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बिहार की सियासत में अब नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर हो-हल्ला
बिहार की सियासत में अब नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर हो-हल्ला
Authored By: सतीश झा
Published On: Thursday, March 27, 2025
Updated On: Thursday, March 27, 2025
बिहार की राजनीति में अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के स्वास्थ्य को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. राजनीतिक गलियारों में उनकी सेहत को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं, जिससे विपक्ष भी सक्रिय हो गया है. हाल ही में मुख्यमंत्री की कुछ सार्वजनिक कार्यक्रमों में उपस्थिति कम होने और उनके अस्वस्थ दिखने के कारण यह मुद्दा तूल पकड़ने लगा है.
Authored By: सतीश झा
Updated On: Thursday, March 27, 2025
Nitish Kumar health update : जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने सरकार से मांग की कि मुख्यमंत्री का मेडिकल बुलेटिन (Medical Bulletin) जारी किया जाए, ताकि जनता को उनकी वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी मिल सके. प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार को सार्वजनिक कार्यक्रमों और मीडिया से दूर रखा जा रहा है, जिससे उनकी सेहत को लेकर संदेह बढ़ रहा है.
शेखपुरा जिले में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि जेडीयू (JDU) नेतृत्व नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की स्थिति को छिपाने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री के असामान्य आचरण की वजह से सरकार उन्हें सार्वजनिक कार्यक्रमों में कम शामिल कर रही है. प्रशांत किशोर ने कहा, “अगर मुख्यमंत्री पूरी तरह स्वस्थ हैं, तो सरकार को उनकी स्थिति को स्पष्ट करने के लिए मेडिकल बुलेटिन जारी करने में क्या दिक्कत है? जनता को यह जानने का हक है कि उनके मुख्यमंत्री किस हाल में हैं.”
जेडीयू का पलटवार
प्रशांत किशोर के इस बयान पर जदयू ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि नीतीश कुमार पूरी तरह स्वस्थ हैं और प्रशांत किशोर सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं. जदयू नेताओं ने प्रशांत किशोर को फर्जी प्रचारक बताते हुए कहा कि उनकी बातें किसी भी तरह से विश्वसनीय नहीं हैं.
नीतीश कुमार की गैरमौजूदगी बनी चर्चा का विषय
बिहार की राजनीति में हाल ही में नीतीश कुमार की सार्वजनिक कार्यक्रमों में कम भागीदारी और मीडिया से दूरी को लेकर चर्चाएं तेज हैं. इससे पहले भी कई विपक्षी नेताओं ने उनके स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठाए थे, लेकिन यह पहली बार है जब मेडिकल बुलेटिन जारी करने की मांग खुलकर सामने आई है.
मेडिकल बुलेटिन की मांग—राजनीति या हकीकत?
जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर (PK) ने साफ कहा कि अगर मेडिकल बुलेटिन जारी किया जाए, तो इससे जनता के मन में नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति को लेकर कोई भी संदेह दूर हो जाएगा. हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि नीतीश कुमार इस पर कभी सहमत नहीं होंगे. बीते दिनों बिहार में बीपीएससी (BPSC) परीक्षाओं को लेकर बड़े पैमाने पर आंदोलन हुआ था. छात्रों ने सड़कों पर उतरकर विरोध जताया, लेकिन किशोर का कहना है कि नीतीश कुमार को इस आंदोलन की कोई जानकारी ही नहीं थी. यह बिहार के शासन तंत्र और नेतृत्व के बारे में चिंताजनक स्थिति को दर्शाता है. क्या मुख्यमंत्री अब राज्य में हो रही घटनाओं से कट चुके हैं? यह सवाल उठता है कि क्या पीके की यह मांग सिर्फ राजनीति तक सीमित है, या इसके पीछे कुछ ठोस आधार भी हैं? अगर जदयू और बिहार सरकार इस आरोप को निराधार मानते हैं, तो उन्हें खुद सामने आकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.
विपक्ष के हमले और सत्तारूढ़ दल की सफाई
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर विपक्षी दल लगातार सवाल उठा रहे हैं. राजद और कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि अगर मुख्यमंत्री अस्वस्थ हैं, तो उन्हें जनता के सामने स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और जरूरत पड़ने पर अपनी जिम्मेदारियों को अन्य सक्षम नेताओं को सौंपना चाहिए.
हालांकि, जदयू नेताओं ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री पूरी तरह स्वस्थ हैं और अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं. पार्टी प्रवक्ताओं का कहना है कि विपक्ष बेवजह इस मुद्दे को तूल देकर राजनीतिक फायदा उठाना चाहता है.
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार में अगले कुछ महीनों में कई अहम राजनीतिक घटनाक्रम होने वाले हैं, जिनमें नीतीश कुमार की भूमिका अहम होगी. ऐसे में उनके स्वास्थ्य को लेकर चर्चाओं का बढ़ना राजनीतिक परिस्थितियों से भी जुड़ा हो सकता है. कुछ विश्लेषकों का यह भी कहना है कि यह विपक्ष की रणनीति हो सकती है ताकि महागठबंधन में अस्थिरता पैदा की जा सके.
भविष्य की राजनीति पर असर?
यदि मुख्यमंत्री की सेहत को लेकर अटकलें सच साबित होती हैं, तो इसका असर बिहार की राजनीति पर गहरा पड़ सकता है. 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले जदयू को एक बड़े नेता की जरूरत होगी. यदि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) किसी कारणवश सक्रिय राजनीति से दूरी बनाते हैं, तो महागठबंधन में नेतृत्व संकट खड़ा हो सकता है.
फिलहाल, मुख्यमंत्री कार्यालय से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन बिहार की राजनीति में यह बहस तेज होती जा रही है कि क्या नीतीश कुमार स्वस्थ हैं, या फिर उनकी सेहत को लेकर लगाए जा रहे कयासों में कुछ सच्चाई है?