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ईद पर ‘सौगात-ए-मोदी’ का क्या है सियासी कनेक्शन, बिहार सहित किन राज्यों में होगा असर?
ईद पर ‘सौगात-ए-मोदी’ का क्या है सियासी कनेक्शन, बिहार सहित किन राज्यों में होगा असर?
Authored By: सतीश झा
Published On: Tuesday, March 25, 2025
Updated On: Tuesday, March 25, 2025
ईद के मौके पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गरीब मुस्लिम समुदाय को राहत देने के लिए ‘सौगात-ए-मोदी’ योजना शुरू करने की घोषणा की है. इस योजना के तहत देशभर में करीब 32 लाख गरीब मुसलमानों को उपहार दिए जाएंगे, जिसमें राशन, कपड़े और अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल होंगी. इस पहल को बीजेपी की मुस्लिम मतदाताओं तक पहुंच बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है. खासतौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में, जहां मुस्लिम आबादी चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती है.
Authored By: सतीश झा
Updated On: Tuesday, March 25, 2025
Seemanchal politics Bihar : सवाल यह है कि क्या इस योजना से मुस्लिम समुदाय बीजेपी की ओर आकर्षित होगा? परंपरागत रूप से मुस्लिम मतदाता BJP से दूर रहे हैं, लेकिन पसमांदा मुस्लिमों पर पार्टी का फोकस आने वाले चुनावों में नया समीकरण बना सकता है. ‘सौगात-ए-मोदी’ योजना महज एक कल्याणकारी पहल नहीं, बल्कि एक सियासी कदम भी है, जिसका उद्देश्य गरीब मुसलमानों को साधना और आगामी चुनावों में बीजेपी की संभावनाओं को मजबूत करना है. यह देखना दिलचस्प होगा कि इस रणनीति का बिहार, यूपी और बंगाल जैसे राज्यों में कितना असर पड़ता है और क्या इससे बीजेपी को राजनीतिक लाभ मिलता है.
क्या है ‘सौगात-ए-मोदी’ योजना?
BJP की यह योजना गरीब मुसलमानों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है. योजना के तहत वंचित परिवारों को राशन, मिठाइयाँ, कपड़े और अन्य जरूरत की चीजें मुहैया कराई जाएंगी. इसे BJP की ‘सबका साथ, सबका विकास’ नीति का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसका मकसद सभी समुदायों को सरकार की योजनाओं से जोड़ना है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने ‘सौगात-ए-मोदी’ कार्यक्रम को लेकर कहा कि ईद, बैसाखी, गुड फ्राइडे और भारतीय नववर्ष जैसे महत्वपूर्ण त्योहार निकट आ रहे हैं. इन अवसरों पर अल्पसंख्यक मोर्चा के कार्यकर्ता पीएम मोदी की ओर से ‘सौगात-ए-मोदी’ किट का वितरण करेंगे.
मुस्लिम वोट बैंक पर नजर?
इस योजना को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने का प्रयास है? BJP परंपरागत रूप से मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में मजबूत नहीं रही है, लेकिन हाल के वर्षों में पार्टी ने ‘पसमांदा मुसलमानों’ (सामान्य रूप से पिछड़े वर्ग के मुसलमानों) को साधने के प्रयास किए हैं. पीएम मोदी पहले भी कई बार अपने भाषणों में पसमांदा मुस्लिम समाज का जिक्र कर चुके हैं और उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ने की बात कह चुके हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह पहल बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम और केरल जैसे राज्यों को ध्यान में रखकर की जा रही है, जहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या अधिक है और वे चुनावी नतीजों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
बिहार में इसका क्या असर होगा?
बिहार में करीब 17% मुस्लिम आबादी है, जो कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाती है. बीजेपी लंबे समय से मुस्लिम मतदाताओं में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के एनडीए में वापस आने के बाद BJP को उम्मीद है कि पसमांदा मुसलमानों के बीच उसकी पकड़ मजबूत होगी।
बिहार के सीमांचल क्षेत्र (किशनगंज, अररिया, कटिहार, पूर्णिया) में मुस्लिम वोट बैंक काफी प्रभावी है. ये क्षेत्र आमतौर पर राजद, कांग्रेस या एआईएमआईएम जैसी पार्टियों का गढ़ रहे हैं. लेकिन बीजेपी अब इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए सामाजिक और कल्याणकारी योजनाओं का सहारा ले रही है.
उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में क्या होगा प्रभाव?
उत्तर प्रदेश में लगभग 19% मुस्लिम आबादी है. कई सीटों पर उनका प्रभाव है. बीजेपी को उम्मीद है कि ‘सौगात-ए-मोदी’ जैसी योजनाओं से मुस्लिम मतदाताओं का एक वर्ग उनकी ओर झुकेगा. पश्चिम बंगाल में लगभग 27% मुस्लिम वोटर्स हैं, जो तृणमूल कांग्रेस के परंपरागत समर्थक माने जाते हैं. लेकिन BJP यहां धीरे-धीरे अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है.
विपक्ष का आरोप: चुनावी फायदा उठाने की कोशिश?
विपक्षी दलों का कहना है कि यह योजना सिर्फ चुनावी रणनीति का हिस्सा है और बीजेपी मुस्लिम समुदाय को बांटने का प्रयास कर रही है. राजद, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसे दलों का कहना है कि बीजेपी मुस्लिमों को योजनाओं का लाभ सिर्फ वोटबैंक के रूप में देख रही है, जबकि असल में उनकी नीतियाँ अल्पसंख्यकों के खिलाफ रही हैं.