ने आज्ञा मानने से इनकार कर दिया, लेकिन भगवान परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी माता का सिर काट दिया. उनकी आज्ञाकारिता से प्रसन्न होकर ऋषि जमदग्नि ने परशुराम को तीन वरदान दिए.
क्या है भगवान परशुराम की कथा (Bhagwan Parashuram Mythological Story)
कथा है कि एक दिन जब सभी पुत्र जंगल गए हुए थे, तो माता रेणुका स्नान के लिए सरोवर पर गईं. उसी समय राजा चित्ररथ भी वहां नौका विहार का आनंद ले रहे थे. उन्हें देखकर रेणुका का मन क्षण भर के लिए विचलित हो गया और उसी अवस्था में वे आश्रम लौट आईं. जब ऋषि जमदग्नि ने उनकी स्थिति देखी, तो उन्हें अपनी दिव्य दृष्टि से सब कुछ पता चल गया. वे अत्यंत क्रोधित हुए और अपने पुत्रों को अपनी माता का वध करने का आदेश दिया. मना करने पर पिता ने क्रोधित होकर तीन भाइयों को श्राप दे दिया और उनकी तर्क शक्ति भी छीन ली. परशुराम ने बिना किसी तरह का सोच-विचार किए पिता की आज्ञा का पालन किया और अपनी मां का सिर काट दिया.
तीन वरदान का प्रभाव (Bhagwan Parashuram Life)
ऋषि जमदग्नि भगवान परशुराम से बहुत प्रसन्न हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा. परशुराम ने तीन वरदान मांगे और उनके पिता ने उनकी सभी इच्छाएं पूरी कर दीं. पहले वरदान में माता रेणुका को जीवित करना था. दूसरे वरदान में चारों भाई का पूर्व स्थिति में आना था. तीसरे वरदान में कभी हार का सामना न करने और लंबी आयु का आशीर्वाद मांगा गया. उनकी तीनों इच्छाएं पूरी हुईं और उन्हें लंबी आयु और कभी हार का सामना न करने का भी आशीर्वाद मिल गया.
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